अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है
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Khulasa E Quran |
सुराह कहफ-18 आयत 1-110
हकिकी तारीफ अल्लाह ही के लिए है, जिसने अपने बंदे पर वह किताब नाजिल की जिसमें कोई टेड नहीं ताकि गलत रविश पर चलने वालों को अंजाम से ब खबर कर दे, और इमान वालों में से जो अच्छे अमल इख्तियार करें उनको अच्छे नतीजे की बशारत दें, जिन्हें वार्निंग देनी है उसमें वह भी है जो बगैर किसी दलील के अल्लाह का बेटा करार देते हैं, तुम्हारे सीने में ऐसा दर्दमंद दिल है, उसके पीछे तुम अपने आप को भुलाते हो, उनके राहेबानियत के अकिदे के बर खिलाफ हकीकत यह है, कि जमीन में जो कुछ भी है अल्लाह ने उसे जिनत बनाया है, ताकि यह इम्तिहान हो जाए कि कौन उसे इस्तेमाल करते हुए अच्छे अमल इख्तियार करता है, हां यह याद रहे एक दिन उसकी जीनत खत्म होने के बाद यह जमीन एक चटयल मैदान बन जाएगी,
अहसहाबे कहफ यह चंद इंकलाबी नौजवान थे, क्या तुम यह समझते हो कि उनके वाकिये में कुछ अजीबो गरीब था, गैरउल्लाह के निजाम की ज्यादतियोें से बचकर उन्होंने एक ऐसे गार में पनाह ली थी, जिसमें सूरज की रोशनी न सुबह आती थी ना शाम को, उनका कुत्ता गुफा के बाहर पहरा देता था, और कई साल उन्होंने गार में ऐसे गुजारे कि सोते में भी इतने चैकन्ना रहते थे, देखने वाला उनको जागता हुआ समझे, गार में भी वह अपनी जगह तब्दील करते रहते थे, उस गार में उनके पास शहर की कोई चीज नहीं आती थी, फिर एक दिन उन में से बहुत अहतियात साथ शहर पहुंचा तो लोगों ने उन्हें हाथों-हाथ लिया, उनके इंतकाल के बाद अक्सर लोगों ने कहा कि उनकी कब्रों को इबादतगाह बनाएंगे, लोगों में उन की तादात को लेकर इख्तिलाफ हुआ, उनकी गार में ठहरने के अरसे पर ईसाइयों में अफसाने मशहूर हुए, कि वह सैकड़ों साल की नींद के बाद जागे थे, उनकी तादाद में बहस करने के बजाय इस पर गौर करो के कि उन नौजवानों ने कुफ्र का साथ नही दिया, वो साबित कदम रहे तो अल्लाह ने उनकी मदद की, अल्लाह का ये कानून कभी तब्दील ना होगा, तुम खुदा परस्त जमात की सोहबत में रहते साबित कदम रहो और ऐलान कर दो कि तुम्हारे रब के पास से हक आ गया है, अब जिसका दिल चाहे तो ईमान लाए और जो चाहे वह इंकार करें, दोनों तरह के लोगों को अपने किए का बदला मिलेगा,
इनसे दो दोस्तों की एक तमसील बयान करो, उनमें से एक के पास अंगूरों के दो बाग, खजूर के पेड़ और खेती थी और वह उस पर बहुत मगरूर हो गया, आखिरत का भी मजाक उड़ाने लगा, उसके दोस्त ने समझाया कि तुम्हें जो कुछ मिला है, उसमें अल्लाह का फजल शामिल है, यह बर्बाद भी हो सकता है, यह का पानी भी खत्म हो सकता है, फिर यही हुआ के उसका माल भी तबाह हो गया, अपने जत्थे पर उसको नाज था, वह भी उसकी कोई मदद ना कर सके, तमसील का मकसद यह था कि कायनात में हर तरह का इक्तिदार अल्लाह ही का है, उसी के कानून के मुताबिक इनाम और बदले मिलते हैं, लेकिन अपनी सही सिमत में कोशिश के साथ अल्लाह का फज्ल भी शामिल होना जरूरी है,
