लेखक : प्रोफ़ेसर के. एस. रामा कृष्णा राव की पुस्तक मुहम्मद सल्ल. इस्लाम के पैग़म्बर के कूछ अंश पूरी पुस्तक पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करे
https://www.iiecindia.com/2020/11/muhammad-saw-islam-ke-paigamber-book-k.html
मुहम्मद सल्ल. विश्वसनीय व्यक्तित्व (अल-अमीन) सुनहरे साधन

Prophet Muhammad

इस्लाम
का राजनैतिक और आर्थिक व्यवस्था से सीधा संबंध नहीं है, बल्कि यह संबंध
अप्रत्यक्ष रूप में है और जहाँ तक राजनैतिक और आर्थिक मामले इंसान के आचार
व्यवहार को प्रभावित करते हैं, उस सीमा में दोनों क्षेत्रों में निस्सन्देह
उसने कई अत्यन्त महत्वपूर्ण सिद्धान्त प्रतिपादित किए हैं। प्रोफ़सर
मेसिंगनन के अनुसार ‘इस्लाम दो प्रतिकूल अतिशयों के बीच सन्तुलन स्थापित
करता है और चरित्र-निर्माण का, जो कि सभ्यता की बुनियाद है, सदैव ध्यान में
रखता है।’ इस उद्देश्य को प्राप्त करने और समाज-विरोधी तत्वों पर क़ाबू
पाने के लिए इस्लाम अपने विरासत के क़ानून और संगठित एवं अनिवार्य ज़कात की
व्यवस्था से काम लेता है। और एकाधिकार (इजारादारी), सूदख़ोरी, अप्राप्त
आमदनियों व लाभों को पहले ही निश्चित कर लेने, मंडियो पर क़ब्ज़ा कर लेने,
ज़ख़ीरा अन्दोज़ी (Hoarding)
बाज़ार का सारा सामान ख़रीदकर कीमतें बढ़ाने के लिए कृत्रिम अभाव पैदा करना,
इन सब कामों को इस्लाम ने अवैध घोषित किया है। इस्लाम में जुआ भी अवैध है।
जबकि शिक्षा-संस्थाओं, इबादतगाहों तथा चिकित्सालयों की सहायता करने, कुएँ
खोदने, यतीमख़ाने स्थापित करने को पुण्यतम काम घोषित किया। कहा जाता है कि
यतीमख़ानों की स्थापना का आरम्भ पैग़म्बरे-इस्लाम की शिक्षा से ही हुआ। आज का
संसार अपने यतीमख़ानों की स्थापना के लिए उसी पैग़म्बर का आभारी है, जो कि
ख़ुद यतीम था। कारलायल पैग़म्बर मुहम्मद के बारे में अपने उद्गाार प्रकट करते
हुए कहता है-
‘‘ये
सब भलाइयाँ बताती हैं कि प्रकृति की गोद में पले-बढ़े मरुस्थलीय पुत्र के
हृदय में, मानवता, दया और समता के भाव का नैसर्गिक वास था।’’
एक इतिहासकार का कथन है कि किसी महान व्यक्ति की परख तीन बातों से की जा सकती है-
1. क्या उसके समकालीन लोगों ने उसे साहसी, तेजस्वी और सच्चे आचरण का पाया?
2. क्या उसने अपने युग के स्तरों से उँचा उठने में उल्लेखनीय महानता का परिचय दिया?
3. क्या उसने सामान्यतः पूरे संसार के लिए अपने पीछे कोई स्थाई धरोहर छोड़ी?
इस
सूचि को और लम्बा किया जा सकता है, लेकिन जहाँ तक पैग़म्बर मुहम्मद का
संबंध है वे जाँच की इन तीनों कसौटियों पर पूर्णतः खरे उतरते हैं। अन्तिम
दो बातों के संबंध में कुछ प्रमाणों का पहले ही उल्लेख किया जा चुका है। इन
तीन कसौटियों में पहली है, क्या पैग़म्बरे-इस्लाम को आपके समकालीन लोगों ने
तेजस्वी, साहसी और सच्चे आचरण वाला पाया था?
Muhammad SAW. Islam Ke Peghamber (Prof. Rama Krishna Rao) Book.pdf Download