Khulasa E Quran | Revealed Quran Hindi | Surah Aaraaf-07 Ayat 1-206 | खुलासा ए कुरान | मुख़्तसर क़ुरान हिंदी | सुराह आराफ़-07 आयत 1-206

अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है

Surah Araaf-07
Khulasa E Quran

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सुराह आराफ़-07 आयत 1-206

अलिफ लाम मीम साद, एक किताब है जो तुम्हारी तरफ नाजिल की गई ताकि तुम इसके जरिए वार्निंग दो, और इमान वालों को याद दहानी कराओ, अल्लाह ने तुम सब को पैदा किया फिर तुम्हारी सूरत पर सवांरी, उसने फरिश्तों को आदम को सज्दा करने यानी उनसे अपने-अपने शोबो में ताउन करने को कहा, इबलिश ने घमडं किया इंकार कर के मरदुद हुआ, माफी मांगने की बजाय इंसानों को भटकाने की इजाजत मांगी, आदम और हव्वा को तरबीयत के लिए जन्नत में रखा गया, और एक सजरे के पास जाने को मना किया गया, शेतान ने उनके दिलों में ऐसा वसवसा डाला कि, उनकी शर्मगाह एक दूसरे के सामने जाहिर हो जाए, यह उसने खैर ख्वाही के जरिए किया, लेकिन जब उनके सतर एक दूसरे पर खुल गए तो वह अपने आप को जन्नत के पत्तों से ढकने लग,े तो फिर दोनों नादिम हुए,

अल्लाह से तौबा की अल्लाह ने फरमाया, अब जमीन पर जाओ और एक खास वक्त तक तुमको वहीं रहना है, लेकिन याद रखना कि हमने तुम्हारे लिए लिबास नाजिल किया है ऐसा ना हो कि शैतान तुम्हें इसी फितने में डाल दे जिस तरह उसने तुम्हारे वालदेन के लिबास उतरवा दिए थे, ताकि उनकी शर्मगाहे एक दूसरे पर खुल दे, तुम्हारे रब ने हुक्म दिया है कि बंदगी में अपना रुख ठीक रखो हर इबादत को जीनत से आरासता करो, खाओ पियो लेकिन फिजूल खर्च मत करना, अल्लाह ने जिनत इख्तियार करने को हरगीज मना नही किया, उसने तो जिन चीजों को हराम किया बेशर्मी, नाहक ज्यादती, और अल्लाह के शरीक ठहराना है,

हर एक कौम एक मुद्दत तक रहती है ना एक घड़ी कम ना ज्यादा, तो जो रसूलों के बताए हुए रास्ते पर चले वह खौफ और गम से आजाद होंगे, और झुठलाने वाले तकब्बुर करने वालो का ठिकाना जहन्नम होगा, सबसे बड़ा जालिम वह है जो अल्लाह की तरफ झूठी बातें घढकर मंसूब करें या अल्लाह की आयात को झुठलाये, हर गिरोह जब जहन्नम में दाखिल होगा तो अपने पिछले गिरोह पर लानत भेजता हुआ दाखिल होगा, सबके जमा हो जाने के बाद, बाद वाला गिरोह पहले वाले गिरोह के लिए अल्लाह से कहेगा कि यहीं थे जिन्होंने हमें गुमराह किया था, इनको दोहरा अजाब दीजिए पहला गिरोह कहेगा कि तुमने अपनी मर्जी से हमारी इतिआत की थी, इरशाद होगा कि अब तुम सभी के लिए दौहरा अजाब है, इधर ईमान वाले और अच्छे अमल वाले जन्नत में होंगे, जन्नत और जहन्नम वाले एक दूसरे से बातचीत भी कर सकेंगे दोनों गिरोह के दरमियान एक पर्दा होगा, जिसकी बुलंदी पर एक तीसरा गिरोह जो अभी जन्नत में दाखिल नहीं हुआ, लेकिन उसका उम्मीदवार होगा, वो जहन्नम वालों के सरदार से पुकार कर कहेंगे आज तुम्हारी मक्कारीयां कहां गई, जहन्नम वाले जन्नत वालों से पानी की दरख्वास्त करेंगे लेकिन जहन्नम वालों पर वो पानी हराम होगा ।

