अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है
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Khulasa E Quran |
सुराह अनआम-06 आयत 1-165
हकीकि तारीफ उस अल्लाह के लिए है जो जमीन और आसमान और अंधेरे उजाले का खालिक है, उसने इंसानों को जमीनी माद्दे से पैदा किया और उसकी मुद्दत मुकर्रर फरमाए, लेकिन इंकार करने वाले तारीख की दास्तान से सबक नहीं लेते, हालांकि जिन लोगों को पहले किताब दी गई वह उस रसूल को ऐसे पहचानते हैं जैसे अपने बेटों को, हिसाब के रोज कसम खा कर कहेंगे कि वह शरीक नहीं थे, उस दिन उनके बनावट इलाहा गुम हो चुके होंगे, उनमें से बाज कान लगाकर तुम्हारी बातों को सुनने का दिखावा करते हैं, लेकिन झूठ और तासुब की वजह से समझने की सलाहियत नहीं बचेगी, जब वह जहन्नम के किनारे खड़े होंगे तो हसरत करेंगे एक मौका उन्हें और मिल जाता, हालांकि झूठों को इसी जिंदगी की तरह वापस भेज दिया जाए तो फिर वही सब कुछ करेंगे,
यह दुनिया की जिंदगी तो है खेल तमाशा है, हकीकी जिंदगी तो आखिरत की जिंदगी है, जो बातें तुम पर बनाते हैं दरअसल अल्लाह की आयत का इंकार करते हैं, ऐसा पहले भी होता रहा तुम सब्र करो, अल्लाह की मदद तुम्हें पहुंचेगी दावत ए हक पर जब्बेक कहने की सलाहियत तो जिंदो में होती है, जो मुर्दा हो चुके हो उस वक्त बेदार होंगे, जब अल्लाह की तरफ वापसी का दिन होगा, जो लोग चमत्कार तलब करते हैं वह समझ ले अल्लाह इस पर कादिर है, लेकिन अल्लाह चाहता है कि वह अक्ल इस्तेमाल करें, उनसे पूछो के अचानक कोई बड़ी आफत आज आने की वक्त एक खुदा ही को आवाज देते हो,
अल्लाह ने जब भी कोमो की तरफ रसूल भेजें तो पहले उनको कौमो को मुसीबत और मसाईल् में मुब्तिला किया, ताकि उनके अंदर अजिजी पैदा हो, लेकिन शैतान के बहकावे में उनके दिल और सख्त हो गए, फिर जब उन्होंने नसीहत को भुला दिया तो उन पर खुशहाली के दरवाजे खोले गए, जब वह खूब मगन हो गए तो उन की जड़ काट दी गई, जो जालिम हो गए उनसे कहो कि तुम्हारे देखने सुनने और गौर करने की सलाहियत अल्लाह ही की दी हुई है, अगर वो तुमसे छीन ले तो तो कोई और खुदा है जो इन्हें वापस लाकर दे दे, इन्हें बता दो के अल्लाह के अजाब नाजिल करने को उसुल ये है, के सिर्फ जालिम हालक किये जाते है,
नबी उसी अंजाम से डराने के लिए आते थे, उनसे कह दो कि मेरे पास ना खजाने हैं, ना फोकूल बशर हूं, मादी जरूरतों मैं तुम्हारी तरह इंसान हूं, लेकिन मेरा रूहानी मकाम यह है कि मुझ पर वही नाजिल होती है, इसी की रोशनी में मैं देखता हूं, और तुम अपनी गौर और फिक्र की राह को बंद करके अंधों की तरह पहले वालों के रास्ते पर चले जा रहे हो, भला बताओ तो के कभी अंधा और आंख वाले भी बराबर हो सकते हैं, तुम गौर क्यों नहीं करते, तुम शुक्र गुजार ईमान लाने वालों को अपने से दूर ना हटाना, जालिम उनका मजाक उड़ाते हैं, उनसे साफ कह दो कि मैं शिर्क मैं तुम्हारी ख्वाहिशात की पैरवी नहीं कर सकता,
