Khulasa E Quran | Revealed Quran Hindi | Surah Tauba-09 Ayat 1-129 | खुलासा ए कुरान | मुख़्तसर क़ुरान हिंदी | सुराह तौबा-09 आयत 1-129

 अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है

Khullasa E Quran
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सुराह तौबा-09 आयत 1-129

जो मुशरिकीन मुहायदा तोड़तेे हैं, तो तुम उन्हें 4 महीने का नोटिस देकर मुहायदा तोड़ दो, लेकिन जिन्होंने कभी खिलाफवर्जी नहीं की उनसे मुहायदेे वफा करना, नोटिस की मियाद गुजरने के बाद दुश्मनों से कोई रियायत ना करो, लेकिन अगर लड़ने वालों में से कोई तुमसे पनाह मांगे तो पनाह दो, फिर उसे कलाम उल्लाह सुनाओ, दीन समझाओ और बजाए जबरदस्ती करने के उसकी अमन की जगह वापस पहुंचा दो, अल्लाह तुम्हारी आजमाइश किए बगैर नहीं छोड़ेगा, के अल्लाह की राह में जिहाद करते हो या नहीं, मुशरिकीन के पास मस्जिदों की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए, यह तो उनका काम है जो अल्लाह और आखिरत पर इमान लाये और नमाज कायम करें, जकात दे, और अल्लाह के सिवा किसी से ना डरे, लेकिन अल्लाह की राह में खर्च करने वालो का मर्तबा काबे की मुजावरी और हाजियों को पानी पिलाने से भी बुलंदतर है,

अल्लाह की राह में जानो माल खर्च करने के रास्ते में अगर तुम्हारे बाप, भाई, बेटे, बीवियां रिश्तेदार तुम्हारे कारोबार आड़े आते हो उनकी जरा भी परवाह ना करना, इमान वालों मुश्रीकिन ना पाक है ,लिहाज ये मस्जिदे हराम के पास ना आये, जंग के अहकामात मुश्रीकिन ही नहीं अहले किताब के साथ भी काम आने के लिये है, उन्होंने अपने उल्मा और मशाइक को अपना रब बना रखा है, और हजरत मसीह को भी, जिन्होंने तौहिद की तालीम दी, अल्लाह ने रसूल को इसलिए भेजा के दीने हक सारे बातिल निजाम पर गालिब आ जाये, रसूल का यह मिशन लाजमन कामयाब होगा, इमान वालों अहले किताब के उल्मा और मशाईक के तर्जे अमल इख्तियार ना करना, जो बातिल तरीके से लोगों के माल खा जाते हैं, कयामत मैं उनकी कमाई से उनके जिस्मों को दागा जाएगा,

महीनों की तादाद हमेशा से 12 है इसकी पाबंदी करना और मौसम से मुताबकत करने के लिये हर साल में एक महीना में मत जोड़ना, यह काफिर करते हैं, इनमें से चार महीने हुरमत वाले हैं, ऐ इमान वालों जब तुमसे अल्लाह के रास्ते में निकलने को कहा जाता है, तो जमीन तुम्हारे पांव क्यूं जकड़ लेती है, तुमने अगर रसूल के मिशन का साथ ना दिया तब भी अल्लाह उसे अकेला ना छोड़ेगा, और एक दूसरी कौम कोे ले आएगा, अल्लाह की राह में निकलने के लिए तैयारी की शर्त ना लगाना, जैसे भी हो निकलो, जो लोग इस्तात और हालात ठीक होने तक रूके रहने की बात करते है, वो झूठे है, अल्लाह की राह में निकलने से रुखसत वो लोग मांगते हैं, जो अल्लाह और रोजे आखिर पर ईमान नहीं रखते हैं, जिनके दिलों में अभी शक बाकी है, उनके माल भी कबूल ना करो, जो नमाज कसमसा कर पढ़ते हैं और माल मजबूरी में खर्च करते हैं,

तुम्हारी जकाते फुकरा, मशाकीन, कारकुनो ‘‘निजाम को चलाने वाले और वसुल करने वालो के लिये है’’ और गैर मुस्लिम जिनके दिल माइल हैं, उनके लिए है, और गरदनों को छुड़ाने, कर्जदारो का कर्ज अदा करने में, मुसाफिरों की मदद करने में और अल्लाह की राह में जिहाद करने की मद में जकात दो, ये फर्ज है, मुनाफिक भलाई से रोकते हैं, और बुराई को फैलाते हैं, उनके लिए जहन्नम की आग है, मोमिनीन भलाई फैलाते हैं और बुराई से रोकते हैं, उनसे जन्नत का वादा है, मुनाफिकीन में से बाज वह है, जिन्होने अहद किया था, कि जब उनके माली हालत बेहतर हो जाए तब खैरात करेंगे, लेकिन अल्लाह ने जब उनको नवाजा तो वह कंजूसी पर उतर आए, अल्लाह की उनकी खुफिया शरगोसियां भी मालूम है, मुनाफिकीन के लिए अगर नबी भी 70 मर्तबा भी दुआ करेंगे, तो भी उन्हें माफ ना किया जाएगा,

सिर्फ जईफ और बीमार लोग जो दिल से अल्लाह और उसके रसूल के वफादार हैं, उनके लिए अल्लाह की राह में ना निकलने के लिए माफी है, या उनके लिए जिनके पास हकीकत में सवारी के मसाईल है, और तुम उन्हें वापस भेज देते हो तो वो आंखों में आंसू भर कर वापस हो जाते हैं, कुछ बैठे रहने वाले ऐसे हैं, जिन्होंने अपने उज्र पेश करने की बजाय अपने कसूरों का एतराफ कर लिया, उनका अमल मिलाजुला है, कुछ अच्छा कुछ बुरा, हो सकता है कि अल्लाह उनकी गलतियों को दरगुजर फरमाए, तुम लोगों के मालों में से सदका और जकात लेकर उन्हें पाक करो, और उनके हक में दुआ है, ताकि उन पर सुकुन और रहमत होे,

ऐसे लोग भी हैं जो अगर मस्जिदे भी तामिर करेंगे तो दीन को नुकसान पहुंचाने की गरज से, और मुसलमानों में तफरका पैदा करने कि गरज से, ऐसी मस्जिदों में तुम नमाज ना पढ़ना जिन की तामीर में तक्वे के नियत ना हो, अल्लाह ने इमान वालों की जान और माल को जन्नत के बदले खरीद लिया है, खुशी मनाएं ऐसे सौदा करने वाले, अहले इमान एक साथ ना निकल पडे, इनमें से कुछ निकले और दीन की समझ पैदा करें, और अपने अपने इलाके में निकल कर खबरदार करें, लोगों तुम्हारे पास तुम ही में रसूल आ गया है, तुम्हारे नुकसान से उसका दिल दुखता है , तुम्हारी कामयाबी की तमन्ना करता है, इमान वालों के लिए शफकत और रहम करने वाला है, अब जो लोग पीठ फेरे उनसे कह दो कि मेरे लिए अल्लाह काफी है, वह अकेला इलाह है, मैंने उसी अर्से अजीम रब्बुल अलामीन पर तवक्कुल कर लिया है ।
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