जिन्होंने अपने दीन को खेल तमाशा बना लिया और दुनिया की जिंदगी ने उन्हें धोखे में डाले रखा, उन्हें उस दिन अल्लाह की रेहमत भुला देगी, कुरान एक ऐसा कलाम है, जो इल्म की बुनियाद मुफसल है, तुम्हारे रब ने जमीन और आसमान को 6 मरहलों में पैदा फरमाया, फिर इनका मरकाजी कंट्रोल लिया, उसे पुकारो गिडगिढाते हुये और चुपके-चुपके,  और एक बार इस्लाह हो जाने के बाद जमीन में फसाद बरपा ना करो, फसाद का नतीजा तबाही है, इस उसुल को समझाने के लिए पिछली नाफरमान कोमो की दास्ताने बयान की गई,

हजरत नुह और हुद ने अपनी कौम को शिर्क और नाफरमानी से रोका, उन्होंने झूठ लाया और तबाह हुए, कोमें समुद में हजरत सालेह नबी हुए, उन्होंने कौम के लोगों को चरागाह और पानी के कब्जे से रोका, बतौरे अलामत एक ऊंटनी को निशानी करार दिया, कि वह एक दिन तमाम चारागाह और पानी को इस्तेमाल कर सकेगी, बदबख्तोें ने उटनी को मार डाला, एक धमाके में तमाम के तमाम आरामगाह में तबाह हो गए, कोमें लुत ने हमजिन्सी की और वह ऐसा काम किया जो उससे पहले दुनिया में कहीं नहीं था, जब हजरत लुत कि उन्होंने ना सुनी तो वह भी तबाह कर दिए गए,

इसी तरह मदयन की कौम के सरदारों ने उल्टा हजरत शोऐब ही को अल्टीमेटम दे दिया, वह भी अजाब में पकड़े गए, हमेशा ऐसा हुआ कि ना फरमान कोमों को पहले सख्ती में डाला गया, कि शायद उनके दिल नरम हो जाए फिर अल्लाह ने उन्हें खुशहाल कर दिया फिर इन दोनों हालात से गुजारने के बाद जब नबी की दावत की हुज्जत पूरी हो गई तब अचानक ऐसे मौके पर अजाब आया कि वह मदमस्त थे, इस अंजाम से वही कौमें बेखौफ हुआ करती है जो तबाह होने वाली है, क्या बस्तियों में रहने वाले इस तारीख से सबक नहीं लेते, क्या इससे बिल्कुल बेफिक्र हो गए कि उन पर अजाब रात को बेखबरी में भी आ सकता है, और उनकी दिन की रंग रंगलियों के दौरान भी,

 इसी तरह मुसा फिरौन के पास गए और मोजजे दिखाएं तो फिरौन ने जादूगर को बुलाया, जादूगर का जादू हजरत मूसा की लाठी के आगे हवा हो गया और वही इमान ले आए, फिरौन ने कहा कि मैं बनी इजरायल के बेटों को कत्ल करवाउगां ताकि यह कौम कमजोर हो जाए, अल्लाह ने आले फिरौन पर कई अजाब बारी-बारी उन पर आते रहे जब -जब वो इस में गिरफ्तार होते तब-तब फिरौन हजरत मूसा से दुआ करने को कहता जब अजाब टल जाता तो फिर वही सरकशी में मुब्तिला हो जाता, आखिरकार अल्लाह ने उन्हें समुद्र में गर्क कर दिया,

