लेखक : प्रोफ़ेसर के. एस. रामा कृष्णा राव की पुस्तक मुहम्मद सल्ल. इस्लाम के पैग़म्बर के कूछ अंश पूरी पुस्तक पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करे
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इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद सल्ल. निरक्षर ईशदूत

Prophet Muhammad
हज़रत
मुहम्मद ने एथेन्स, रोम, ईरान, भारत या चीन के ज्ञान-केंद्रों से दर्शन का
ज्ञान प्राप्त नहीं किया था, लेकिन आपने मानवता को चिरस्थायी महत्व की
उच्चतम सच्चाइयों से परिचित कराया। वे निरक्षर थे, लेकिन उनको ऐसे भाव
पूर्ण और उत्साहपूर्ण भाषण करने की योग्यता प्राप्त थी कि लोग भाव-विभोर हो
उठते और उनकी आँखों से आँसू फूट पड़ते। वे अनाथ थे और घनहीन भी, लेकिन
जन-जन के हृदय में उनके प्रति प्रेमभाव था। उन्होंने किसी सैन्य अकादमी से
शिक्षा ग्रहण नही की थी, लेकिन फिर भी उन्होने भयंकर कठिनाइयों और रुकावटो
के बावजूद सैन्य शक्ति जुटाई और अपनी आत्मशक्ति के बल पर, जिसमें आप अग्रणी
थे, कितनी ही विजय प्राप्त कीं। कुशलतापूर्ण धर्म-प्रचार करनेवाले ईश्वर
प्रदत्त योग्यताओं के लोग कम ही मिलते हैं। डेकार्ड के अनुसार, ‘‘आदर्श उपदेशक संसार के दुर्लभतम प्राणियों में से है।’’ हिटलर ने भी अपनी पुस्तक ''Mein Kampf" (मेरी जीवनगाथा) में इसी तरह का विचार व्यक्त किया है। वह लिखता है-
‘‘महान सिद्धान्तशास्त्री कभी-कभार ही महान नेता होता है। इसके विपरीत एक आन्दोलनकारी व्यक्ति म¢ं नेतृत्व की योग्यताएँ अधिक होती हैं। वह हमेशा एक बेहतर नेता होगा, क्या¢ंकि नेतृत्व का अर्थ होता है, अवाम को प्रभावित एवं संचालित करने की क्षमता। जन-नेतृत्व की क्षमता का नया विचार देने की योग्यता से कोई सम्बंध नहीं है।’’
लेकिन वह आगे कहता है-
‘‘इस धरती पर एक ही व्यक्ति सिद्धांतशास्त्री भी हो, संयोजक भी हो और नेता भी, यह दुर्लभ है। किन्तु महानता इसी में निहित है।’’
पैग़म्बरे-इस्लाम मुहम्मद के व्यक्तित्व में संसार ने इस दुर्लभतम उपलब्धि को सजीव एवं साकार देखा है। इससे अधिक विस्मयकारी है वह टिप्पणी, जो बास्वर्थ स्मिथ ने की है-
‘‘वे जैसे सांसारिक राजसत्ता के प्रमुख थे, वैसे ही दीनी पेशवा भी थे। मानो पोप और क़ेसर दोनों का व्यक्तित्व उन अकेले में एकीभूत हो गया था। वे सीज़र (बादशाह) भी थे पोप (धर्मगुरु) भी। वे पोप थे किन्तु पोप के आडम्बर से मुक्त। और वे ऐसे क़ेसर थे, जिनके पास राजसी ठाट-बाट, आगे-पीछे अंगरक्षक और राजमहल न थे, राजस्व-प्राप्ति की विशिष्ट व्यवस्था। यदि कोई व्यक्ति यह कहने का अधिकारी है कि उसने दैवी अधिकार से राज किया तो वे मुहम्मद ही हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें बाह्य साधनों और सहायक चीजों के बिना ही राज करने की शक्ति प्राप्त थी। आपको इसकी परवाह नहीं थी कि जो शक्ति आपको प्राप्त थी उसके प्रदर्शन के लिए कोई आयोजन करें। आपके निजी जीवन में जो सादगी थी, वही सादगी आपके सार्वजनिक जीवन में भी पाई जाती थी।’’
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