पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. की सत्यवादी (अस-सादिक़) मानव-जीवन के लिए उत्कृष्ट नमूना

लेखक  : प्रोफ़ेसर के. एस. रामा कृष्णा राव की पुस्तक मुहम्मद सल्ल.  इस्लाम के पैग़म्बर के कूछ अंश पूरी पुस्तक पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करे 

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सत्यवादी (अस-सादिक़) मानव-जीवन के लिए उत्कृष्ट नमूना

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Prophet Muhammad
 

पैग़म्बर मुहम्मद के व्यक्तित्व की सभी यथार्थताओं को जान लेना बड़ा कठिन काम है। मैं तो उसकी बस कुछ झलकियाँ ही देख सका हूँ। आपके व्यक्तित्व के कैसे-कैसे मनभावन दृश्य निरन्तर नाटकीय प्रभाव के साथ सामने आते हैं। पैग़म्बर मुहम्मद कई हैसियत से हमारे सामने आते है- मुहम्मद-पैगम्बर, मुहम्मद-जनरल, मुहम्मद-शासक, मुहम्मद-योद्धा, मुहम्मद-व्यापारी, मुहम्मद-उपदेशक, मुहम्मद-दार्शनिक, मुहम्मद-राजनीतिज्ञ, मुहम्मद-वक्ता, मुहम्मद-समाज-सुधारक, मुहम्मद--यतीमों के पोषक, मुहम्मद-गुलामों के रक्षक, मुहम्मद-स्त्री वर्ग का उद्धार करनेवाले और उनको बन्धनों से मुक्त कराने वाले, मुहम्मद-न्याय करने वाले, मुहम्मद-सन्त। इन सभी महत्वपूर्ण भूमिकाओं और मानव-कार्य के क्षेत्रों में आपकी हैसियत समान रूप से एक महान नायक की है। अनाथ अवस्था अत्यन्त बेचारगी और असहाय स्थिति का दूसरा नाम है और इस संसार में आपके जीवन का आरम्भ इसी स्थिति से हुआ। राजसत्ता इस संसार में भौतिक शक्ति की चरम सीमा होती है। और आप शक्ति की यह चरम सीमा प्राप्त करके दुनिया से विदा हुए। आपके जीवन का आरम्भ एक यतीम बच्चे के रूप में होता है, फिर हम आपको एक सताए हुए मुहाजिर (शरणार्थी) के रूप में पाते हैं और आख़िर में हम यह देखते हैं कि आप एक पूरी क़ौम के दुनियावी और रूहानी पेशवा और उसकी क़िस्मत के मालिक हो गए हैं। आपकेा इस मार्ग में जिन आज़माइशों, प्रलोभनों, कठिनाइयों और परिवर्तनों, अन्धेरों और उजालों, भय और सम्मान, हालात के उतार-चढ़ाव आदि से गुज़रना पड़ा, उन सब में आप सफल रहे। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आपने एक आदर्श पुरुष की भूमिका निभाई। उसके लिए आपने दुनिया से लोहा लिया और पूर्ण रूप से विजयी हुए। आपके कारनामों का संबंध जीवन के किसी एक पहलू से नहीं है, बल्कि वे जीवन के सभी क्षेत्रों में व्याप्त है।

 

मुहम्मद सल्ल. महानतम व्यक्तित्व

उदाहरणस्वरूप अगर महानता इस पर निर्भर करती है कि किसी ऐसी जाति का सुधार किया जाए जो सर्वथा बर्बरता और असभ्यता में ग्रस्त हो और नैतिक दृष्टि से वह अत्यन्त अन्धकार में डूबी हुई हो तो वह शक्शिाली व्यक्ति हज़रत मुहम्मद हैं, जिसने अत्यन्त पस्ती में गिरी हुई क़ौम को ऊँचा उठाया, उसे सभ्यता से सुसज्जित करके कुछ से कुछ कर दिया। उसने उसे दुनिया में ज्ञान और सभ्यता का प्रकाश फैलाने वाली बना दिया। इस तरह आपका महान होना पूर्ण रूप से सिद्ध होता है। यदि महानता इसमें है कि किसी समाज के परस्पर विरोधी और बिखरे हुए तत्वों को भाई चारे और दयाभाव के सूत्रों में बाँध दिया जाए तो मरुस्थल में जन्मे पैग़म्बर निस्संदेह इस विशिष्टता और प्रतिष्ठा के पात्र है । यदि महानता उन लोगों का सुधार करने में है जो अन्धविश्वासों तथा इस प्रकार की हानिकारक प्रभाओं और आदतों में ग्रस्त हो तो पैग़म्बरे-इस्लाम ने लाखों लोगों को अन्धविश्वासों और बेबुनियाद भय से मुक्त किया। अगर महानता उच्च अरचरण पर आधारित होती है तो शत्रुओं और मित्रोँ दोनों ने मुहम्मद साहब को ‘‘अल-अमीन’’ और ‘‘अस-सादिक़’’ अर्थात विश्वसनीय और सत्यवादी स्वीकार किया है। अगर एक विजेता महानता का पात्र है तो आप एक ऐसे व्यक्ति व्यक्ति है जो अनाथ और असहाय और साधारण व्यक्ति की स्थिति से उभरे और ख़ुसरो और क़ैसर की तरह अरब उपमहाद्वीप के स्वतंत्र शासक बने। आपने एक ऐसा महान राज्य स्थापित किया जो चैदह सदियों की लम्बी मुद्दत गुज़रने के बावजूद आज भी मौजूद है। और अगर महानता का पैमाना वह समर्पण है जो किसी नायक को उसके अनुयायियों से प्राप्त होता है तो आज भी सारे संसार में फैली करोड़ों आत्माओं को मुहम्मद का नाम जादू की तरह सम्मोहित करता है।

 

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