Baat To Sochane Samjhane Ki Hai | बात तो सोचने समझने की है | it's a matter of understanding

बात तो सोचने समझने की है ...

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पृथ्वी और आकाश में लाखों तरह के जीव है, सभी के शरीर, आंखे, हाथ, पैर, सिर, मुंह की बनावट अलग-अलग है, लेकिन एक मनुष्य ही है जो सारे संसार में एक जैसा है, वही दो आंखे, नाक, दांत, कान, जुबान, हाथ, पैर, आदि, बस पहचान के लिए शक्ल सूरत और रंग अलग-अलग है, फिर भी कोई कहता है मुझे ब्रह्मा ने पैदा किया, कोई कहता है मुझे अल्लाह ने, कोई कहता मुझे गॉड ने, लेकिन सोचने की बात है जब हम एक ही कंपनी की बहुत सी मोटरसाइकिल (बाइक) एक जगह देखते है चाहे रंग अलग-अलग हो तो हम फ़ौरन कह देते है की ये Hiro कंपनी है एक ही कम्पनी ने बनाई है

लेकिन जब मनुष्य की बात आती है तो सोच बदल लेते है कही ऐसा तो नही सबको बनाने वाला एक ही है, यकीनन हम सब यही कहते है आप किसी से पूछेंगे ईश्वर एक है या अनेक अगर वो आस्तिक है तो कहेगा एक है ''सबका मालिक एक'' फर्क इतना सा है के कहता जरूर है लेकिन मानता नही है आइये "धार्मिक ग्रन्थों" में देखते है ।


सारे संसार का ईश्वर केवल एक ही है

एकं ब्रम्हा द्वितीय नास्ते, नेह, ना, नास्ते किंचन

वेदसार (ब्रह्मसूत्र) मूलमंत्र

अर्थ : ईश्वर एक है दूसरा नही है, नही है, नही है, अंश मात्र भी नही है।


ला इला ह इल्लल्लाह

क़ुरान का सार (मूलमंत्र)

अर्थ : एक सत्य ईश्वर के सिवा कोई ईश्वर नही है


खसम की नदरि दिलहि पसिंदे जिनी करि इकु धिआईआ ।।3।।

श्री गुरु ग्रन्थ साहिब (सिरिरागु, महला 1)

अर्थ : ईश्वर की उनके प्रति करुणा होती है और उसके मन को वो पसंद है जो केवल उस एक का ध्यान करते है


The Lord our GOD is one lord

Bible (Book Mark 12 : 29)

अर्थ : केवल हमारा परमेश्वर ही एक मात्र प्रभु है

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एक सत्य ईश्वर सबको सद्बुद्धि दे

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शांति का पैग़ाम

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