आखिरत के मुकाबले दुनिया की जिंदगी की मिसाल ऐसी है जैसे बरसाती पानी से जमीन सब्जादार हो गई लेकिन यह सबजा सुख कर चूर-चूर होकर हवा में उड़ गया, अल्लाह का कानून हर चीज पर हावी है, यहां के माल औलाद काबिले नफरत नहीं है, दुनिया की जिंदगी की जीनत है, लेकिन दुनिया की जिंदगी आरजी है, और आखिरत की जिंदगी हमेशा बाकी रहने वाली है, और उनकी उम्मीद बेहतर है,
एक दिन पहाड़ चलाए जाएंगे, और जमीन बिल्कुल मैदान हो जाएगी, और उसमें सब जमा होंगे, आमाल नामें हाजिर कर दिए जाएंगे, और मुजरिम इन चिलाएंगे हाय इसमें तो कोई छोटी से छोटी बात भी नहीं छोड़ी, तुम्हारा रब किसी पर जुल्म में नहीं करेगा, जालिमों के लिए यह अंजाम उस दिन से तय था जब अल्लाह ने फरिश्तों से आदम को सजदा करने को कहा, तो एक जिन्न इबलिश सिवा सबने सजदा किया, तो क्या तुम उसको और उसकी जुर्रियत को अल्लाह के कानून के खिलाफ दोस्त बनाओगे, हिसाब के दिन शरीक काम ना आएंगे, अल्लाह ने इस कुरान में हर तरह की बात फेर फेर कर समझाई है, लेकिन इंसान के मिजाज में कट हुज्जाती है, हिदायत आने के बाद जो मुंह मोडेगा, उसका अंजाम वही होगा जो पहले ऐसे लोगों का होता रहा है,
अल्लाह के रसूल आते रहे बशारत और वार्निग का हक अदा करते रहे, लेकिन जो लोग उनकी नहीं सुनते, उनकी भी फौरन पकड़ नहीं होती, जब मोहलत का वक्त भी खत्म हो जाए तो अल्लाह की पकड़ के आगे कोई पनाह नहीं मिलेगी, इंसान को सिर्फ अपने सामने की चीजें नजर आती है, और अल्लाह की मसीयतों मैं मुस्तकबिल का का लिहाज भी होता है,
हजरत मूसा की तरबियत और अल्लाह के तकमीली निजाम का इल्म अता करने के लिए, उन्हें अल्लाह ने अपने एक खास बंदे की सोहबत इख्तियार करने को कहा, जो मूसा ने बताए हुए मकाम पर उनको देखा, तो उनसे उनके साथ रहने की दरख्वास्त की, उन्होंने इस शर्त पर इजाजत दी के मुसा उनको किसी बात पर टोकेगें नहीं, और ना उनसे कोई सवाल करें, हजरत मूसा ने वादा कर लिया, दोनों एक कश्ती में सवार हुए तो उस शख्स ने ऐसे असबाब पैदा किए की कस्ती, में ऐब पैदा हो गया, हजरत मूसा ने कहा कि इस कस्ती में आपने चिरा क्यों लगा दिया, तो उस शख्स ने अपनी शर्त याद दिलाई, हजरत मूसा ने वादा किया कि आइंदा सवाल नहीं पूछेंगे,
आगे चले तो उस शख्स ने फिर ऐसे असबाब पैदा किए के एक बच्चे की मौत हो गई, हजरत मूसा ने इस पर एतराज किया कि बच्चे को क्यों खत्म कर दिया, उन्होंने कहा कि मैंने कहा था ना तुम मेरे साथ सब्र नहीं कर सकते, मूसा ने वादा किया इसके बाद अगर मैं आपसे कुछ कहूं तो आप मुझे आपके साथ ना रखे,ं आगे एक बस्ती में पहुंचे और लोगों से खाना मांगा, तो लोगों ने मना कर दिया वहां उन्होंने ऐसे असबाब पैदा किए, कि एक जगह गिरी हुई दीवार की मरम्मत कर दी गई, मूसा ने कहा कि आप चाहते तो इस काम की उजरत ले सकते थे, उन्होंने कहा कि बस अब मेरा और तुम्हारा साथ खत्म, अब इन बातों की हकीकत सुनो, जिन पर तुम सब्र नहीं कर सके,
