Ham Manan-Chintan (Contemplation) Kyun Nahi Karte Hai

हम चिंतन-मनन (अवलोकन) क्यों नही करते है

Ham Manan-Chintan Kyun Nahi Karte
Ham Manan-Chintan Kyun Nahi Karte

एक सत्य ईश्वर के नाम से जो बड़ा कृपाशील है ।

        आज मनुष्य जिस चीज पर चिंतन-मनन करना चाहिए उस पर नही करता बल्कि उन चीजों पर करता है जिस से उसके जीवन का कोई सरोकार नही है, लेकिन जिस जीवन के कर्मो का हिसाब ईश्वर को देना है जिसके लिए उसे इस पृथ्वी लोक में भेजा गया था उस पर गौर फिक्र नही करता, इस पर सिख देती ये छोटी सी कहानी है ।

        एक बूढ़ी माता मंदिर के सामने भीख मांगती थी एक ज्ञानी ने कहा, आपका बेटा लायक है, फिर यहां क्यों ?
        बुढ़िया बोली बाबा, मेरे पति का देहांत हो गया है, मेरा पुत्र नौकरी के लिए चला गया, जाते समय मेरे खर्चे के लिए कुछ रुपए देकर गया, वे खर्च हो गये इसीलिए भीख मांग रही हूँ। ज्ञानी ने पूछा वो कुछ भेजता नही है, बुढ़िया बोली, मेरा बेटा हर महीने एक रंग बिरंगा कागज भेजता है जिसे मैं दीवार पर चिपका देती हूँ ।
        ज्ञानी ने उसके घर जाकर देखा कि दीवार पर आठ चैक चिपका के रखे थे, प्रत्येक ₹5000 राशि के थे । पढ़ी लिखी न होने के कारण वह नहीं जानती थी कि उसके पास कितनी संपत्ति है, ज्ञानी ने उसे चैक का मूल्य समझाया ।
 
        उस माता की भांति हमारी स्थिति भी ऐसी ही है, हमारे पास ज्ञान ग्रंथ/संविधान/पुस्तकें तो हैं पर माथे से लगाकर अपने घर में सुसज्जित करके रखते हैं जबकि हम उनका वास्तविक लाभ तभी उठा पाएगें जब उनका अध्ययन, चिंतन, मनन करके जीवन में उतारेगें । इस पर धर्म ग्रन्थ क्या कहते हैं ।
 
उत त्वः पश्यन्त ददर्श वाचमुत त्वः श्रृण्वन्न श्रुणोत्ये नाम्।
अर्थ : बुद्धिहीन लोग ग्रन्थ देखते हुए भी नहीं देखते और सुनते हुए भी नहीं सुनते ।
वेद (ऋग्वेद 10:71:4)
 
वलहुम् अञ् - युनुन् ला - युब्सिरू - न बिहा व लहुम् आज़ानुल - ला यस्मउ- न बिहा उलाइ - क कल - अन्आमि बल हुम् अजल्लु
अर्थ : और उनके पास आंखे है वे उनसे देखते नहीं और उनके पास कान है वे उनसे सुनतें नहीं , वे पशुओं की तरह हैं।
क़ुरान (सुराह अनआम 7/179)
 
Please Share Everyone
शान्ति का पैग़ाम
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post