Khulasa E Quran | Revealed Quran Hindi | Surah Ale-Imran-3 Ayat 1-200 | खुलासा ए कुरान | मुख़्तसर क़ुरान हिंदी | सुराह आले इमरान-3 आयत 1-200

अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है

Khulasa E Quran
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सुराह आले इमरान 03 आयात 1 से 200

अलिफ. लाम. मीम. अल्लाह के सिवा कोई इलाह नहीं वह जिंदा और कायम है, उसने तुमको यह किताब हक के साथ नाजिल फरमाई, यह तौरेत, इंजील सहित पिछली किताबों की तस्दीक करती है, इससे पहले जो किताबें थी वो इंसानों हिदायत के लिए थी, अब हक और बातिल की कसौटी ये एक किताब है, उस कुव्वत और हिकमत वाले ने मां के पैटों में तरह-तरह की सूरते बनाई, उसी तरह इस किताब में भी मोहकमात और मुतसाबिहात की आयतें रख दी है मोहकमात किताब की बुनियाद है, लेकिन फितना फैलाने वाले मोहकमात से नजरे हटा कर मुतसाबिहात की ताविलात करने में गुमराह हो जाते है, उनकी ताविल अल्लाह को मालूम है और इल्म में पुख्ता लोग समझ सकेगें, क्योंकि अक्ल वालों के अलावा तो कोई सही तरीके से जिक्र भी नहीं कर सकता।
 
इन्कार पर अड़े रहने वालों का अंजाम आले फिरौन की तरह होगा, जंगे बदर की मिसाल देख लो, काफिर ईमान लाने वालों से बहुत ज्यादा थे, बसीरत वालों के लिए इसमें इबरत है, लोगों के लिए दुनिया की चीजें खुशनुमा बना दी गई है, लेकिन तक्वा इख्तियार करने वालों के लिये हमेशा की जिंदगी है, जहां इससे कहीं ज्यादा नेमअतें होंगी, यह लोग इस्तिकामत इख्तियार करते हैं, और खुद मेहनत करने के साथ अल्लाह से मदद की दुआ भी करते रहते हैं, मेहकूमत सिर्फ अल्लाह की हो इस पर अल्लाह खुद भी गवाह है, और मलाइका और इल्म वाले भी ।
 
अल्लाह के लिए काबिले कबुल दीन हमेशा से इस्लाम है, जिनके पास किताबें आई, उन्होंने इल्म आ जाने के बाद आपस में ज्यादतीयां करने लिये इख्तिलाफ पैदा किये, अब अगर वह लोग तुम्हारे समझाने के बावजूद सीधे रास्ते पर ना आये तो तुम्हारी जिम्मेदारी पैगाम पहुंचा देना है, अल्लाह की आयात से हठधर्मी करने वाले और नबियों की जान पर दुश्मन हो जाने वाले यह दावा करते हैं, कि अगर वह जहन्नम में गए भी तो बस कुछ दिन के लिये जायेंगे, उस दिन क्या हाल होगा जब हर एक को उसके अमल का सही बदला मिलेगा, तुम कह दो कि इज्जत और जिल्लत, मौत और जिंदगी और रिज्क तो बस अल्लाह के हाथ में है।
 
लिहाजा ईमान वाले इंकार करने वालों को मोमिनीन के खिलाफ दोस्त ना बनाएं, हां अगर कोई जुल्मों से बचने के लिए जाहिर में ऐसा करता है तो वो यह याद रखें कि अल्लाह को हिसाब देना है, और अल्लाह दिलों के हाल और आसमान और जमीन हर छुपी हुई चीज को जानता है, कह दो कि तुम अल्लाह से मुहब्बत करते हो तो रसूल की भी इतिआत करो तब वो तुमसे मुहब्बत करेगा, अल्लाह ने नस्ले इंसानी की हिदायत के लिए आदम, नूह और इब्राहिम की नस्ल और मरियम के वालिद इमरान की नस्ल, यानी हजरत ईशा और उनके आने वाली नस्ल, को मुंतखब फरमाया, यह आपस में भी एक दूसरे के नस्ल से थे।
 
