ईश्वर किसी को पथभ्रष्ठ (गुमराह) नही करता | Ishvar Kisi Ko Pathabhrasht (Misguided) Gumrah Nahi Karta

ईश्वर किसी को पथभ्रष्ठ (गुमराह) नही करता

Ishvar Kisi Ko (Misguided) Gumrah Nahi Karta
Ishvar Kisi Ko (Misguided) Gumrah Nahi Karta

एक सत्य ईश्वर के नाम से जो बड़ा कृपाशील है ।

        मनुष्य को तीन जगह से शिक्षा लेता है, माता-पिता से, स्कूल से और दुनिया से, पहली दो में जो सिखाया जाता है, तीसरी में उनका खंडन करते हुए अपने अनुभव का उपयोग का करता है, लेकिन जब धर्म की बात आती है तो आंखे, बुद्धि और विवेक को बंद कर लोगों की बेबुनियाद बातों पर विश्वास कर पाखंड और अंधविश्वास के समुद्र में गोते खाता रहता है, और अपने जीवन को कठनाई डाल देता है, अपने धन को व्यर्थ और शरीर, मन-मष्तिष्क को परेशानी में डाल पूरा जीवन कष्ट भोगता है, जबकि ईश्वर ने उसको गाईड बुक धर्म ग्रंथ दिए है, उसको पढ़ कर लाभ नही उठता और अज्ञानता का परिचय देता है ग्रंथ कहते है।
 
क्रत्वः समहदीनता प्रतीपं जगमा शुचे मृळा सुक्षत्र मृळया ।
अर्थ : हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर हम अपनी अज्ञानता से पथभ्रष्ठ होते हैं, हम पर कृपा करें।
वेद (ऋग्वेद 7:89:3)
 
इन्नल्ला-ह ला यज्लिमुन्ना-स शैव-वलाकिन्नन्ना-स अन्फुसहुम् यग्लिमून
अर्थ : निःसंदेह अल्लाह (एक सत्य ईश्वर) मनुष्यों पर कुछ जुल्म नहीं करता किन्तु लोग स्वयं अपने आप पर जुल्म करते हुए परेशान हैं।
क़ुरान (सुराह यूनुस 10/44)
 
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शान्ति का पैग़ाम
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