Khulasa E Quran | Revealed Quran Hindi | Surah Hud-11 Ayat 1-123 | खुलासा ए कुरान | मुख़्तसर क़ुरान हिंदी | सुराह हुद-11 आयत 1-123

अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है

Khullasa E Quean
Khullasa E Quran

सुराह हुद-11 आयत 1-123

अलिफ लाम रा, ये एक किताब है जिसकी आयात पुख्ता और मुफ्फसल बयान हुई है, लोग जो जाहिर करते हैं और छुपाते हैं अल्लाह सब जानता है, वह यह भी जानता है कि सीनों के अंदर क्या है, जमीन पर रहने वाले हर जानदार का रिज्क पैदा करना अल्लाह के जिम्मे हैं, अल्लाह उसके ठिकाने को जानता है, और उसके सौपें जाने की जगह का भी, ये सब एक वाजे रिकॉर्ड में मौजूद है, अल्लाह ने आसमान और जमीन को इसलिए बनाया ताकि इंसान का वजूद कुछ दिनों इस दुनिया में हो सके, और वो ये आजमाइश कर ले, कि कौन कैसे अमल करता है, इंकार करने वालों के झुठलाने पर अल्लाह उनकी सजा को अगर टाल रहा है, तो मुन्किरीन मजाक उड़ाते हैं, और कहते के आजाब ले आओ, लेकिन वो वक्त आ गया तो टाले ना टालेगा,

इंसान की हालत यह है कि जब अच्छे दिनों के बाद बुरे हालात आते हैं, तो मायूस होता है, और ना शुक्री करता है, और अगर तंगी के दिनों के बाद अल्लाह उसे खुशहाल कर देे, तो अपनी सलायतों पर पकड़ता है, इस एब से वो पाक जो सब्र करने वाले हैं, उनके लिए बड़ा अज्र है, ऐ नबी हो सकता है कि जो तुम्हारी तरफ वही की जा रही है, उसका बाज हिस्सा बयान करने से इसलिए छोड़ दो, तुम्हारा सीना इस बात पर घुटे के लोग कहते है के इसके पास खजाने नहीं है, और फरिश्ते नहीं है, तुम्हारा काम तो सिर्फ खबरदार करना है, बाकी हर बात का हवालेदार अल्लाह है, जो लोग सिर्फ दुनिया की जिंदगी के लिए मेहनत करते हैं, उनके मेहनत का फल उन्हें दुनिया में दे दिया जाता है, आखिरत में उनका कोई हिस्सा नहीं, अल्लाह पर झूठ घडने वालों पर अल्लाह की लानत है, और उनका ठिकाना जहन्नम है,

हजरत नूह ने कहा कि शिर्क मत करो, और बुत परस्ती मत करो तो कौम के सरदारों ने कहा कि ना तुममे कोई खास बात है, और ना इन अछुतों में जिन्होंने तुम्हारा पैगाम कबूल किया है, हजरत नुह को कस्ती बनाने का हुक्म दिया गया,  उसका भी वो जालिम मजाक उड़ाते थे, सैलाब का पानी तंदूर से शुरू हुआ, अल्लाह नुह को हुक्म दिया कि हर तरह के जानदार का एक जोड़ा कस्ती पर रख लो, और अपने घर वालों को सवार करो, सिवाय उनके जिनकी पहले से ही निशानदेही कर दी गई है, और दिगर ईमान लाने वालों को भी सवार करो, यहां मोमिन बहुत कम तादाद में थे, नुह ने कहा कि इसमें सवार हो जाओ, अल्लाह के नाम से इसका चलना भी है, और इसका ठहराना भी, मेरा रब बहुत गफूर और रहीम हैं,

पानी और मौजे बड़ी तो उन्हें अपने एक बेटै को दूर खड़ा देखा, जो काफिर था, उससे कहा कि को शिर्क छोड़ दे, और कश्ती पर सवार हो जा, उसने जवाब दिया कि मैं पहाड़ पर चढ़कर बच जाऊंगा, आखिरकार कश्ती के बाहर के सभी डूब गये, अल्लाह ने पानी को रूकने और पानी को उतरने का हुक्म दिया, कश्ती दूधी पर टिक गई, नुह ने अपने रब से फरियाद की कहा ऐ रब आप का वादा तो सच्चा ही होता है, मेरा बेटा मेरे घर वालों में से था, आप ने मेरे घरवालों को बचाने का वादा किया था, लेकिन एक बेटा डूब गया, फरमाया कि वह तुम्हारे घर वालों में से नहीं था, वह एक गैर सालेह  अमल था, मुझसे इस बात का सवाल ना करो, जिसका तुम्हें इल्म नहीं है, और जाहिल ना बनो, नुह ने अल्लाह से माफी मांगी, और अल्लाह ने फरमाया तुम पर वह तुम्हारे साथ वालों पर सलामती हो, आइंदा ऐसे लोग भी होंगे जो फिर हमारे अजाब के मुस्तहीक होंगे,

