Khulasa E Quran | Revealed Quran Hindi | Surah Isra-17 Ayat 1-111 | खुलासा ए कुरान | मुख़्तसर क़ुरान हिंदी | सुराह इसरा-17 आयत 1-111

अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है

Khulasa E Quran
Khulasa E Quran
 

सुराह इसरा-17 आयत 1-111

पाक है वो जात, जो एक रात अपने बंदे को मस्जिद ए हराम से बा बरकत माहौल वाली मस्जिदे अक्सा ले गई, ताकि उसे कुछ अपनी निशानीयों का मुशाहिदा कराएं, मस्जिद ए अक्सा बनी इजराइल के लिए रूहानी मरकज था, उनकी हिदायत का जो इल्मी सरचश्मा था, वो वह किताब थी, जो हजरत मूसा पर नाजिल हुई, उसमें दर्ज था के अल्लाह के सिवा किसी को अपना वकील ना बनाना, इसी किताब में यह पेशनगाई भी दर्ज थी, कि बनी इजराइल दो बार जमीन में फंसादे अजीम बरपा करेंगे, दोनों मर्तबा सजा के तौर पर अल्लाह ने उन पर इसी कौमे मुसल्लत की जिन्होंने उनकी ईट से ईट बजा दी,

कुरान यह वार्निंग देता है, कि जब-जब बनी इसराइल पिछली रवीश पर आएंगे, उनकी सजा भी दोहराई जाएगी, कुरान तो बिल्कुल सीधे रास्ते की तरफ रहनुमाई करता है, लेकिन इंसान की फितरत में जल्दबाजी है, वो अपने लिये शर और मुसीबत को ऐसे तलब करता है, जैसे जिसे खैर मांगना चाहिए, अल्लाह ने रात और दिन को इसलिए भी बनाया ताकि तुम अपने कैलेंडर जान लो, और दीगर तरह की कैलकुलेशन का भी तुम्हें इल्म हो जाए, हर इंसान की तकदीर खुद उसकी गर्दन में लटकी है, कयामत के दिन वही एक खुली किताब की शक्ल में सामने होगा, और कहा जाएगा कि अपना हिसाब खुद कर लो, जो कामयाब होगा अपनी मेहनत से होगा, और जो गुमराह हुआ होगा अपनी करतूतों से होगा, किसी के अमल की जिम्मेदारी दूसरे पर नहीं होगी, अल्लाह दुनिया के आजाब के लिए भी यही कानून है, जब तक दावत की हुज्जत पूरी करने वाला ना भेज दिया जाए, किसी बस्ती पर अजाब नहीं आता,

और अजाब आने की अलामत ये होती है, के उस बस्ती के खुशहाल लोग हदों से गुजरने लग जाते हैं, जो कोई दुनिया में जल्द फायदे के लिए दौड़ धूप करता है, उसे उतना यहां दिया जाता है, लेकिन आखिरत में उसके लिए जहन्नम होती है, जो आखिरत का फायदे के सही अमल करता है, उसकी मेहनत कामयाब होती है, जो जैसा भी इरादा और कोशिश करता है, अल्लाह उसमें उसकी मदद करता है, तुम्हारे रब का हुक्म है कि अल्लाह के सिवा किसी को इलाह मत मानो, वालदेन के साथ हुस्ने सुलुक करो, बुढ़ापे में उनको झिडकना तो दूर उफ् भी ना कहना, और उनके लिए दुआ करना कि जैसे उन्होंने तुम्हारी बचपन से परवरिश की, अल्लाह उन पर रहम करें,
 
रिश्तेदारों और मुसाफिरो का हक दो और फिजूलखर्ची ना करो, खर्च करने में दरमियानी रास्ता इख्तियार करो, अपनी औलाद को गरीबी के डर से कत्ल ना करो, जीना के करीब ना जाओ, किसी जान को नाहक कत्ल ना करो, यतीम की माल के पास जाओ तो ऐसे अहसन तरीके से, वादे पूरे करो, बिजनेस में बेईमानी ना करो, ऐसी चीज की आंख बंद करके पैरवी ना करो, जिसका तुम्हें इल्म ना हो, अकड कर मत चलो, ये वो हिकमत की बातें हैं जो तुम्हारे रब ने वहीं की है,

