Kya Islam Kesari/Jard/Bhagava/Saffron Rang Ke Kapde Pahanane Se Mana Karta Hai ? क्या इस्लाम केसरी/जर्द/भगवा/सैफरॉन रंग के कपड़े पहनने से मना करता है ?

एक सत्य ईश्वर (अल्लाह) के नाम से जो बड़ा कृपाशील, अत्यन्त दयावान है।

Bhagva Rang
Islam men Kesari/Jard/Bhagava/Saffron


अक्सर मुस्लिम और मुस्लिम उल्मा केसरिया/जर्द/जाफरान/भगवा/नारंगी रंग के कपडे पहनने को मना करते है। क्या वाकिय अल्लाह ने और उसके रसूल सल्ल. ने केसरिया/जर्द रंग के इस्तिमाल को मना किया है। इस पर गैर मुस्लिम भी यही समझते है कि अल्लाह और उसके रसूल मुस्लिमों को नफरत सिखाते है, हकीकत क्या है आइये जानते है।

पहले तो हम ये जाने कि सारी कायनात/यूनिवर्स एक सर्वशक्तिमान ईश्वर/अल्लाह ने बनाई है हर जीव, निर्जीव, फल, फुल पहाड और रंग भी सारे उस एक ही ने किसी से पूछकर नही बल्कि अपनी मर्जी से बनायें है, इस बात को हर आस्तिक चाहे मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम मानता है, तो फिर सब उस एक ही ने बनाया है तो वो किसी रंग से नफरत करना क्यों सिखाएगा ये गौर करने की बात है।

हालांकि तहकीक से पता चलता है कि ऐसा नही है, क्योंकि मुहम्मद सल्ल. की हदीस/वचन की किताबों में ये बात दर्ज/लिखी है कि आपको केसरिया/जर्द बहुत पंसद था और एक अजीम सहाबी/अनुयाई इब्ने उमर रजि. को भी ये रंग बहुत पंसद था। जो हदीस की किताबों सहीह बुखारी, सहीह मुुस्लिम, अबु दाउद, मिस्कात आदि में दर्ज/लिखा हुआ है। जैसे

ह. जुरेज रजि. से रिवायत है। कि मैंने मुहम्मद सल्ल. को देखा आप अपना कपडा जर्द/केसरिया रंग से रंगवाते है और केसरिया/जर्द रंग का खिजाब (बाल और दाडी पर जर्द रंग) लगाते है। इस पर ह. इब्ने उमर रजि. ने तसदीक की और कहा मैंने भी देखा आप सल्ल. केसरिया/जर्द रंग का खिजाब और कपडे रंगते है, इसलियेे में भी केसरिया/जर्द को पसंद करता हूँ ।
हदीस: सहीह बुखारी नं. 5851

ह. जैद बिन असलम से रिवायत है। कि ह. इब्ने उमर रजि. अपनी दाढी केसरिया/जर्द/जाफरान रंग से रंगते थे यहां तक के उनके कपडे जर्दी से भर जाते थे, उन से पूछा गया कि आप जर्द रंग से क्यों रंगते हो? तो उन्होने कहा में ने नबी सल्ल. का इस रंग से रंगते देखा है, आप को इससे ज्यादा कोई और चीज पंसद ना थी, आप अपने तमाम कपडे यहां तक के अमामा/पगडी को भी इसी रंग से रंगते थे।
हदीस: सुनन अबु दाऊद नं. 4064

एक बडी हदीस का हिस्सा है नबी करीम सल्ल. ने फरमाया हजरत ईसा अले. को अल्लाह दमीशक की मस्जिद में सफेद मिनार के करीब दो केसरी रंग के कपडे पहने हुवे दो फरिश्तों के कंधों पर हाथ रखे हुए उतारेगें।
हदीस: सहीह मुस्लिम नं. 7373/2937

यानि ईसा अले. केसरी रंग के कपडें पहने हुए जमीन पर आयेगें और दज्जाल का कत्ल करेगें और ऐसा नही है कि ईसा अले. कोई नई शरियत लेकर आयेगें आप मुहम्मद सल्ल. की लाई हुई शरियत पर ही अमल करेंगें इस शरियत में केसरी/जर्द रंग पहनना मना नही है अल्लाह खुद ईसा अले. को केसरी रंग के लिबास में उतारेगा। एक हदीस में आप सल्ल. ने ये फरमाया।

