लेखक : प्रोफ़ेसर के. एस. रामा कृष्णा राव की पुस्तक मुहम्मद सल्ल. इस्लाम के पैग़म्बर के कूछ अंश पूरी पुस्तक पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करे
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मनुष्य का परम लक्ष्य

Prophet Muhammad

यह
है इस्लाम की दृष्टि में मनुष्य का परम लक्ष्य कि एक ओर तो वह इस जगत् को
वशीभूत करने की कोशिश में लगे और दूसरी ओर उसकी आत्मा अल्लाह की रिज़ा में
चैन तलाश करे। केवल ख़ुदा ही उससे राजी न हो, बल्कि वह भी ख़ुदा से राजी और
सन्तुष्ट हो। इसके फलस्वरूप उसको मिलेगा चैन और पूर्ण चैन, परितोष और पूर्ण
परितोष, शान्ति और पूर्ण शान्ति। इस अवस्था में ख़ुदा का प्रेम उसका आहार
बन जाता है और वह जीवन-स्रोत से जी भर पीकर अपनी प्यास को बुझाता है। फिर न
तो दुख और निराशा उसको पराजित एवं वशीभूत कर पाती है और न सफलताओं में वह
इतराता और आपे से बाहर होता है। थाॅमस कारलायल इस जीवन-दर्शन से प्रभावित
होकर लिखता है-
‘‘और
फिर इस्लाम की भी यही माँग है- हमें अपने को अल्लाह के प्रति समर्पित कर
देना चाहिए, हमारी सारी शक्ति उसके प्रति समर्पण में निहित है। वह हमारे
साथ जो कुछ करता है, हमें जो कुछ भी भेजता है, चाहे वह मौत ही क्यों न हो
या उससे भी बुरी कोई चीज़, वह वस्तुतः हमारे भले की और हमारे लिए उत्तम ही
होगी। इस प्रकार हम ख़ुद को ख़ुदा की रिज़ा के प्रति समर्पित कर देते हैं।’’
लेखक आगे चलकर गोयटे का एक प्रश्न उद्धृत करता है, ‘‘गायटे पूछता है, यदि यही इस्लाम है तो क्या हम सब इस्लामी जीवन व्यतीत नहीं कर रहे हैं?’’
इसके उत्तर में कारलायल लिखता है-
‘‘हाँ,
हममें से वे सब जो नैतिक व सदाचारी जीवन व्यतीत करते हैं वे सभी इस्लाम
में ही जीवन व्यतीत कर रहे हैं। यह तो अन्ततः वह सर्वोच्च ज्ञान एवं
प्रज्ञा है जो आकाश से इस धरती पर उतारी गयी है।’’
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