जब तुम कुरान पढ़ते हो तो आखिरत पर यकीन ना रखने वाले मुंह मोड़ लेते हैं, मुन्किरीन रसूल के बारे में कहते हैं इन पर जादू हो गया, जबान से वो बातें निकालो, मुताबादिल हो, शैतान इंसानों के बीच फंसा डलवाने की कोशिश करता है, जो लोग एक रब को छोड़कर दूसरों को पुकार रहे हैं, उनकी कोई मदद नहीं कर सकते, वह तो खुद अपने रब कि नजदीक पहुंचने का वसीला तलाश कर रहे हैं, अल्लाह के इरादे तय हैं, के कयामत से पहले हर बस्ती या तो हलाक हो चुकी होगी, या सख्त तरीन अजाब में मुब्तिला हो चुकी होगी,

इबलिश ने आदम को सज्दा करने से इंकार किया था, वो इस वक्त भी इंसानो को भटकाने में मसरूफ है, अल्लाह ने बनी आदम को इज्जत दी और अपनी ज्यादातर मखलुकात में फजीलत बख्शी, इंसानों में से जो यहां अंधा बन कर रहा, वो आखिरत में अंधे से भी ज्यादा भटका हुआ होगा, मुखालिफ तुम्हारे कदम यहां से उखाड़ना चाहते हैं, लेकिन अगर ये ऐसा करेंगे तो खुद भी यहां पर ज्यादा वक्त ना टिक सकेंगे, यह अल्लाह की मुस्तकिल सुन्नत है, और अल्लाह की सुन्नत नहीं बदलती, दिन से रात तक नमाज कायम करो, लेकिन सुबह का कुरान पढ़ना सबसे ज्यादा अफजल है, रात को तहज्जुद तुम्हारे लिए नफील है, अगर तुम ने इसका अहतमाम किया तो तुम्हारा रब तुम्हें लोगों में महबूब और काबिले तारीफ बना देगा,

और हर मकाम और हर काम के निकलने के मामले में साबित कदम रहने और अल्लाह की मदद दुआ करो, कुरान के मानने वालों के लिए शिफा, और जालिमों के लिए खसारा है, इंसान की हालत यह है कि खुशहाल होता है तो एंठता है, और तंगी में मायूस हो जाता है, दोनों हालते रहमत से दूरी की है, रूह तुम्हारे रब का एक ऐसा अम्र है, जिसकी हकीकत का इल्म या तो लोगों को बहुत कम है, या बहुत कम लोगों को इसका इल्म दिया गया है, इंसान और जिन्न सब मिलकर भी इस कुरान जैसा कलाम नहीं ला सकते, इस कुरान में तरह-तरह की मिसाल उसे समझाया गया, जो कट हुज्जाती करें, उनसे कह दो कि मेरा काम तो बस पैगाम पहुंचा देना है,

अगर जमीन पर फरिश्ते चल फिर रहे होते तो फरिश्ता रसूल बनकर आता, अब मुन्किर और मोमिनीन के बीच अल्लाह की गवाही काफी है, फिरौन ने भी हजरत मूसा का इनकार किया, और उनको शहरजदा करार दिया था, अंजाम ए कार खुद तबाह हुआ, अल्लाह ने कुरान को वक्फे-वक्फे से नाजिल फरमाया, ताकि तुम ठहर-ठहर कर लोगों को सुनाओ, तुम कह दो कि कोई इसे माने या ना माने, जिन लोगों को इससे पहले ये दिया गया था, जब उन्हें यह सुनाया जाता है, तो वो ठोडियों के बल सज्दे में गिर जाते हैं, और रोते हैं, और उनका खुशु और बढ़ जाता है, अल्लाह के सिफाती नामों पर झगड़ा ना करो, हर अच्छा सिफाती नाम उसी का है, अपनी जामे नमाज यानी अपनी तहरीक ऐलान ना आगे बढ़कर जोर शोर करो ना खुफिया तरिके से बल्कि दरमियानी रास्ता इख्तियार करो, अल्लाह के लिए हम्द है, ना कोई उसका बेटा ना कोई उसका  शरीक, उसकी  किब्रीयाई बढाई का बयान करो ।

Click to Continue >>>
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post