अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है
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Khullasa E Quran |
सुराह नहल 16 आयत 1-128
मुखालिफीप से कह दो, कि जिस तबाही का तुम आने का चैलेंज देते हो, उसका फैसला आ गया जल्दी ना मचाओ, अपने वक्त पर वह आ जाएगा, वह अपने बंदों पर जिस पर चाहता है, अपने अम्र के साथ फरिश्तों और रूह कोे नाजिल फरमाता है, ताकि लोगों को आगाह कर दिया जाए, कि इक्तिदार ऐ आला सिर्फ अल्लाह का है, ये उसका शरीक ठहराते हैं, वह उससे पाक और बुलंद है, इंसान जितना झगड़ालू है, उसे एक नुतफे से पैदा किया गया, उसके लिए उसकी जरूरियात पैदा की गई, उसके सामने बहुत से टेडे रास्ते हैं, जिसमें से सीधा रास्ता अल्लाह ने वही के जरिए बताया, वह चाहता तो सब को जबरदस्ती भी सीधे रास्ते पर चला सकता था, लेकिन उसकी मसीयत यह थी के गौर फिक्र करने वाले, पानी बरसने और खेतों की सेराबी और रात और दिन और सूरज और चांद और दिगर तकलीकात में अल्लाह की आयात का मुशाहिदा करे,
समंदर पहाड़ और तारे गिनना चाहो, तो तुम अल्लाह की नेअमत गिन भी नही सकते, जिन्हें उनका शरीक ठहराया जाता है, वह खुद मखलूक है, उनमें से किसी ने कुछ पैदा नहीं किया, आखिरत के इंकारी कुरान के किस्सों को गुजरे हुए लोगों की कहानी कहते है,ं हालांकि इनकी तरह नाफरमानी करने वालों की तबाही की दास्ताने है, जिन लोगों को हकीकत इल्म दिया गया, वो खूब जानते हैं, काफिरों का अंजाम क्या होगा, तक्वा इख्तियार करने वाले यह कहते हैं जो हमारे रब की तरफ से नाजिल हुआ, वही खैर है, उनका फरिश्ते जन्नत में इस्तकबाल करेंगे, ये मुनकरीन तबाही मुंतजिर है, जब तबाही उन पर आएगी तो, उन्हें मालूम होगा कि अल्लाह ने इन पर जर्रा भी ज्योदती नहीं की, बल्कि उन्होंने खुद अपने आप पर जुल्म कर लिया,
यह मुशरिकीन तकदीर के गुमराह कुन तसव्व्ुर के साथ कहते हैं, कि अगर अल्लाह चहाता तो हमारे बाप दादा शिर्क ना करते और उसके हुक्म के बगैर किसी चीज को हराम करार ना देते, इन से पहले गुजरे हुए लोग भी इसी किस्म की बातें करते थे, हालांकि अल्लाह किसी को मजबूर नहीं करता, और रसूलसके के जिमें सिर्फ सही रास्ता बता देनेे की जिम्मेदारी होती है, जो लोग जुल्म सहने के साथ हिजरत कर गए, उन्हें दुनिया में भी अच्छा ठिकाना मिलेगा, और आखिरत का तो अजर बहुत बड़ा है, रसूल हमेशा से इंसान ही होते थे, जो जिक्र तुम पर नाजिल हुआ, उसको लोगों पर वाजे करते जाओ, ताकि वो गौरो फिक्र करे, क्या तरह-तरह की चालें चलने वाले बिलकुल ही बे खौफ हो गये है, किस भी वक्त पर अल्लाह की पकड आ सकती है, क्या ये देखते नही के इंसानो के साये तक, और दिगर जानदार मखलुकात और फरिश्ते अल्लाह के कानून के आगे सर ब सुजूद है,