वो तुमको चैलेंज दे के अजाब लाकर दिखाओ तो कह दो कि वो मेरे हाथ में नहीं है, गैब की कुंजियां अल्लाह के पास है, हर छोटी बड़ी चीज का वाके होना अल्लाह के वाजेे कानून में दर्ज है, वही तुम्हें रोज रात को वफात देता है, फिर वापस भेज देता है ताकि तुम अपनी मुद्दत पूरी कर लो, उसने तुम पर निगरा मुकर्रर कर रखे है, और मौत के वक्त उसके भेजे हुए कारींदे दुनियावी जिंदगी की मुद्दत पूरी कर देते ह,ैं उनसे कह दो कि अल्लाह इस पर भी कादिर है ऊपर से अजाब नाजिल करें, और इस पर भी के अजाब पैरों के नीचे से फूट पड़े, और अल्लाह उनको इस तरह भी अजाब दे सकता है, कि उन्हें गिरोह में तक्सीम कर दे, और एक गिरोह से दूसरे गिरोह को सजा दिलवाए, हर खबर के जुहुर का एक वक्त है, अन करीब वो जान लेगे,
अल्लाह की आयात में एब निकालने वालों की हमनशीन मत इख्तियार करो, तुम उनको कुरान सुना कर तंबीह करते रहो, अल्लाह को छोड़कर दूसरे को पुकारने वाला उसकी तरह है, जिस पर शैतान का असर हो लोग उसे सही रास्ते की तरह पुकार रहे हो, लेकिन वह हैरान हो, कह दो कि हमें रब्बुल अलामिन के आगे सरे तस्लीम खम करने और नमाज कायम करने और तक्वा इख्तियार करने का हुक्म मिला है,
इब्राहिम का वाक्या याद करो कि किस तरह हक और बातिल की कशमकश में उनके जहन में चली, शुरूआत घर से हुई, जब उन्होंने अपने बाप से हुज्जत कि वह अपने हाथ से बनाई हुई मूर्तियों को अपना इलाह क्यों कहता था, उनके इसी गौर फिर्क की आदत का रूख अल्लाह ने जमीन और आसमान की तरफ मोड़ा, और उन्हे वेहदानीयत के दलील कायनात से अखस करना सिखाया, तारो चांद और सूरज पर गौर करते करते हुए इस नतीजे पर पहुंचे यह सब तो किसी के कानून के ताबे निकलते और डुबते है, उन्होंने अपनी कौम के सामने यह ऐलान कर दिया के इलाह तो वो है जो सारी कायनात का खालिक है, इब्राहिम ने कौम से सवाल किया बताओ हम दोनों में से कौन ज्यादा बेवकूफ कहलाने का मुस्तहीक है, झूठे शरीको को मानने वाला या सच्चे खुदा को मानने वाला, अमन और इमान दरअसल ईमान लाने वालों के लिए है,
इब्राहिम अलै. की नस्ल में बहुत से नबी आये, यह सब हिदायत याफता थे, तुम उन्हीं की राह पर चलो, और ऐलान कर दो कि हम दावत के काम के लिए तुमसे किसी अज्र के तालिब नहीं है, इस किताब के जरिए तुम बस्ती और आसपास के लोगों को तंबीह करते रहो, जो लोग आखिरत पर इमान लाऐगें वो लोग इस कुरान पर ईमान लाएंगे, और फिर अपनी नमाजों की हिफाजत किया करेगें, इसके बाद कायनात में फैले हुए आखिरत के बहुत सारे दलाईल बयान करने के बाद फरमाया, फिर भी लोग कभी जिन्नो को उसका शरीक ठहराते हैं, कभी उसके लिए बेटा बनाते हैं, ये लोग जितने माबूदों को पुकारते हैं, तुम उनके लिए तोहीन आमेज अल्फाज इस्तिमाल ना करना, ऐसा ना हो के जहालत में उनके अंदर रद्धे अमल पैदा हो, और सच्चे खुदा को गालियां देने लगें,
जो लोग कसमें खा खाकर कहते हैं, के चमत्कार पेश करो, उनसे कह दो कि ये अल्लाह के इख्तियार में है, असल बात यह है कि यह लोग जो मांग रहे हैं, अगर पूरी कर दी जाए, तब भी यह लोग इमान नहीं लाएंगे, ईमान तो इस जहनीयत के लोग तब भी नहीं लाएंगे, कि जब उनकी तरफ फरिश्ते भेज दिया जाए या मुर्दे उनसे बातें करने लगे, असल में इंसान और जिन्नों में से कुछ शयातिन नबीयों के दुश्मन होते हैं, वह आपस में भी एक दूसरे को फरेब के तौर पर खुश करने वाली बातें इल्का करते रहते हैं, इस सूरते हाल में तुम्हें सिर्फ अल्लाह के कलाम को अपना हकम बनाना चाहिये, जिसमें हर बात वाजे कर दी गई है अब तुम्हारे रब की बातें सच्चाई और अदल के साथ पूरी हो चुकी,
