दुःख, कलेश, भय से मुक्ति कैसे ?| Dukh, Kalesh, Bhay Se Mukti Kaise ? (How to get rid of Sorrow, Grief & fear)

दुःख, कलेश, भय से मुक्ति कैसे ?

Dukh, Kalesh, Bhay Se Mukti Kaise ?
Dukh, Kalesh, Bhay Se Mukti Kaise ?

एक सत्य ईश्वर के नाम से जो अत्यन्त कृपाशील है ।

        आज के दौर में हम जिस व्यक्ति को देखें  दुःख, ग्रह क्लेश, भय से पीड़ित है, इस से बचने के लिए क्या-क्या जतन नही करता, मन्नते, मुरादे, कर्मकांड आदि फिर भी ये समस्या कम नही होती, आख़िर इसका कारण क्या है, कही ऐसा तो नही की ईश्वर ने हमें धरती पर पैदा किया ताकि तुम पूण्य कर्म करो, सबसे उत्तम पूण्य कर्म क्या है प्रकति, पशु, मानवसेवा ये छोड़ हम दूसरे कर्मो में लग गए शायद इसलिए ये समस्या कम नही हो रही है हमें धर्म ग्रंथों यही बताया गया है।

 
नभोजा ममुनं न्यर्थमीयुर्न रष्यिन्ति न व्यथन्ते ह भोजाः।
इदं यिद्वश्चं भुवनं स्वश्चैतत्सर्व दक्षिणेभ्यो ददाति।
अर्थ : दानशील लोग अमर हो जाते हैं, वे न तो बर्बाद होतें हैं और न दुःख, क्लेश, भय से पीड़ित होते हैं । 'दान' इन दाताओं को इस विश्व एवं स्वर्ग लोक (की सुविधाएं) प्रदान करता है।
वेद (ऋग्वेद 10:197:8)
 

अल्लजी - न युन्फिकू - न अम्वालहुम् बिल्लयलि वन्नहारि सिर्रवं - व अलानि - यतन् फ लहुम् अजूरुहुम् अिन - द रब्बिहिम् व ला खवफुन् अलयहिम् व ला हुम् यहजनून
अर्थ : जो लोग अपना धन रात-दिन खुल कर या छिपे तौर पर दान में खर्च करते हैं उनका बदला उनके प्रभु के जिम्मे है और उनके लिए (इस लोक व परलोक में) न कोई भय होगा और न कोई शोक।
क़ुरान (सुराह बक़रह 2:274)

 
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शान्ति का पैग़ाम
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