और उसी के मुताबिक बताए गए अमल में लगे हुए हैं, अल्लाह तो खुदा ए वाहीद है, कहीं अगर अल्लाह लोगों की हर चीज पर फौरन गिरफ्त करता तो जमीन पर कोई इंसान ना बचता, लेकिन वह हर एक को मोहलत देता है और वक्त पूरा होने पर एक लम्हे की कमी बेसी भी नहीं होती, यह किताब अल्लाह ने इसलिए नाजिल की के इसके जरिए लोगों के इख्तिलाफात की हकीकत उनके सामने खुल जाए, इमान वालों के लिए यह रहनुमाई और रहमत है, बारिश से मुर्दा जमीन की जिंदगी, खजूर, अंगूर और गोबर और खून के दरमियान से दूध की धारा निकलना, मक्खी के पेट में शहद बनना, इन सब में गौर फिक्र करने वालों के लिए आयात है,
वह जो गूंगा बहरा हो और खुद सीधे रास्ते पर हो और इंसाफ का हुक्म दे, यह दोनों बराबर नहीं हो सकते, तुम पैदा हुए तो कुछ नहीं जानते थे, बड़े हुए तो देखने और सुनने और सोचने वाले दिल मिले, परिंदों का उड़ना देखो, अपने मकान व सवारियों और लिबास देखो, तो फिर जो शुक्र अदा ना करें, तो तुम्हारी जिम्मेदारी बस पैगाम पहुंचा देना है, वह वक्त आएगा जब हर उम्मत में एक गवाह खड़ा होगा, और हठ धर्म मुन्करीन को हुज्जत पेश करने का मौका नहीं मिलेगा, हिसाब के दिन वह लोग जिन्हे खुदाई में शरीक किया, अल्लाह के आगे झुके होंगे और अपने बंदे बनने वालों से बेजार होंगे,
अल्लाह तुम्हें अदल और इंसाफ और रिश्तेदारों से रिश्ते जोड़ने का हुक्म देता है, और जुल्म और ज्यादती से मना फरमाता है, लोगों से जो बातें अल्लाह को गवाह बनाकर कहीं, ऐसी कसमो को हरगिज ना तोड़ना, और अल्लाह से किए हुए वादे को भी पूरा करना, कुरान पढ़ते वक्त शैतान मरदुद से अल्लाह की मांग लिया करो, कुरान पर अहले किताब एतराज करते हैं, और कहते है कि पिछली किताबों की आयत बदलकर इसमें नई आयात कैसे आ गई, अल्लाह का कलाम नहीं हो सकता, उनसे कह दो इसे रूहउल कुददुस ने अल्लाह की तरफ से हक के साथ नाजिल किया है,
अल्लाह आखिरत के मुकाबले दुनिया की जिंदगी पसंद करने वालों नाशुक्रों हिदायत नहीं देता, इसके बर खिलाफ इमान वालों ने सख्तियां बर्दास्त की और हिजरत की और साबित कदम रहे, उनके लिए अल्लाह की मगफिरत और रहमत है, हलाल और हराम अपनी तरफ से ना करो, अल्लाह ने सिर्फ चार चीजें आराम की है मुर्दार खून सूअर का गोश्त और गैरुउल्लाह के नाम का जबिहा, इनके अलावा जो चीजें है उनको हराम ना कहना, लेकिन उनमें से सिर्फ पाकीजा चीजें खाना, तुम यहूदियों की तरह अपने ऊपर उन चीजों को हराम ना कर लेना, जिनको अल्लाह ने हलाल करार दिया है, हमने तुम्हें मिल्लते इब्राहिम की इत्तिबा का हुक्म दिया है, हफ्ते के दिन की हुरमत का हुक्म तो उन्हीं लोगों को दिया गया था, जो इसमें इख्तिलाफी बहस करते थे,
अपने रब के रास्ते की दावत अच्छी लगने वाली नसीहत और एक हिकमत के साथ देते रहो, फिर अगर कोई तुम्हारे साथ ज्यादती करे, तो तुम उसके साथ बराबरी का बदला ले सकते हो, लेकिन सब्र करो तो बेहतर है, सब्र की तौफीक तो अल्लाह ही से मिल सकती है, ता उनकी की हरकात और चाल पर दिल तंग ना करो, उनके साथ अल्लाह होता है, जो तक्वा इख्तियार करते हैं, और जो अहसान करते हैं ।
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