अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है
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Khulasa E Quran |
सुराह यूनुस-10 आयत 1-109
अलिफ. लाम. रा. वो हिकमत वाले अल किताब की अयात है, तुम्हारा रब वही है, जो जमीन और आसमान को 6 मरहले में पैदा करने के बाद उनका निजाम चला रहा है, उसके यहां सफाआत भी उसके हक्म और मर्जी के बाद ही हो सकेगी, उसी की तरफ वापसी होगी, उसमें सूरज बनाया चांद की मंजिले मुकर्रर की ताकि तुम सालों और दिनों के हिसाब मालुम करो, लोग दुनिया की भलाई मांगने में जितनी जल्दी मचाते हैं अगर कहीं अल्लाह बुराई की सजा देने में इतनी ही जल्दी करता तो हर एक की मोहलत खत्म हो चुकी होती,
इंसान पर जब सख्त वक्त आता है, तो रब को बहुत याद करता है और पुकारता है, और जब अल्लाह उसकी मुसीबत टाल देता है, तो ऐसा बन जाता है गौया जैसे कभी मदद के लिए पुकार ही नहीं था, जब अल्लाह की साफ-साफ आयतें सुनाई जाती है तो कहते हैं, के कोई और कुरान लाओ या इसके मतलब में तरमीम करो, इनसे कहो कि मुझे तरमीम का इख्तियार नहीं है, मुझे तो बस वही की पैरवी का हुक्म है,
ये लोग अल्लाह के सिफारिशी बना कर उनकी परसतिस करते हैं, इनसेे कहो क्या तुम अल्लाह को उसकी खबर दे रहे हो जिसका उसके इल्म में वजूद ही नहीं है, यह दुनिया की जिंदगी ऐसी है, कि खुब अच्छी बारिश हुई और अच्छी पैदावार हुई, जब उनके मालिक समझ रहे थे के अब फसल काटेंगे, तब अल्लाह के हुक्म से सब ऐसे गायब हो गया जैसे कभी था ही नहीं, अल्लाह तुमको सलामती के घर की तरफ बुलाता है ,हिसाब के दिन यह मुशरिक जिन्हें अल्लाह का शरीक ठहराते हैं उनसे साफ कह देंगे, कि तुम हमारी बंदगी नहीं करते थे, और अगर करते भी थे तो हम उस से बेखबर थे, उस दिन वह सारे झूठ जो उन्होंने घड रखे थ,े गुम हो जाएंगे,
जब उनसे सवाल करोगे तुम्हे रोजी कौन देता है, तुम्हारी कूवते किसके हाथ में है, कौन मौत और जिंदगी को गर्दिश दे रहा है, वो कहेंगे कि अल्लाह, तो कहो कि फिर वही तुम्हारा हकीकि रब हुआ, फिर क्यूं धोखे खा रहे हो, यह कुरान एसी चीज ही नही जिसे कोई घड सके, यह तो पिछली किताबों तस्दीक और अल किताब की तफसील है, उनसे कहो कि इस जैसी एक सुरत बना कर दिखाओ, कह दो मेरा अमल मेरे साथ, तुम्हारा अमल तुम्हारे लिए, मुझ पर अब सब कुछ समझा देने के बाद तुम्हारे बुरे अमल की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी,
हर उम्मत के लिए एक रसूल है, जब किसी कौम के पास उसका रसूल आ जाता है, तो फैसला चुका दिया जाता है, और जर्रा बराबर भी जुल्म नहीं किया जाता, हर उम्मत के लिए एक मोहलत की मुद्दत है, जब यह मुद्दत पूरी हो जाती है तो एक घड़ी भी कमी बेशी नहीं होती, अल्लाह ने इसकी इजाजत किसी को भी नहीं दी, के उसके ठहराये हुए हलाल और हराम में तब्दील करें, तुम तो कुरान से जो भी दावत देते हो लोग जो कुछ भी छोटे से छोटा अमल करते हैं, वह सब एक वाजेह रिकॉर्ड में दर्ज हो रहा है,
नूह अलै, की कौम इंकार करके तबाह हुई, फिर अल्लाह ने बहुत से रसूल भेजें, फिर मूसा और हारून को फिरौन के पास भेजा, उन्होंने कहा कि यह दोनों हमें हटाकर अपना इक्तिदार कायम करना चाहते हैं, मूसा अले, की कौम में से फिरौन के डर से अलल ऐलान बहुत कम लोग ईमान लाये, दुआ करते थे ऐ हमारे रब हमको जालिम लोगों के लिए फितना ना बना, और हमें काफिरों से निजात दे, आले फिरौन को अल्लाह ने गर्क कर दिया, डूबते वक्त फिरौन चिल्लाया कि मैं ईमान लाया, अल्लाह ने उसे नहीं उसकी लाश को बचाया, ताकि बाद वालों के लिए इबरत हो,
यूनुस अले. की कौम के अलावा ऐसा किसी कौम के साथ नहीं हुआ, वह अजाब देखकर ईमान लाए, और उन्हें माफ कर दिया जाए, अगर अल्लाह चाहता तो सब ईमान वाले होते हैं, जब अल्लाह की मशीयत यह है कि वो इख्तियार देकर आजमाये, तो तुम कैसे किसी के साथ में जबरदस्ती कर सकते हो, इनसे कहो कि आसमान और जमीन में अल्लाह की निशानियांे को आंखें खोल कर देखो, जो सबक ना ले, और अल्लाह की पकड़ आ जाए, तो सिर्फ रसूलों और सच्चे इमान वालों को बचाया जाता है, कह दो कि लोगों तुम्हारे पास हक आ गया, जो माने उसका फायदा है, जो ना माने मैं उस पर हवालेदार नहीं हुं, तुम सब्र करो, और अल्लाह के फैसले का इंतजार करो ।