मूसा बनी इसराइल को लेकर चले तो बनी इजरायल ने मांग की उनके लिए एक देवता बनवा दे, हजरत मूसा ने उन्हें समझाया हम सब का खुदा एक खुदा है, अकेला है उसने तुमको दुनिया भर की कोमों पर फजीलत बख्शी है, और उसी ने तो फिरोन के जुल्म से निजात दिलाई है, उसके बाद अल्लाह ने हजरत मूसा को तरबियत के लिये कुछ दिनों के लिए पहाड़ी पर बुलाया, हजरत मूसा ने कलाम किया तो उन्होंने दीदार ए इलाही की ख्वाहिश जाहिर की फरमाया तुम इस ताब ना ला सकोगे, तजुर्बा कराने के लिए अल्लाह ने अपनी तजल्ली सामने वाले पहाड़ पर डाली, तो वह रेजा रेजा हो गया और हजरत मूसा बेहोश होकर गिर पडे, जब होश आया तो अहकामात ले कर वापस आए, तो उन्होंने देखा कि उनकी कोम एक शख्स के जाल में फंस चुकी है, और बछड़े का माबुद बनाकर पूजने लगी है, और हजरत हारून को जिन्हे मूसा ने उनका निगरान बना कर गए थे, उन्होंने जेर कर लिया, जब कौम ने तोबा कर ली,

तो हजरत मूसा ने 70 आदमी कोहितूर पर ले जाने और अल्लाह आहद में शरीक होने के लिए चुना, लेकिन पहाड़ पर पहुंचकर एक गरज के बाइस बेहोश और मुर्दा हो गए, हजरत मूसा ने अल्लाह से उनके लिए माफी मांगी अल्लाह ने उन्हें जिंदा किया और यह वही भेजी कि आज तो मेरी रहमत ने इन लोगों को माफ किया, लेकिन मेरी असल रहमत के मुस्तहिक वो लोग होगे जो आइंदा आने वाले नबी ऐ उम्मी पर इमान लायेगें, वह नबी जिनकी पेशन गाईयां इंजिल और तौरात में होंगी, उस पर जो लोग इमान लायेगे उनके हाथ मजबूत करेंगे उनका साथ देंगे, और उनकी मदद करेंगे और जो उस नबी पर जो कुरान नाजिल होगा, उसकी इत्तिबा करेंगे, वही फलां पाले वाले होगे

यह तारिखी दास्तान थी, लेकिन अब तुम बनी इसराइल को दावत दो वही उम्मी नबी आ चुका है, तुम उस पर ईमान लाकर उनकी इत्तिब करो करो, बनी इसराइल को और भी अल्लाह के अहसानात याद दिलाओ, उनके 12 कबिलों के लिए अल्लाह ने 12 पानी के चश्मे जारी किए, उनके लिए मन और सलवा जैसी चीजों का इंतजाम किया, उन पर बादल का साया किया जब उनको वादी में दाखिल होने के लिए कहा गया, और उनको यह कहा गया कि यह कहते हुए याद करते हुए दाखिल होना के बोझ उतर गया, शुक्रिया के साथ तुम्हारे सर अजीज से झुके हो, तो उन जालिमों ने इन अल्फाज को बदल दिया, इसके नतीजे में उन पर बुजदीली और कमजोरी अजाब की शक्ल में नाफिज कर दी गई,

समुद्र के किनारे बसी बस्ती की अल्लाह ने आजमाइश ली, वह मछलियां पकड़ते थे और मछलियां सिर्फ सनीचर के दिन आने लगी, बाकी दिनों में गायब रहती थी, शनिचर के दिन दुनिया के कामकाज बनी इजरायल की शरीयत में मना थे, लेकिन अक्सर ने नाफरमानी की, वह शनिचर को शिकार करने लगे, थोड़े से मानने वालों में भी दो गिरोह हो गए एक गिरोह दूसरे से कहता तुम इन नाफरमानों से दूर रहो, जिनके लिए अल्लाह ने जहन्नम तय कर दी है, मगर दूसरे गिरोह के लोग नाफरमानों को बुराइयों से रोकने अपना वक्त लगाते थे, वह जवाब देते यह हम इसलिए करते हैं ताकि हम अल्लाह के यहां हमारा उज्र पेश कर सके, लेकिन हो सकता है कि यह लोग मान ही जाए, फिर जब अल्लाह का अजाब उस बस्ती पर आया तो सिर्फ वह लोग बचाए गए जो बुराई से रोकने का काम करते थे,

