लेखक : प्रोफ़ेसर के. एस. रामा कृष्णा राव की पुस्तक मुहम्मद सल्ल. इस्लाम के पैग़म्बर के कूछ अंश पूरी पुस्तक पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करे
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ब्रह्मांड में मनुष्य की हैसियत
ब्रह्मांड में मनुष्य की जो हैसियत है, उसके विषय में कु़रआन कहता है-
‘‘वह
अल्लाह ही है जिसने समुद्र को तुम्हारे लिए वशीभूत कर दिया है ताकि उसके
आदेश से नौकाएँ उसमें चलें, और ताकि तुम उसका उदार अनुग्रह तलाश करो और
इसलिए कि तुम कृतज्ञता दिखाओ। जो चीज़ें आकाशों में हैं और जो धरती में हैं,
उस (अल्लाह) ने उन सबको अपनी ओर से तुम्हारे काम में लगा रखा है।’’
(कु़रआन 45:12.13)
लेकिन ख़ुदा के संबंध में क़ुरआन कहता है-‘‘ऐ लोगो, ख़ुदा ने तुमको उत्कृष्ट क्षमताएँ प्रदान की हैं। उसने जीवन बनाया और मृत्यू बनाई, ताकि तुम्हारी परीक्षा की जा सके कि कौन सुकर्म करता है और कौन सही रास्ते से भटकता है।’’ इसके बावजूद कि इंसान एक सीमा तक अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करने के लिए स्वतंत्र है, वह विशेष वातावरण और परिस्थतियों तथा क्षमताओं के बीच घिरा हुआ भी है। इंसान अपना जीवन उन निश्चित सीमाओं के अन्दर व्यतीत करने के लिए बाध्य है, जिनपर उसका अपना कोई अधिकार नहीं है। इस संबंध में इस्लाम के अनुसार ख़ुदा कहता है कि मैं अपनी इच्छा के अनुसार इंसान को उन परिस्थितियों में पैदा करता हूँ, जिनको मैं उचित समझता हूँ। असीम ब्रह्मांड की स्कीमों को नश्वर मानव पूरी तरह नहीे समझ सकता। लेकिन मैं निश्चय ही सुख में और दुख में, तन्दुरुस्ती और बीमारी में, उन्नति और अवनति में तुम्हारी परीक्षा करूँगा। मेरी परीक्षा के तरीक़े हर मनुष्य और हर समय और युग के लिए विभिन्न हो सकते हैं। अतः मुसीबत में निराश न हो और नाजायज़ तरीक़ों व साधनों का सहारा न लो। यह तो गुज़र जानेवाली स्थिति है। ख़ुशहाली में ख़ुदा को भूल न जाओ। ख़ुदा के उपहार तो तुम्हें मात्र अमानत के रूप में मिले हैं। तुम हर समय व हर क्षण परीक्षा में हो। जीवन के इस चक्र व प्रणाली के संबंध में तुम्हारा काम यह नहीे कि किसी दुविधा में पड़ो, बल्कि तुम्हारा कर्तव्य तो यह है कि मरते दम तक कर्म करते रहो। यदि तुमको जीवन मिला है तो ख़ुदा की इच्छा के अनुसार जियो और मरते हो तो तुम्हारा यह मरना ख़ुदा की राह में हो। तुम इसको नियति कह सकते हो, लेकिन इस प्रकार की नियति तो ऐसी शक्ति और ऐसे प्राणदायक सतत प्रयास का नाम है जो तुम्हें सदैव सतर्क रखता है। इस संसार में प्राप्त अस्थायी जीवन भी है जो सदैव बाक़ी रखने वाला है। इस जीवन के बाद आनेवाला जीवन वह द्वार है जिसके खुलने पर जीवन के अदृश्य तथ्य प्रकट हो जाएँगे। इस जीवन का हर कार्य, चाहे वह कितना ही मामूली क्यों न हो, इसका प्रभाव सदा बाक़ी रहने वाला होता है। वह ठीक तौर पर अभिलिखित या अंकित हो जाता है।
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