Hazrat Aisha Razi. Ka Nikah 18 Ya 6 Saal Men ? Aaiye Jante Hai | हज़रत आयशा रजि. का निकाह 18 या 6 साल में ? आइये जानते है.

Hazrat Ayesha Marriage age 18 or 6 years? Let's know.

हज़रत आयशा का निकाह 18 या 6 साल में ? आइये जानते है

Hazrat Ayesha Marriage age
Hazrat Ayesha Marriage age

हजरत आयशा रजि. का निकाह नबी सल्ल. से किस उम्र में हुआ था। इस मसअले पर आलिमों की अलग-अलग राय हैै, जिसमें ज्यादातर मुख्तलिफ रिवायात की बुुनियाद पर कहते है कि उनकी उम्र 6 साल थी और उनका निकाह (1) पहली हिजरी में हुआ और रूखसती के वक्त उम्र 9 साल थी। कुछ उलेमा इस बात से इत्तिफाक नही रखते वो कहते है कि उनकी उम्र 18 साल थी और रूखसती 21 साल में हुई थी। दोनों के अपने-अपने दलाईल है। पहले हम 18 साल वालो के दावों और दलाईल को देखते है। क्योंकि इन्होने 6 साल मानने वालों से इख्तिलाफ किया।


इस मोजू (विषय) पर बात करने से पहले हम ये देखे कि क्या इस्लाम में निकाह की कोई उम्र बताई गई है। कुरान में निकाह की उम्र लफ्जी तौर पर तो नही लेकिन इशारातन हम को कुरान की अयातों से समझ में आती है कि निकाह की उम्र क्या होनी चाहिये। अगर हम कुरान की कुछ आयातों को एक मोजू बनाकर एक साथ देखे तो हमें निकाह कब करना चाहिये इसके इशारे वाजेह तौर पर मालुम होते है। अल्लाह ने फरमाया


सुराह इसरा 17/34 यतीम के माल के करीब भी ना जाओ लेकिन बेहतर तरिके से यहां तक के वो अपनी जवानी (बलूगत/पुख्तगी) को पहुच जाये। और वादे को पुरा करो। यानि यतीमों का माल उनको दे दो।


सुराह निसा 4/2 बुरी चीज को अच्छी चीज से ना बदलो और ना उनके माल अपने माल के साथ मिलाकर खा जाओ ये बहुत बडा गुनाह है।

सुराह निसा 4/5 और अपने माल, जिसे अल्लाह ने तुम्हारी जिंदगी के कयाम का जरिया बनाया है ना समझो के हवाले ना करो अलबत्ता उन्हे उन मालों से खिलाते और पहनाते रहो और उन्हे नसीहत की बात कहते रहो।

सुराह निसा 4/6 और यतीमों की अजमाते रहो यहां तक कि वो निकाह की उम्र को पहुच जाये फिर अगर उनमें होशियारी देखो तो उन के माल उन के हवाले कर दो।

इन आयातों से मालुम होता है की यतीम बच्चों की कोई खास उम्र है कुरान में जो लफ्ज आया है (हत्ता यबलुग अशुद्दा) पुख्तगी यानि जवानी को पहुचें यानि पक्की उम्र को पहुचे तो तब उनका माल उन्हें दे दो। यानि इससे पहले ना दो, नही वो बर्बाद कर देगें, और कहा कि आजमाते रहो, फिर वो निकाह की उम्र को पहुचे और होशियारी देखो तो माल सौप दो। अब कोई 5 या 10 साल के बच्चें या बच्ची को तो उनका माल नही सौप देगा होशियारी की उम्र अलग-अलग हो सकती है। (मुख्तलिफ तजुर्बात मेडिकल, समाज, हालत, इलाकात, सर्वेस से) अमुमन 16 से 22 तक  जिसका जैसा जहन होता है, निकाह की उम्र भी तकरीबन यही है इसलिये कहा गया जब वो निकाह की उम्र को पहुचे तो उनका माल सौंप दो, इसलिए कहा कि जवानी और निकाह की उम्र को पहुंचे तो माल दे दो निकाह भी एक जिम्मेदारी होती है जिसमें रिश्तों की समझ भी होनी चाहिये, नही तो वो रिश्ता निभ नही सकता।