आले इमरान की दास्तान यह है, इमरान की बीवी ने अपनी होने वाली औलाद को अल्लाह की राह में वक्फ करने के लिये नजर मानी, और जब लड़की पैदा हुई तो उसी को वक्फ कर दिया,  हजरत जकरिया मरियम के सरपरस्त बने, मरियम को अल्लाह ने ऐसा कुबूल किया कि हजरत जकरिया को जो चीजें मोहिया ना थी, वो मरयम के पास मौजूद होती थी, अल्लाह की कुदरत देखकर जकरिया बुढ़ापे के बावजूद अपने लिये औलाद की दुआ की, और अल्लाह ने हजरत यायाह जैसा बेटा अता किया।
 
उधर मरयम को फरिश्तों ने खबर दी अल्लाह ने तुम्हे पाकिजगी अता करके तमाम जहानों की औरतों में से तुम्हे तरजीह देकर तुम्हे चुन लिया, मरियम जवान हुई तो उनकी मस्जिद की कयाम की मुददत खत्म हो गई, वो वहां से निकल कर मशरीक में एक जगह पर रहने लगी, वहां उन्हें फरिश्तों ने एक बेटे हजरत मसीह इब्ने मरयम की खुशखबरी सुनाई, मरियम ने कहा यह कैसे मुमकिन है, क्योंकि मुझे किसी मर्द ने छुआ ही नहीं, फरिश्तों ने कहा ऐसा ही होगा क्योंकि अल्लाह जो इरादा करता है वह पूरा होता है, अल्लाह ने बनी इजराइल की तरफ इशा को अपना रसूल मुकर्रर फरमाया, और इसा ने उस मुर्दा कौम से कहा में तुम्हे कीचड से निकाल कर वहीं के पैगाम के जरिये बुलंदी अता करूगां, में अल्लाह के हुक्म से अंधो को देखने वाला और कोडियों को शिफायाब कर दुंगा।
 
अल्लाह मेरा और तुम्हारा रब है, उसी की बंदगी करो वो रसूल होकर आये और कौम से सवाल किया कि तुम में से कौन अल्लाह की राह में उनका मददगार है, तो चंद हवारी ही निकले, जिन्होंने साथ दिया, बनी इजराइल ने उनके खिलाफ साजिसे की, लेकिन अल्लाह की तदबीर के आगे वो नाकाम हो गये, अल्लाह ने फरमाया के इशा अब मैं तुम्हें वापस ले लूंगा, और तुम्हारी पैरवी करने वालों को कयामत तक तुम्हारे इन्कार करने वालों पर फोकियत दूंगा, अल्लाह के नजदीक ईशा की मिसाल आदम जैसी है, जिनका जिस्म जमीन के अनासिर बनाकर कहा, कि हो जाओ तो वो हो गए, ये इल्म आ जाने के बाद कोई तुमसे कट हुज्जती करें, तो उनसे कहो कि आओ हम और तुम अपने बच्चों और अपनी औरतों को अपने लोगों को इकट्ठा करने बाद अल्लाह से दुआ करें कि जो झूठा हो, उस पर अल्लाह की लानत हो।
 
अहले किताब से कहो के आओ एक ऐसे कलमे तरफ जो हमारे तुम्हारे दरमियान एक जैसा है, और वो यह कि हम एक अल्लाह की बंदगी करें, शिर्क ना करें, हम में से कोई अल्लाह के सिवा किसी को ओर को अपना रब ना बनाएं, अगर वह मुंह मोड़े तो ऐलान कर दो कि हम तो मुस्लिम यानि फरमाबरदार है, बनी इसराइल से कहो कि तुम खुद को इब्राहिम की नस्ल कहते हो तो वो ना यहुदी थे ना इसाई, वह मुस्लिम थे, और हम उन की निस्बत तुमसे ज्यादा हकदार हैं, अहले किताब तुम्हारे लिए तरह-तरह की साजिसे करते हैं तो उनसे कह दो, की असल हिदायत अल्लाह की दी हुई है, यही हिदायत पहले तुम्हारे पास में आई थी।
 
