पैग़म्बर मुहम्मद सल्ल. से अमर प्रेम करने वाले अनुयायी

 लेखक  : प्रोफ़ेसर के. एस. रामा कृष्णा राव की पुस्तक मुहम्मद सल्ल.  इस्लाम के पैग़म्बर के कूछ अंश पूरी पुस्तक पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करे 

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पैग़म्बर मुहम्मद सल्ल. से अमर प्रेम

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Prophet Muhammad
 

आरम्भिक काल के इस्लाम स्वीकार करने वालों के ऐतिहासिक किस्से पढ़िए तो इन बेक़ुसूर मर्दों और औरतों पर ढाए गए ग़ैर इंसानी अत्याचारों को देखकर कौन-सा दिल है जो रो न पड़ेगा? एक मासूम औरत सुमैया को बेरहमी के साथ बरछे मार-मार कर हलाक कर डाला गया। एक मिसाल यासिर की भी है, जिनकी टांगों को दो ऊटों से बाँध दिया गया और फिर उन ऊँटों को विपरित दिशा में हाँका गया। ख़ब्बाब बिन अरत को धधकते हुए कोयलों पर लिटाकर निर्दयी ज़ालिम उनके सीने पर खड़ा हो गया, ताकि वे हिल-डुल न सकें, यहाँ तक कि उनकी खाल जल गई और चर्बी पिघलकर निकल पड़ी। और ख़ब्बाब बिन अरत के गोश्त को निर्ममता से नोच-नोचकर तथा उनके अंग काट-काटकर उनकी हत्या की गई। इन यातनाओं के दौरान उनसे पूछा गया कि क्या अब वे यह न चाहेंगे कि उनकी जगह पर पैग़म्बर मुहम्मद होते ? (जो कि उस वक़्त अपने घरवालों के साथ अपने घर में थे) तो पीड़ित ख़्ब्बाब ने ऊँचे स्वर में कहा कि पैग़म्बर मुहम्मद को एक कांटा चुभने की मामूली तकलीफ़ से बचाने के लिए भी वे अपनी जान, अपने बच्चों एवं परिवार, अपना सब कुछ कु़र्बान करने के लिए तैयार हैं। इस तरह के दिल दहलाने वाले बहुत-से वाक़िए पेश किए जा सकते हैं, लेकिन ये सब घटनाएँ आख़िर क्या सिद्ध करती हैं? ऐसा कैसे हो सका कि इस्लाम के इन बेटे और बेटियों ने अपने पैग़म्बर के प्रति केवल निष्ठा ही नहीं दिखाई, बल्कि उन्होंने अपने शरीर, हृदय और आत्मा का नज़राना पैश किया ?
पैग़म्बर मुहम्मद के प्रति उनके निकटतम अनुयायियों की यह दृृढ़ आस्था और विश्वास, क्या उस कार्य के प्रति, जो पैग़म्बर मुहम्मद के सुपुर्द किया गया था, उनकी ईमानदारी, निष्पक्षता तथा तन्मयता का अत्यन्त उत्तम प्रमाण नहीं है?

उच्च सामर्थ्यवान अनुयायी

ध्यान रहे कि ये लोग न तो निचले दर्जे के लोग थे और न कम अक़्ल वाले। आपके मिशन के आरम्भिक काल में जो लोग आपके चारों ओर जमा हुए वे मक्का के श्रेठतम लोग थे, उसके फूल और मक्खन, ऊँचे दर्जे के, धनी और सभ्य लोग थे। इनमें आपके ख़ानदान और परिवार के क़रीबी लोग भी थे जो आपकी अन्दरूनी और बाहरी जिन्दगी से भली-भँाति परिचित थे। आरम्भ के चारों ख़लीफ़ा भी, जो कि महान व्यक्तित्व के मालिक हुए, इस्लाम के आरम्भिक काल ही में इस्लाम में दाख़िल हुए।
‘इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका’ में उल्लिखित है- ‘‘समस्त पैग़म्बरों और धर्मिक क्षेत्र के महान व्यक्तित्वों में मुहम्मद सबसे ज़्यादा सफल हुए हैं।’’
लेकिन यह सफलता कोई आकस्मित चीज़ न थी। न ऐसा ही है कि यह आसमान से अचानक आ गिरी हो, बल्कि यह उस वास्तविकता का फल थी कि आपके समकालीन लोगों ने आपके व्यक्तित्व को साहसी और निष्कपट पाया। यह आपके प्रशंसनीय और अत्यन्त प्रभावशाली व्यक्तित्व का फल था।

 

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