इसी ही आयातों के बारे में अल्लाह ने कुरान में तसरीफे अयात कहा है कि देखो हम कैसे फेर-फेर कर अपनी अयाते लाते है। नबी सल्ल. ने हजरत फातिमा रजि. का निकाह हजरत अली से 18-20 की उम्र में किया था। सहाबा इकराम के ताल्लुक से यही मिलता है वो भी अपनी बच्चों के निकाह तकरीबन इसी उम्र में करते थे। 

एक और जगह कुरान में युसुफ अलै. के ताल्लुक से भी यही बात हमें कुरान में इसी लफ्ज में मिलती है, सुराह युसुफ 12/22 ‘‘बलग अशुद्दा’’ जब वो जवानी को पहुचा तो हमने ‘‘वही’’ की। जाहिर सी बात अल्लाह किसी बच्चे को नबी या रसूल नही बनायेगा। इन सब आयातों से हमें वाजे इशारा मिलता कि निकाह उम्र 16 से उपर है जो कि पुख्तगी की उम्र है। ये कुरान में निकाह की उम्र के वाजे इशारे है। 

अब उनके दलाईल देखते जो हजरत आयशा रजि. की उम्र निकाह के वक्त 18 मानते है। इनकी तहक़ीक़ के मुताबिक आपका निकाह पहली हिजरी में 18 की उम्र में हुआ था। वो कहते की 6 साल वाली जितनी रिवायत मिलती है वो हदीस नही है वो ''अकवाले सहाबा'' है, यानि सहाबा सहाबीयात की बात है, हदीस की किताबों में दर्ज की गई है, हदीस वो होती है, जिसमें नबी सल्ल. की कही हुई बात आई हो। या कोई बात आप की तरफ मनसूब की गई हो, क्योंकि सल्ल. से मनसूब एक भी रिवायत नही है, जितनी भी है ह. आयशा रजि. से ह. हिशाम बिन उर्वा रजि से या कुछ सहाबी से रिवायत है।

दुसरा ‘‘असमा अल रिजाल’’ की किताबों के हिसाब से उनकी उम्र 18 साबित होती है। असमा अल रिजाल वो किताबें है जिसमें सहाबा सहाबीयात और हदीसों के बयान करने वाले रावियों की जिंदगी दर्ज है, कब पैदा हुये कब इंतकाल हुआ उनके वालिद कौन थे, जिंदगी में क्या कारनामें किये वगेराह। जैसे ‘‘मिस्कात अल मसाबिह’’ उर्दू जिल्द 3 पेज 614 में है "अल कामिल फि अस्मा अल रिजाल" (तहकीक जुबैर अली जई रह.)।

हजरत अस्मा बिन्ते अबुबक्र ह. आयशा रजि. की बडी बहन की जिंदगी के ताल्लुक से लिखा है ‘‘वो अपनी बहन उम्मुल मोमिनीन सयैदा आयशा रजि. से 10 साल बडी थी... इनकी वफात मक्का में 73 हिजरी में हुई तब आपकी उम्र 100 साल थी। ''इब्ने कसीर'' अल बिदाया जिल्द 8 और ''इमाम कुरतुबी-असमा अल सहाबा, ''इब्ने हजर असकलानी-अल सबाह फी तमीज अल सहाबा, ''अल्लामा इब्ने अल सयीर - अल कामिल फील तारिख, "मुहम्मद अल जहबी - तारिख अल इस्लाम व दफयात अल मशाहिर वल इस्लाम में भी यही लिखा है।