उसके कलीमात में अब कुछ भी तब्दील नहीं होगा, अक्सरीयत तो कयास और गुमान के पीछे चला करती है, तुमने भी यही किया तो तुम गुमराह हो जाओगे, हराम क्या है यह कुरान में वाजे किया जा चुका, अब जिसे अल्लाह के नाम जब्ह किया गया, उसे तुम हराम कैसे करार दे सकते हो, हां जिस पर अल्लाह का नाम नहीं लिया गया उसका गोश्त खाना फिस्क है, वह मुर्दा जिसे जिंदगी बख्श दी जाए और हिदायत का एक नूर भी उसके साथ हो, और वह जो अंधेरों में ही रहना चाहे, दोनों बराबर नहीं हो सकते, नसीहत कुबूल करने वालों के लिए हिदायत के निशानाता वाजे कर दिए गए हैं,
हिसाब के दिन इंसानी सियातीन इकरार करेंगे, कि उन्होंने दोनों ने एक दूसरे को खुब इस्तेमाल किया था, हालांकि इंसान और जिन्नो के दोनों गिरोह में अल्लाह के रसूल आए, अल्लाह का यह काम नहीं कि किसी ऐसी बस्ती को जुल्म करके बरबाद कर दे, जिस के लोग हकीकत से ना वाकिफ हो, नाफरमानों से कह दो तुम अपने मंसूबों पर अमल करो और मुझे मेरे मसंुबो पर अमल करने दो, जल्दी ही मालूम हो जाएगा किस का अंजाम क्या हुआ, इसी जहालत और नादानी की बिना पर उन्होंने अपनी औलाद को कत्ल किया और हलाल को हराम ठहराया, यह लोग नुकसान में होंगे अल्लाह की तरफ से जो वही नाजिल हुई, उसमें कहा ऐ कह दो में खाने में कोई चीज हराम नही पाता सिवाय इसके मुर्दार, बहाया हुआ खून, सूअर का गोस्त, और गैरउल्लाह के नाम पर जब्ह किया हुआ हराम किया गया है, ‘‘इसके अलावा खाने में कोई चीज हराम नहीं है,’’
और यह दीन सिर्फ खाने-पीने ही में नहीं है, तुम पर तुम्हारे रब ने दिगर पाबंदियां आयद की है, वह यह है उसके साथ किसी को शरीक ना ठहराओ, वालदेन के साथ हुस्ने सुलुक करो, गरीबी के डर से अपनी औलाद को कत्ल ना करो, बेशर्मी के करीब ना जाओ, ना हक कत्ल ना करो, यतीम के माल को अपने माल में मिलाओ तो ऐसे मिला ओ के उस की हक तल्फी ना हो, नापतोल में इंसाफ से काम लो, हर बात इंसाफ की कहो, और अल्लाह से किए हुए अहद को पूरा करो, यही सीधा रास्ता है, क्या हक कबूल करने के लिये लोग इसके मुन्तजीर है के फरिश्ते आए, या उनका रब खुद आ जाए, या तुम्हारे रब की बाज निशानियां जाहिर हो जाए, जिस दिन वह निशानियां जाहिर हो जाएगी उस दिन किसी का ईमान लाना फायदेमंद होगा,
जिन लोगों ने अपने दीन में फिरके बना लिए और गिरोह में बट गए, उनसे अल्लाह के रसुल अल्लाह के हुक्म से रसूल हर रिश्ता और वास्ता तोड़ चुके, अल्लाह तो इतना रहीम है, के बुराई का बदला बुराई के बराबर, नेकी का बदला 10 गुना कर देता है, तुम ऐलान कर दो मेरे रब ने मुझे सीधा रास्ता दिखा दिया, जो इब्राहिम की मिल्लत है, अब मेरी नमाज, मेरे सब मनासिक, मेरी जिंदगी और मेरी मौत, सब अल्लाह रब्बुल अलामीन के लिये है, में उससे शिर्क कैसे कर सकता हुं, जो शख्स जो कमायेगा उसका वह खुद जिम्मेदार होगा, और कोई किसी दूसरे के बोझ नहीं उठाएगा, उसने तुम को बाज पर बाज को फजीलत बख्सी, ताकि तुम्हारी आजमाइश हो जाए, उसका कानून हर वक्त तुम्हें घिरे हुए हैं, और बेशक वह मगफिरत फरमाने वाला भी है और रहम फरमाने वाला भी है,
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