अहले किताब में काबिले एतमाद लोग भी है, और ना काबिले एतमाद भी, उनमें वह भी है जो अल्लाह की किताब के नाम से वह चीजें पढ़ते हैं, जो अल्लाह की तरफ से नहीं होती, और वो जानबूझकर अल्लाह की तरफ झूठ मनसुब करते हैं, किसी नबी ने अपनी बंदगी करने को नहीं कहा, अल्लाह ने तो तमाम पैगमबरों से ये अहद लिया था, कि तुम्हारे पास किताब और हिकमत आने के बाद एक रसूल आएगा, जो तुम्हारे पैगाम की तस्दीक करेगा, तो तुम्हें उस पर ईमान लाना होगा, और तुम सबको उनकी मदद करनी होगी।
 
इमान वालो तुम एलान कर दो हम सभी नबियों की तालीमात पर इमान रखते हैं, और उनमें से किसी एक में भी फर्क नहीं करते, सबका दीन इस्लाम था, और इस्लाम के अलावा कोई दीन काबूले कबूल नहीं होगा, अल्लाह इसे लोगों को हिदायत नहीं दिया करता जो ईमान लाने के बाद और रसूल की शहादत देने के बाद ना शुक्री करें, उनमें से जो तौबा और इस्लाह कर ले, उनके सिवा सब पर लानत है, और जिसे ना शुक्री की हालत मौत आ गई उनके लिए तमाम जमीन के बराबर भी सोना इसाले सवाब में भी दिया जाए तो तो कबूल नहीं किया जाएगा, उनके लिए दर्दनाक अजाब  है और कोई उनकी मदद ना कर सकेगा ।
 
नेकी तभी होगी जब तुम अपनी पसंदीदा चीज खर्च करोगे, खाने की जो चीजें आज हलाल थी पहले भी हलाल थी, उनसे कहो कि एकशू होकर इब्राहिम के मिल्लत की पैरवी करो, और सबसे पहले तामिर होने के बाइस काबे हज पहले भी था, जो इसकी इस्तितात रखता है उस पर हज फर्ज है, तक्वा ऐसा इख्तियार करो जैसा अल्लाह का हक है, और फिरके बाजी से बचना, अल्लाह की रस्सी यानि कुरान ही फिरकाबंदी खत्म कर सकता है, जिसकी मौत फिरकाबंदी की हालत में हुई वह इस्लाम में नहीं था, मुख्तलिफ फिरको में दुश्मनी होती है जब फिरकाबंदी का खात्मा होता है तो आपस में भाई हो जाते हैं, तुम में से कम से कम कुछ लोग तो जरूर नेकी का हुक्म देने वाले और बुराई को रोकने वाले होने चाहिए, तुम उनकी तरह ना हो जाना जो रोशन दलील आ जाने के बाद भी फिरको में बट गए, और असल बुनियाद से इख्तिलाफ किया, अब तुम बेहतरीन उम्मत हो क्योंकि तुम्हे दुनियां की बुराई को रोकने के लिए चुना गया है।
 
अहले किताब में से बहुत सारे लोग हदें पार कर गए, लेकिन सब एक जैसे नहीं है, उनमें कुछ खुफिया ईमान वाले भी हैं जो नेक और परहेजगार है, इमान वालों को चाहिये कि इमान वालो के खिलाफ कुफ्र पर जमे रहने वालो को राजदार ना बनाये, उन में कुछ ऐसे हैं जो तुमसे मिलते हैं तो कहते हैं कि हम इमान ले आए लेकिन उनके दिलों में बूग्ज है, अगर ईमान वाले इस्तिकामत इख्तियार करने वाले हो, दुश्मन से जंग करें तो अल्लाह फरिश्तो के जरिए इमान वालों की मदद फरमाता है, फतह और मदद अल्लाह ही के हाथ में है, और उनके फैसले का इख्तियार अल्लाह ही को है, चाहे तो जालिम को सजा दे, और जिस की चाहे तौबा कबूल फरमाये।
 
आसमान और जमीन में जो है सब उसी के मनसुबे को पुरा करने के लिये है, जो अजाब की दावत देते हैं, उन्हें वो अजाब देता है, और मगफिरत चाहाने वालो की मगफिरत फरमाता है, क्योंकि वो गफूर और रहीम है, सूद खाने वालो का ठिकाना जहन्नम है, चाहे वो इमान का दावा करते हो, तुम उस जन्नत की तरफ दौड़ लगाओ जो उनको मिलेगी जो हर हाल में अल्लाह की राह में खर्च करते हैं, गुस्सा पी जाते है, दुसरों कुसूर माफ करते है, गलती या गुनाह पर इसरार करने के बजाये नादिम होते है।
 