यानि ह. अस्मा रजि. की 73 हि. के आखिर में 100 साल की उम्र में वफात हुई इस हिसाब से (1) पहली हिजरी में ह. अस्मा 27 या 28 साल की थी और वो अपनी बहन ह. आयशा रजि. से 10 साल बडी थी तो इस हिसाब से ह. आयशा रजि. की उम्र (1) पहली हिजरी में 17 या 18 की हुई। और हिजरत के साल ही में आपका निकाह नबी करीम सल्ल. से हुआ था तब आपकी उम्र 18 साल थी। और अगर उन रिवायात को माने के 3 साल बाद बिदाई हुई तो उस वक्त ह. आइशा की उम्र 21 साल हुई। "अस्मा अल रिजाल" तमाम रिवायाती किताबों की बुनियाद है। इससे इंकार मुमकिन नहीं है।

सहीह बुखारी: 2880 जंगें उहुद में आयशा रजि. और उम्मे सलमा ह. अनस की वालिदा पायचें चढाये मसकीजों को भर कर दोड-दोड कर पानी पिला रही थी। ये जंग 3 हि. में हुई थी अगर रिवायात के हिसाब से 9 साल की थी तो इतनी छोटी बच्ची को जंग में कौन ले जायेगा। क्योकि नबी सल्ल. ने 14 साल के इब्ने उमर को जंग में जाने से मना किया था।

सहीह मुस्लिम: 1868 इब्ने उमर कहते में उहुद के दिन 14 साल का था सल्ल. जंग में ले जाने मना कर दिया। 14 साल के लडको को मना कर दिया तो फिर 9 साल आयशा रजि का वहां होना कैसे साबित होता है। इससे मालुम होता है कि वो बालिग थी उनकी उम्र 21 साल थी।

बुखारी: 4876 में सुराह कमर 54/46 के ताल्लुक से ह. आयशा रजि. बयान करती है ये सुराह की अयात नाजिल हुई तब में खेला करती थी। अक्सर तफसीर निगार का मानना है कि ये सुराह नुबुवत के चौथे साल नाजिल हुई थी नबी सल्ल. 13 साल मक्का में रहे फिर मदिना हिजरत की तब से हिजरी साल शुरू हुआ यानि ये सुराह पहली हि. में 9 साल पहले नाजिल हुई अगर ह. आयशा खेला करती थी और ये बात याद भी है तो 6 या 7 साल की रही होगी हिजरत के साल पहले साल निकाह हुआ तो 16 की उम्र रही होगी। इस रिवायात के हिसाब 6 साल तो नही हुई।

इब्ने हजर (अल-इसाबा फी तमीइज अल-सहाबा’’ जि. 4 स. 377) नबी सल्ल. 35 साल के थे तब ह. फातिमा रजि. पैदा हुई, फातिमा आयशा से 5 साल बडी थी, नबी सल्ल. 53 साल के थे तब ह. आयशा से निकाह हुआ तो ह. फातिमा 18 हुई तो आयशा रजि 13 की हुई 6 साल तो फिर भी नही बनता है। इमाम अल-तबरी (तारिख़ुल उमम वल ममलूक जि. 4 स. 50) ह. आइशा की पैदाइश नबूअत से पहले हुई थी। अगर एक साल पहले भी माने तो ह. आयशा रजि निकाह के वक़्त 14 की हुई। 6 साल तब भी नहीं बनता ।

तबकाद इब्ने शाद तारिख की किताब जिल्द 8 सहाबियात का बयान में ह. खौला रजि. ने हजरत खदिजा रजि. की वफात के बाद नबी सल्ल. से फरमाया आप निकाह क्यूं नही कर लेते नबी सल्ल. ने फरमाया जरूरत तो में महसूस करता हुं, क्यूंकि घर में बच्चें है उनका ख्याल भी रहता है क्या कोई रिश्ता है। तो फिर ह. खौला ने ह. आयशा और ह. शोदा जो 50 साल की बेवा थी दोनों से रिश्ते की बात की, ह. आयशा की वालिदा उम्मे रूमान ने कहा आयशा का रिश्ता हमनें जाबिर बिन मुतीम से तय कर रखा है वो लोग रूखसती नही ले रहे है क्योंकि हम मुस्लिम हो गये है।