हजरत हुद की कौम आद, और  हजरत सालेह की कौम समुद इन्होंने भी पैगंबरों का मजाक उड़ाया, यह कौम अल्लाह के अजाब का शिकार हुई, हजरत लूत की कैम पर अल्लाह का फैसला नाफिज हुआ, उससे पहले फरिश्ते हजरत इब्राहिम के पास पहुंचे, उन्होंने हजरत सहारा को औलाद की बशारत दी, और वह बेयकीनी से हंसी, क्योंकि बूढ़ी हो चुकी थी, फरिश्तों ने कहा कि तुम्हें ताज्जुब क्यों हैं, तुम पर तो अल्लाह की खुसुशी रहमते और बरकते हैं, इब्राहिम ने कौमे लूत की सिफारिश करनी चाहिए, क्योंकि वह बहुत नरम दिल थे, फरिश्तों ने कहा अल्लाह का फैसला उस कौम के लिए अजाब का हो चुका है,

फरिश्ते खूबसूरत नौजवानों की शक्ल में हजरत लूूत के घर पहुंचे, कौमे लुत के बदकार लोग उनके घर पर इकट्ठे हो गए, हजरत लूत घबराए, लेकिन फरिश्तों ने उनको तसल्ली देकर अपनी हकीकत बताई, कहा तुम सुबह से कुछ पहले अपने घर वालों को लेकर बस्ती से निकल जाना, पीछे मुड़कर ना देखना हजरत लूत की बीवी काफीरा थी, और कौम तरफ वापस पलट गई, और उनके के साथ अजाब में पकड़ी गई, हजरत शोएब की कौम ने भी उन्हें झूठलाया और कहा कि अगर तुम्हारी बिरादरी का ख्याल ना होता, पत्थरों से मार कर खत्म कर देते, शोएब ने कहा कि तुम मेरी बिरादरी का अल्लाह से ज्यादा ख्याल करते हो, अब तुम अल्लाह के अजाब का इंतजार करो, शोएब और उनके ईमान लाने वालों के को छोड सब तबाह कर दिए गए,

ऐसे आले फिरौन भी तबाह हुए, इन वाकियात में इबरात का सामान है, जिस दिन सबको इकट्ठा किया जाएगा तो बदअमलों को जहन्नम में डाल दिया जाएगा, और पाक लोग जन्नत में जाएंगे, इन दोनों ठिकानों पर वह उस वक्त रहेंग,े जब तक जमीन और आसमान कायम है, सिवा इस के तुम्हारे रब की मसीयत किसी के लिए कुछ और हो, तुम लोग नमाज कायम करो, दिन के दोनों सिरों पर, कुछ रात गुजरने पर, दरअसल ये आमाल बुराइयों को दूर भगाते हैं, पिछली कौमें जिन पर अजाब आया, उनमें बहुत कम लोग ऐसे थे, जो दूसरों को बुराई से रोकते थे, उन सब को अल्लाह ने बचा लिया, अगर किसी कौम के लोग स्लाह करने वाले हैं, तो उन पर अल्लाह का अजाब नही आता, अगर अल्लाह चाहता तो सब लोग एक उम्मत होते, लेकिन अल्लाह की मसीयत तो यही थी कि इंसानों का इंतिहान हो,

तुम्हें पैगंबरों के किस्से इसलिए सुनाए जाते हैं, ताकि तुम्हारे दिल मजबूत हो, तो तुम्हें हौसला रहे, कि कामयाब सिर्फ वह होते हैं जो बुराइयों से रोकने का काम करते हैं, और उनके मुखालफिन खत्म कर दिए जाते हैं, अब जो ईमान नहीं लाते, उनसे कह दो तुम भी इंतजार करो, मुझे भी अल्लाह के फैसले का इंतजार है, और तुम्हारे आमाल से तुम्हारा रब गाफिल नहीं है ।
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