दुश्मनों के हाथों वक्ती नुकसान पर दिल छोटा ना करना, अगर तुम ईमान वाले हो तो असल फतेह और सर बुलंदी तुम्हारी ही होगी, यह जमाने की गरदिशें से हैं और तुम्हारी आजमाइश का सामान, तुम जन्नत में उस वक्त तक दाखिल नहीं हो सकते जब तक की आजमाइश ना हो जाए, कि तुम में से किस-किस ने लगातार जद्दोजहद की और साबित कदम रहे, अल्लाह के दिन की मदद अल्लाह की रजा के लिए करना, अल्लाह की राह में जब अल्लाह वालों के लिए मुसीबत आती है वह थक कर हिम्मत नहीं हारते, अल्लाह ऐसे सब्र करने वालों को मेहबुब रखता है, वो अल्लाह से अपनी गलतियों की पर्दापोशी भी मांगते हैं, और दुश्मनों के खिलाफ साबित कदमी भी, जंगे ओहद में कुछ मोमिनीन जब माल की मुहब्बत में गिरफ्तार होकर हुक्म की नाफरमानी कर बैठे तो उनकी जीत नुकसान में बदल गई, वह पलट कर भाग रहे थे और रसुल सल्ल. उन्हे पुकार रहे थे, फिर भी अल्लाह ने सच्चे ईमान वालों कि मदद की फिर वो पुर सुकुन हो गए।
 
आज मुनाफिकीन यह कहते हैं इस कामयाबी में उनका हिस्सा भी है, और मुसीबत के वक्त कहते थे कि अगर उनके फैसले माने जाते तो किसी की जान ना जाती, कह दो कि ये कामयाबी तो सिर्फ अल्लाह का अम्र है, हर एक की मौत का वक्त मुकर्रर है, जिनका वक्त आ जाता है वह अपनी मौत की जगह खुद दौड़ लगा देते हैं, ऐसी बातें काफिरों की होती है कि अगर अल्लाह राह में ना निकले होते तो ना मारे जाते, मौत और जिंदगी अल्लाह के हाथ में है, जो अल्लाह की दीन की राह में मरे या मारे जाए उनके हिस्से में अल्लाह की रहमत और मगफिरत है, हर किसी को एक न एक दिन मरना ही है।
 
मुसलमानों के अमीर का काम यह है नरमी का रवैया इख्तियार करे और गलतियों को माफ करें, अहम लोगों से मशवरे जरूर लिया करें, फिर जिस फैसले पर दिल मुतमाईन हो उस पर अल्लाह को अपना वकील बना ले, अल्लाह की मदद अगर तुम्हारे साथ हो तो फिर कोई चीज तुम्हे नुकसान नहीं पहुंचा सकती, ईमान लाने वाले इस तरह अल्लाह पर तव्वकुल करते हैं, कोई नबी पैगाम पहुंचाने में खयानत नहीं करता, अहले इमान पर अल्लाह का ये अहसान था कि उनमें से ऐसा रसूल उठाया, जिसने अल्लाह का कलाम उन पर तिलावत किया, उनका तजकिया यानि पाक किया और उन्हे किताब और हिकमत का इल्म दिया।
 
तुम पर जब कोई मुसीबत आती है तो उसके जिम्मेदार तुम खुद होते हो, लेकिन याद रखो कि अल्लाह की राह में जान जाना मुसीबत नहीं है, जंग के वक्त मुनाफिक शिरकत से बचने के लिए बहाने तलाशते हैं, और शहीद होने वालों के लिए कहते है कि उनकी राय मानी गई होती तो यह ना मारे जाते हैं, उनसे कहो कि जरा अपनी मौत के वक्त को टाल के बताओ, तुम अल्लाह की राह में जान देने वालों को मुर्दा ना समझना वो अपने रब के पास जिंदा है और उन्हें रिज्क भी दिया जाता है, अल्लाह ने अपने फत्ल से जो उन्हें आता किया है उस पर वह खुश है, वो उन्हें बशारत देते हैं जो उनके पास अभी नहीं पहुंचे, ना उन के लिए कोई खौफ है, और ना गम, अल्लाह इमान वालो का अज्र जाया नही करता है।
 
