जीवन-मृत्यु का मालिक ईश्वर है
मनुष्य पर जब भी कोई मुसीबत आती है चाहे वो काम धंधे की हो, रिश्तों की हो, या बीमारियों की हो, अगर उसका अपना कोई बीमार है उसके लिए वो सारे अस्पताल सारे दर-दीवार पेड़-पहाड़ या जहां-जहां लोग उसको बताए मन्नते-मुरादे सारे जतन कर लेता है, लेकिन फिर भी अगर उसके प्राण ना बचा सका, तो अततः कहता है जैसी ईश्वर की इच्छा, ईश्वर ने जीवन इतना ही लिखा था, मनुष्य कैसी प्रवर्ति है,बुरा हुआ तो ईश्वर की इच्छा और दुनियां में जो कुछ भी अच्छा हुआ तो दर-दीवार, पेड़-पहाड़, डॉक्टर, उसकी-इसकी कृपा है, हालांकि हर मनुष्य की जीवन-मृत्यु और जीविका-कृपा एक सत्य ईश्वर के हाथ में है, यही धर्मग्रन्थ कहते है ।
यो मारयति प्रणायति यस्मात प्राणन्ति भुवनानि विशवा
अर्थ : जो परमेश्वर मारता है और प्राण प्रदान करता है और जिसकी कृपा से सभी जीव जीवित रहते है
वेद (अर्थवेद 13:3:3)
اَللّٰهُ الَّذِىۡ خَلَقَكُمۡ ثُمَّ رَزَقَكُمۡ ثُمَّ يُمِيۡتُكُمۡ ثُمَّ يُحۡيِيۡكُمۡ ؕ
अर्थ : एक ही ईश्वर है जिसने तुम्हे पैदा किया फिर तुम्हे रोजी (जीविका) दी फिर तुम्हे मौत देता है, फिर तुम्हे जीवित करेगा
कुरान (सुराह रूम 30/40)
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शान्ति का पैग़ाम