 फिर अल्लाह ने उनके लिए तय कर दिया कि बंदरों की तरह तकलीद उनका मुकद्दर होगी, और उन्हें कयामत तक दुनिया की और मुख्तलिफ कौमो और गिरोह के जरिए सजा मिलती रहेगी, उनमें अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग थे जिनकी आजमाइसों के जरिए पहचान होती गई, यह वही बनी इसराइल है, जिन्होंने पहाड़ की चट्टानी छत के नीचे दिल दहलाने वाले माहौल में अल्लाह से अहदो पैमान किए थे,

सिर्श करने की गुंजाइश तो तुम्हारे रब ने तब ही खत्म कर दी थी, जब आलमे बाला में आदम की पीठों से उनकी नस्लों को निकाला, और उनके डीएनए में तौहिद का इकरार रख दिया, इस तरह अल्लाह ने उनके नफसो को खुद का गवाह बनाकर पूछा था, क्या मैं तुम्हारा रब नहीं हुं, तो सब ने इकरार किया, इस अहद को सबके तहतुस शहुर में रखकर अल्लाह ने भेजा, ताकि कभी कोई यह ना कह सके हमने बाप दादा की पैरवी में शिर्क किया,

उन्हें एक ऐसे शख्स की मिसाल देकर समझाओ जिसे अल्लाह ने अपनी आयात के जरिए बुलंद मरातिब अता करने चाहे, लेकिन उसने जमीन की पसतियों को पसंद किया, जिन्होंने दिल और आंखें होते हुए समझ बूझ से काम ना लिया ना देखा ना सुना वह जानवरों से भी बदतर है, जिनों और इंसानों की ऐसी कसीर तादाद का अंजाम जहन्नम है, क्या कायनात और अल्लाह की तकलीख को देखकर लोग इस नतीजे पर नहीं पहुंच सकते इस तखलीक की एक मुद्दत है,  अगर अब यह फैसले की घड़ी का सवाल करें तो उनसे कह दो कि इसका इल्म अल्लाह को है,

कह दो की में खुद अपनी जात के लिये नफे नुकसान का इख्तियार नही रखता, मुझे गैब का इल्म भी नही है, में महज एक खबरदार करने वाला और खुशखबरी सुनाने वाला हूं, लोग अल्लाह से दुआ करते हैं और दुआ के नतीजे में औलाद  होती है तो अल्लाह की बख्शीश को दूसरे से मनसुब करके शिर्क करने लगते हैं, जिनको यह शरीक ठहराते हैं वह तो खुद मखलूक है, तुम्हारी ही तरह अल्लाह के पैदा किए हुए बंदे हैं उनको चेंलेज करो कि उनके सारे माबुदों को तुम्हारे खिलाफ बुलाएं, तुम्हारा कुछ बिगाड़ कर दिखाए, ना वह तुम्हारी मदद कर सकते हैं और ना अपनी मदद करने पर कादिर है,

तुम समझते हो कि वह तुम्हारी तरफ देख रहे हैं मगर वो नहीं देखते, दाई को हिदायत है, कि तुम नरमी और दरगुजर का तरीका इख्तियार करो, भलाई की तलकीन करते रहो, अगर शैतान तुम्हें उकसाये तो अल्लाह की पनाह चाहो,  जब तुम से किसी निशानी का मुतालबा किया जाए, तो कह दो मैं तो सिर्फ अल्लाह की भेजी हुई वहीं की पैरवी करता हूं, जब तुम्हारे सामने कुरान पढ़ा जाए तो गौर से सुनो पूरी तवज्जो उसी तरफ लगा के खामोश रहो, इस तरह तुम रहमत के मुस्तहिक होगे,

अपने रब की याद सुबह शाम के हर लम्हंे में अपने दिल में ताजा करो, आजिजी के साथ और गाफिल ना बन जाओ जो तुम्हारे रब के हुजूर मुकर्रब है, वो तकब्बुर नहीं करते, बंदगी से मुंह नहीं मोड़ते, उसकी तस्बीह यानि तेजी के साथ उसके हुक्म की तामिल करते रहते हैं, और उसके आगे सर झुकाए रहते हैं ।
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