Allah Ne Quran Men Tumhara Naam Muslim Rakha Hai

अल्लाह ने तुम्हारा नाम मुस्लिम (मुसलमान) रखा है.

Allah Ne Quran Men Tumhara Naam Muslim Rakha Hai
Allah Ne Quran Men Tumhara Naam Muslim Rakha Hai 


मैने बड़ी कोशिश की के क़ुरान पढ़ कर खुद को किसी जमात या फिरके से साबित करूँ मगर नाकाम रहा.
मैने तमाम क़ुरानी सूरते पढ़ी मगर मुझे ना कोई शिया मिला ना सुन्नी ना सूफ़ी ना बरेलवी ना देवबंदी ना ही अहले हदीस.
बल्कि जो मिला वो तो...

इरशादे बारी त'आला है.
अल्लाह ने पहले भी तुम्हारा नाम मुस्लिम रखा था और इस (क़ुरान) में भी (तुम्हारा यही नाम है) ताकि रसूल सल्ल. तुम पर गवाह हो
क़ुरान (सुराह हज 22/78)

मैने कोशिश की के मुहम्मद सल्ल. की जिंदगी पढ़ कर अपने आप को किसी फिरके या जमात से जोड़ू मगर यहाँ भी मुझे नाकामी हुई.

हर जगह सिवाए एक मुसलमान के (मुस्लिम) के अपनी दूसरी पहचान ना मिली.
अगर फिरके का कही ज़िक्र आया भी तो रद्द करने के अंदाज़ में एक गुनाह, एक तम्बीह की हैसियत से.

इरशादे बारी त'आला है.
सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मजबूती से थाम लो और फिर्को में मत बतो.
क़ुरान (सुराह अले इमरान 3/105)

जिन लोगो ने अपने दिन को टुकड़े-टुकड़े कर लिया और गिरोह-गिरोह बन गये आपका (यानि नबी करीम सल्ल.का) इनसे कोई ताल्लुक नही, इनका मामला अल्लाह के हवाले है वही इन्हे बताएगा की इन्होने क्या कुछ किया है.
क़ुरान (सुराह अनाम 6/159)

इन सब वजेह अहकामत के बावजूद आज हम मुसलमान के अलावा सब कुछ है.
हम फिर्को में इतने बुरी तरह से फँस गये है के हमारी शिनाखत ही गुम हो गये है.

इरशादे बारी त'आला है.
फिर इन्होने खुद ही अपने दिन के टुकड़े-टुकड़े कर लिए हर गिरोह जो कुछ इसके पास है इसी में मगन है.
क़ुरान (सुराह मोमिनून  23/53)

हम हमारे आपसी इख्तिलाफ को अल्लाह के हवाले क्यूँ नही करते खुद फ़ैसला करने बैठ जाते है.

इरशादे बारी त'आला है.
तुम्हारे दरमियान जिस मामले में भी इख्तिलाफ हो उसका फ़ैसला करना अल्लाह का काम है.
क़ुरान (सुराह शूरा 42/10)

जो आपके रब ने (नाज़िल किया) उतारा है उसके हिसाब से फैसला ना करे वही तो काफिर है
वही तो जालिम है, वही तो फ़ासिक़ है ।
क़ुरान (सुराह माएदा 5/44,45,47)

बल्कि हमें तो ये हुक्म दिया गया है.

इरशादे बारी त'आला है.
बेशक सारे मुसलमान भाई-भाई है, अपने भाइयो में सुलह वा मिलाप करा दिया करो और अल्लाह से डरते रहो ताकि तुम पर रहम किया जाए.
क़ुरान (सुराह हुजूरत 49/10)

ALLAH HAME HAQ BAAT SAMJHNE KI AUR SAHI AMAL KARNE KI TOFFIK ATA FARMAYE. {AAMIN}
 
हर मुसलमान इमाम के पीछे नमाज कबूल होती है
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