इन रिवायात से ये मालुम होता है कि नबी सल्ल. बच्चों की देखरेख तरबियत का ख्याल करते हुए निकाह की जरूरत महसूस कर रहे थे। आप की उम्र 40 साल थी जब ह. खदिजा का इंतकाल हुआ ह. फातिमा सबसे छोटी 5 साल की है तीन बडी बहने और है जो 7-11 साल की रही होगी। उनका ख्याल और परवरिश करने के लिये 6 साल की छोटी बच्ची आयशा रजि. से निकाह कैसे किया जा सकता है। वो अपनो से बडे बच्चों को कैसे सभालेगी। फिर उम्मे रूमान कह रही है रिश्ता तय है वो रूकसती नही ले रहे है। तो क्या 6 साल की उम्र में ससुराल भेज रहे थे। क्या ये बात तस्लीम की जा सकती है। नतिजतन वो तकरीबन 18 साल की रही होगी।

इब्ने इशहाक किताबे तारिख में है, ह. आयशा रजि. नबुअत के शुरू के 3 साल के इमान लाने वालों में शामिल थी। अब 6 साल वाली रिवायात को माने तो पैदाईश से पहले इमान ले आई। इमान किसका माना जायेगा जो कम से कम 10 साल की उम्र का तो हो क्योकि नबी सल्ल. ने फरमाया जब बच्चे 10 के हो जाये मस्जिद में नमाज के लिये सख्ती करके ले जाओ। ह. आयशा शुरू के इमान वालों में शामिल थी कम से कम अगर 8 साल भी उम्र माने तो (1) पहली हि. में 18 की हुई। 

इस रिवायत के रावि ह. हिशाम बिन उर्वा 61 हि. में पैदा हुए तक़रीबन 70 साल की उम्र में इराक चले गये और वही उनकी वफात हुई। जब तक मदीना में रहे उन्होंने इस बात को रिवायत नहीं किया ये रिवायत इराक जाने बाद आई है ये इमाम मालिक के उस्तादों में से थे. हालाँकि ह. हिशाम रजि काबिले एतमाद रावियों में से है लेकिन इराक जाने के बाद इमाम मालिक ने कहा ह. हिशाम से इराक जाने के बाद रिवायत नही लेगें क्योंकि उनकी याददास्त सही नही रही थी. इसलिए इमाम मालिक ने अपनी किताब में इस ह. आयशा रजि. की उम्र और नबी सल्ल. पर जादू हुआ दोनों रिवायत को नही लिया। (तहजीबुल-तहजीब (रावी हदीस की जिंदगी और एतबार पर सबसे मशहूर किताबों में से है) इब्ने हजर असकलानी  जि 11 स 50) (मिजानुल ज़हबी जि. 4 स. 301)


हैरत की बात एक मअरुफ़ वाक़िया बयां किया जा रहा है इसमें सिर्फ एक रावि ह. हिशाम अपने वालिद से बयां कर रहे है 70 साल मदीना रहने के बावजूद और किसी ने बयां नहीं किया इस वाक़िये की तमाम रिवायत इराक के रावियों से बयां की गई है। इन रावियों में मदीना के रावी का ना होना तअजुब की बात है जबकि ह. आयशा ने अपनी जिंदगी बड़ा हिस्सा मदीना में गुजारा और यही वफ़ात भी पाई। ह. आयशा से दो हजार से ज्यादा रिवायत मिलती है लेकिन 6 साल निकाह वाली इराक के रावियों से मिलती है।


