लेखक : प्रोफ़ेसर के. एस. रामा कृष्णा राव की पुस्तक मुहम्मद सल्ल. इस्लाम के पैग़म्बर के कूछ अंश पूरी पुस्तक पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करे
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मुहम्मद सल्ल. अपना काम स्वयं करने वाले

Prophet Muhammad

मक्का
पर विजय के बाद 10 लाख वर्गमील से अधिक ज़मीन हज़रत मुहम्मद के क़दमों तले
थी। आप पूरे अरब के मालिक थे, लेकिन फिर भी आप मोटे-झोटे वस्त्र पहनते,
वस्त्रों और जूतों की मरम्मत स्वयं करते, बकरियाँ दूहते, घर में झाडू़
लगाते, आग जलाते और घर-परिवार का छोटे-से-छोटा काम भी ख़ुद कर लेते। इस्लाम
के पैग़म्बर के जीवन के आख़िरी दिनों में पूरा मदीना धनवान हो चुका था। हर
जगह दौलत की बहुतात थी, लेकिन इसके बावजूद ‘अरब के इस सम्राट’ के घर के
चूल्हे मेें कई-कई हफ़्ते तक आग न जलती थी और खजूरों और पानी पर गुज़ारा होता
था। आपके घरवालों की लगातार कई-कई रातें भूखे पेट गुज़र जातीं, क्योंकि
उनके पास शाम को खाने के लिए कुछ भी न होता। तमाम दिन व्यस्त रहने के बाद
रात को आप नर्म बिस्तर पर नहीं, खजूर की चटाई पर सोते। अकसर ऐसा होता कि
आपकी अँाखों से आँसू बह रहे होते और आप अपने से्रष्टा से दुआएँ कर रहे होते
कि वह आपको ऐसी शक्ति दे कि आप अपने कर्तव्यों को पूरा कर सकें। रिवायतों
से मालूम होता है कि रोते-रोते आपकी आवाज़ रुँध जाती थी और ऐसा लगता जैसे
कोई बर्तन आग पर रखा हुआ हो और उसमें पानी उबलने लगा हो । आपके देहान्त के
दिन आपकी कुल पूँजी कुछ थोड़े से सिक्के थे, जिनका एक भाग क़र्ज़ की अदायगी
में काम आया और बाक़ी एक ज़रूरतमंद को दे दिया गया, जो आपके घर दान माँगने आ
गया था। जिन
वस्त्रों में आपने अंतिम साँस लिए उनमें अनेक पैवन्द लगे हुए थे। वह घर
जिससे पूरी दुनिया में रोशनी फैली, वह ज़ाहिरी तौर पर अन्धेरों में डूबा हुआ
था, क्योकि चिराग़ जलाने के लिए घर में तेल न था।
अनुकूल-प्रतिकूल: प्रत्येक परिस्थिति में एक समान
परिस्थितियाँ बदल गई, लेकिन ख़़ुदा का पैग़म्बर नहीं बदला। जीत हुई हो या हार, सत्ता प्राप्त हुई हो या इसके विपरीत की स्थिति हो, ख़ुशहाली रही हो या ग़रीबी, प्रत्येक दशा में आप एक-से रहे, कभी आपके उच्च चरित्र में अन्तर न आया। ख़़ुदा के मार्ग और उसके क़ानूनों की तरह ख़ुदा के पेग़म्बर में भी कभी कोई तब्दीली नहीं आया करती।
Muhammad SAW. Islam Ke Peghamber (Prof. Rama Krishna Rao) Book.pdf Download