जब ईसा अले. आयेगें और मुस्लमानों की कयादत और इमामत करेंगें तो अल्लाह के नाजिल कर्दा कुरान और नबी सल्ल. की सुन्नत के साथ तुम्हारी कयादत और इमामत करेगें। यानि नबी सल्ल. की शरियत पर ही अमल करेगें
हदीस: सहीह मुस्लिम नं. 394/155

एक रिवायत में ये भी मिलता है कि आप सल्ल. की कब्र मुबारक पर भी सूर्ख यानि जाफरान रंग का कपडा बिछाया गया था।
हदीस मुस्लिम नं. 2241 मिस्कात नं. 1694

इन सब दलीलों से साफ मालुम होता है कि केसरिया/जर्द रंग मना नही है बल्कि कुरान में भी इस रंग का जिक्र मिलता है जब मुसा अले. की कौम से एक जानवर की कुर्बानी मांगी गई तो बनी इस्राइल ने कहा कि अल्लाह किस रंग के जानवर की कुर्बानी चहाता है तो अल्लाह ने कहा केसरी/जर्द रंग की होनी चाहिये।
कुरान सुराह बकराह 2/ आयात नं. 69

अल्लाह खुद इस रंग की कुर्बानी को पंसद करता है और ईसा अले. को भी इसी रंग के लिबास में जमीन पर भेजेगा और नबी सल्ल. को भी ये रंग पसंद था। लेकिन अल्लाह/ईश्वर चाहे तो किसी भी चीज को जो उसने पैदा की है इस्तिमाल करने से मना कर सकता है वो अकेला हर चीज का मालिक है।

अब इस पर जो लोग मुहम्मद सल्ल. की हदीस/वचन की किताब सहीह मुस्लिम का हवाला देते है उसमें मुहम्मद सल्ल. ने केसरिया/जर्द या भगवा रंग पहनने से मना किया है, उसमें 3 रिवायत मिलती है सहीह मुस्लिम नं. 5434, 5435, 5436 जिसमें कहा गया कि इस रंग कपडों को मत पहनो या जला दो।

यहां हमें समझने और गौर करने की जरूरत है क्योंकि ये रिवायतें खुद इसी किताब सहीह मुस्लिम ही की दुसरी हदीस से टकराती है, या ये उस वक्त किसी खास मसले या शख्सीयत और खास वक्त के लिये थी। सारी आवाम के लिये नही कही होगी

और इस रंग के कपडे ना पहनने या जला देने की कोई वजह भी नहीं बताई गई है हालाँकि नबी सल्ल. जब भी ऐसी कोई बात बयान करते उसकी वजह भी साथ ही बता दिया करते थे या फिर आपके सहाबी इस पर सवाल करते तो आप वजह बयान कर देते या फिर अल्लाह की तरफ से वही आ जाती थी लेकिन इस मसले पर ऐसी कोई वजह सामने नहीं आती है। या फिर ये रिवायत सही नही है। क्योंकि सहीह बुखारी और मुस्लिम और अबु दाउद और कुरान में साफ है अल्लाह और उसके रसूल इस रंग को पंसद करते है।

इस मसले में सही बात यही है कि अल्लाह और उसके रसूल सल्ल. ने केसरी/जर्द/जाफरान/भगवा रंग का कपडा/लिबास या कोई चीज इस्तिमाल करने से मना नही किया है। और इस रंग के कपड़े या कोई भी चीज इस्तेमाल करना फर्ज नही है, जिसको पसंद नही है तो ना पहने हर इंसान को उसने आज़ाद पैदा किया है। 

गुजारिश - इस मसअलें पर इस्लाह पसंद उलमा ईकराम को दोनों तरफ के दलाईल को मद्देनज़र रख कर ततबिक तलाश करनी चाहिये। ताकि आवाम को सही मालुमात और रहनुमाई मिल सके।

हक़/सत्य बात जब कभी जिस किसी से भी और कहीं से भी मिले मान लेना ही हक़ दीन/सत्य धर्म है।


शेयर जरूर करे - जजाक अल्लाह/धन्यवाद

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