एक बात ये गौर करने लायक की अरब के मुशरिको ने नबी सल्ल बहुत सारे इल्ज़ाम लगाए लेकिन ये इल्जाम नहीं लगाया कि आप ने 6 साल की आयशा रजि से निकाह क्यों किया अगर ऐसा होता तो मुशरिक नबी सल्ल पर हर छोटी से छोटी बात पर इल्जामात लगाते थे ये जरूर कहते इसलिए नहीं कहा क्यूंकि इसकी वजह साफ़ थी वो आइशा रजि को जानते थे और वो बालिगा थी इसलिए ये इल्जाम नबी करीम सल्ल पर नहीं लगाया इससे भी वाजेह मालूम होता है कि आप की उम्र निकाह के वक़्त 18 साल ही रही होगी।


अगर नबी सल्ल. ने 6 साल की ह. आयशा से निकाह किया तो फिर सहाबा, ताबेइन, तबा ताबेइन, इमाम, मोहद्धसीन, उलेमाओं ने खुद का निकाह या अपनी बेटीयों का निकाह 6 साल की उम्र में क्यूं नही किया पहले और आज भी ऐसा देखने में नही आता है। दरअसल 6 साल वाली एक ही रिवायात मुख्तलिफ किताबों में दर्ज हो गई है इसलिए ज्यादातर लोग  इसी को सही मानते है लेकिन तहकीकात से नतीजा दूसरा निकलकर आता हैएक रिवायत में 7 साल का भी जिक्र मिलता है


दाउद: 2121 निकाह 7 उम्र साल थी मेरे पास आये (शबे जफाफ मनाई) 9 साल की थी। इस रिवायत में उम्र 7 साल है, बाकि रिवायात में 6 साल है आपस मे भी टकराव है। इस्लाम में निकाह के लिये मर्द और औरत दोनों का अपनी जुबान से निकाह कबूल करना जरूरी है, 6 साल की उम्र में कोई बालिग नही होता बालिग होने की उम्र का कुरान में सुराह निसा में इशारातन बयान किया है। इन सारी दलाईल से मालुम होता है कि ह. आयशा रजि. 18 साल की थी वो बालिग थी उनको अपने निकाह खुद कबूल करने और जिंदगी के फेसले लेने का हक था। 


अब उनके दलाइल देखते जो ह. आयशा रजि. की निकाह की उम्र 6 साल मानते है वो इन  रिवायत को पेश करते है। सहीह बुखारी: 5134 नबी सल्ल. से निकाह किया तो उन की उम्र 6 साल थी और जब उन से शोहबत की तो उनकी उम्र 9 साल थी। सुनन नसाई: 3380 नबी सल्ल. से निकाह हुआ तो 6 साल थी और घर में आबाद किया तो मे 9 साल की थी और गुडियों से खेला करती थी। अबू दाउद: 2121 निकाह 7 उम्र साल थी मेरे पास आये (सबे जफाफ मनाई) 9 साल की थी। और भी रिवायत है, उन सब रिवायत में 6 साल की उम्र बताई गई है।

दोनों तरफ की दलाईल देखने के बाद आप खुद से गौर फिक्र कर सकते है और नतिजे पर पहुंच सकते है इसमें क्या सही है और क्या सही नहीं है। मेरी राय में जो लोग ह. आयशा रजि. की उम्र 18 बताते है उनके सबुत ज्यादा पुख्ता है उसमें कुरान, रिवायात और तारिख के भी दलाईल मोजूद है, और अक्ल और फितरत भी इस बात को तस्लीम करती है।


गुजारिश - इस मसअलें पर इस्लाह पसंद उलमा ईकराम को दोनों तरफ के दलाईल को मद्देनज़र रख कर ततबिक तलाश करनी चाहिये। ताकि आवाम को सही मालुमात और रहनुमाई मिल सके।

हक़/सत्य बात जब कभी जिस किसी से भी और कहीं से भी मिले मान लेना ही हक़ दीन/सत्य धर्म है।

शेयर जरूर करे - जजाक अल्लाह।

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