वह कश्ती गरीब लोगों की थी, जो दरिया में मजदूरी किया करते थे मैंने चाहा कि उसे ऐबदार कर दूं, क्योंकि आगे एक ऐसे बादशाह का इलाका था, जो जबरदस्ती लोगों की कश्तियां छीन लेता था और वह लड़का, उसके वालदेन मोमिन थे हमें अंदेशा हुआ यह लड़का बड़ा होकर सर्कशी करेगा और काफिर होगा और वालदेन को दुख देगा, इसलिए माशियत इलाही के तहत उसकी मौत हो गई, और हमने चाहा कि उनका रब उनके बदले उनको ऐसी औलाद दे जो अखलाक में भी बेहतर हो, और वालदेन के साथ हुस्ने सुलुक में भी और दीवार की बात यह है कि यह दो यतीम लड़कों की है इसके नीचे उन बच्चों के लिए खजाना दफन है, उनका बाप एक नेक आदमी था, इसलिए तुम्हारे रब ने चाहा कि ये दोनों बच्चे बड़े होकर अपना खजाना निकाले, जो कुछ हुआ तुम्हारे रब की हिकमत और रहमत के तहत हुआ, मैंने कुछ अपने इख्तियार से नहीं किया, ये उन बातों की हकीकत है, जिस पर तुम सब्र नहीं कर सके,
अल्लाह ने जुलकरनैन को इक्तिदार अता फरमाया था, उन्होंने मगरिब की तरफ एक मुहिम का आगाज किया, और बहरे अश्वत तक पहुंच गए, वहां एक कैम उनके तहत आई, उन्होंने फैसला किया, कि उनमें से जो जालिम हो उनको सख्त सजा दी जाए और नेक लोगों के साथ नरमी का रवैया इख्तियार किया जाए, फिर उन्होंने मशरिक की तरफ जाने की तैयारी की, और मशरीक में खुश्की के आखिरी सिरे तक पहुंच गए, वहां एक ऐसी कौम रहती थी जो खुले आसमान के नीचे रहती थी,
फिर वह एक और मुहिम पर निकले, जब दो पहाड़ों के दरमियान पहुंचे तो एक कौम मिली और वह इतनी अलग थी कि कोई बात समझना, समझाना मुश्किल था, वहां के लोगों ने जुलकरनैन से फरियाद की, ये याजूज और माजुज जमीन पर बहुत फसाद फैलाते हैं, तुम अगर हमारे और उनके बीच में एक बंद तामिर कर दो, तो हम तुमको टैक्स देने को तैयार हैं, जुलकरनैन ने कहा मेरे रब का दिया मेरे पास बहुत है, तुम मुझे मजदूर दे दो, और लोहे की चादर ला दो, दोनों पहाड़ों के बीच की जगह को उन्होंने लोहे की चादर से ढक दिया, और फिर आग दहकाई लोहे की दीवार आग की तरह सुर्ख हो गई तो, उन्होंने कहा कि मैं अब इस पर पिघला हुआ तांबा उडेलूगां, याजूज माजूज उस दीवार पर नहीं चढ़ सकते थे, ना उसके अंदर छेद कर सकते थे,
इन तीन वाकियात में पहला ईमान पर साबित कदम रहने वालों के लिए अल्लाह की मदद का सबूत, दूसरा अल्लाह की मशीयतों की हिकमत का बयान, तीसरा एक फरमाबरदार का बयान जिसकी सल्तनत बहुत बड़ी थी, फिर भी वह लोगों पर मेहरबान था, और अल्ला का शुक्रगुजार था, इन वाकियात में आने वाले जमानों के लिए और हकायक भी छुपे हुए हैं, क्योंकि समंदर अगर अल्लाह की तारीफ और मशीयत लिखने के लिये सही बन जाए, और इतनी ही सहाई और आ जाए तब भी सहाई खत्म हो जाएगी, लेकिन अल्लाह की मसीयतों के मौजजे खत्म नहीं होंगे, तुम में से जो कोई अपने रब की मुलाकात का उम्मीदवार हो उसे चाहिए, कि नेक अमल करें और शिर्क नहीं करें ।