Sab Kuch Uske Samarthy (Control) Main hai | सब कुछ उसके सामर्थ्य में है

 सब कुछ उसके सामर्थ्य में है

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Sab Kuch Uske Samarthy Main hai

एक सत्य ईश्वर के नाम से जो बड़ा कृपाशील है।

        र्वशक्तिमान परमेश्वर ब्रम्हाण्ड सम्पूर्ण जगत की सीमा से परे है उसका ना कोई आकार-प्रकार है, वो सारे बंधनों से मुक्त है, और पृथ्वी, आकाश, पानी, सूरज, चंद्र, सितारे, ग्रह कोई भी उसकी व्यापक्ता को नही पा सकते है, न कोई उसके ज्ञान के किसी भाग को पा सकता है, सिवाय इसके के वो मनुष्य को जितना ज्ञान देना चाहे

मनुष्य उसकी बनाई हुई सृष्टि के नियमों पर नियंत्रण भी नही कर सकता चाहे कोई हो पृथ्वी और ग्रहों की गति, सूरज का ताप, हवा और वर्षा की दिशा वगैरह, ना कोई इस धरती की किसी वस्तु को नष्ट कर सकता है सिर्फ रूप परिवर्तीत कर सकता है, जैसे पानी को भाप-बर्फ, लकड़ी को कोयला फिर राख इससे ज्यादा किसी के बस में नही है, मनुष्य उस एक सत्य ईश्वर के सामर्थ्य के आगे बहुत तुच्छ है, यही बात धर्मग्रंथ कहते है।


न यस्य द्यावापृथिवी अनु व्यचो न सिन्धवो रजसो अन्तमानशुः।
नोत स्ववृष्टिं मदें अस्य युध्यत एको अन्यच् चकृषे विश्वमानुषक ।

अर्थ : न पृथ्वी और आकाश उस परमेश्वर की व्यापक्ता की सीमा को पा सकते हैं, और न अन्य ग्रह, और न आकाश से बरसने वाली वर्षा, उस एक के सिवाय कोई दूसरा इस जगत पर सामर्थ्य नहीं रखता।

वेद (ऋग्वेद 1:52:14)

 
वलायुहीतू-न बिशैइम्मिन् इल्मिही इल्ला बिमा शा-अ वसि-अ कुर्सिय्युहुस्समावाति वल्अर्ज़

अर्थ : और वे लोग उस ईश्वर के ज्ञान का किसी भाग का व्यापक आभास नहीं कर सकते सिवाय उतने के जो वह स्वयं चाहे । उसका सामर्थ्य आकाशों और पृथ्वी पर विस्तृत है।

क़ुरान (सुराह 2/255)
 

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शान्ति का पैग़ाम
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