सख्त आजमाइश के मौके पर खरे-खोटे अलग हो जाते हैं, जिन इमान वालों से यह कहा गया था कि तुम्हारे खिलाफ लश्कर इकट्ठे हो गए तो उनका इस खबर से इमान और बड़ गया, शैतान अपने दोस्तों का खौफ दिखाता है, लेकिन ईमान वाले सिर्फ अल्लाह के कानून से डरते हैं, मैदाने जंग में ही नहीं रोजमर्रा की जिंदगी में भी खरे-खोटे की आजमाइश होती है, कुफ्र की राह में दौड़ धूप करने वालों की सरगर्मियों से परेशान ना होना, जब उनकी शरकशी का घड़ा भर जाएगा, तो वह दर्दनाक अजाब में पकड़े जाएंगे, अगर तुम ईमान वाले हो तो अल्लाह तुम्हें ज्यादा अरसे तक कमजोरी की हालत में नहीं छोड़ेगा, ये पाक लोगों से नापाक लोगों का अगल करने के लिए है, हर किसी पर गैब नहीं खोला जाता, इसके लिए अल्लाह अपने रसूलों में से जिसको चाहता है चुन लेता है, तो तुम अल्लाह और उसके रसूल पर इस मामले में ईमान रखो।
 
जिन्हें अल्लाह ने अपने फज्ल से नवाजा वो अगर कंजूसी करेंगे, और माल जमा करेंगे तो वो माल कयामत में उनके गले का तौक बनेगा, ईमान वालो तुम्हारे सामने जान और माल की आजमाइश भी आएंगी, और तुम एहले किताब और मुशरिकीन से तकलीफ दे बातें भी सुनोगे, ऐसे मौके पर सब्र करना, जिन्हें किताब दी गई थी उन्हें तुम अल्लाह का अहद याद दिलाओ, के किताब की तालीमात को छिपाने की बजाये उन्हें लोगों में फैलाना था, मगर उन लोगों ने अल्लाह की आयात का सौदा कर लिया, अल्लाह की आयात और उसके मौजजे तो कायनात में दिन और रात की तब्दीलीयों में उन अक्ल वालों को नजर आ सकते हैं, जो उठते बैठते अल्लाह को याद करते हुए आसमान और जमीन की तखलीक में गौर और फिक्र करते हैं, वो पुकार उठते हैं कि यह तखलीक बे मकसद नहीं थी, वह कहते हैं कि ये तो हमारे रब ने हमें ईमान की तरफ़ बुलाया था, अब हम इन आयात को देखकर ईमान लाते हैं।
 
वो अपने गुनाहों के बुरे अंजाम से हिफाजत की दुआ करते हैं, अल्लाह ऐसे लोगों के आमाल जाया ना होने देगा, जिन्होंने अल्लाह की राह में वतन छोड़े, घरों से निकाले गए, सताए गए उसकी राह में लड़े और मारे गए उनकी गलतियों को माफ करके खुशगवार जन्नत उनका ठिकाना होगी, नाफरमान लोग अगर दुनियां में कामयाब नजर आए तो धोखा मत खाना उनका ठिकाना जहन्नम होगा, और तक्वा इख्तियार करने वालों के लिये जन्नतें है, और अल्लाह के पास लोगों के लिए जो मेहमानी है, वही सबसे बेहतर है।
 
अहले किताब में भी कई खुफिया ईमान लाने वाले ऐसे लोग हैं जो अल्लाह पर ईमान रखते हैं, और कुरान और उस कलाम में इमान रखते हैं जो उनकी तरफ भेजी गई थी, वो अल्लाह की आयात का सौदा भी नहीं करते उनके लिए भी उनके रब की तरफ से अज्र है, मोमिनों सब्र से काम लो और आपस में बहम ताल्लुकात कायम रखते हुये एक दूसरे साबित कदम रहने की तलकीन करते रहो, और तक्वा इख्तियार करो ताकि तुम कामयाब हो जाओ ।


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