Khulasa E Quran | Revealed Quran Hindi | Surah Maida-05 Ayat 1-120 | खुलासा ए कुरान | मुख़्तसर क़ुरान हिंदी | सुराह माइदा-05 आयत 1-120

अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है 

Surah Maida - 5
Khulasa E Quran

सूरह माइदा - 5 आयात 1-120

ईमान वालों तुम पर कुछ हुदुद और पाबंदियां आयद की गई हैं, उनकी पाबंदी करो, हरमे काबा की तमाम आलामतों का एहतमाम करो, चाहे वो दिन और महीने हो या कुर्बानी के जानवर या हुज्जाज एकराम, नेकी के काम में सबका तआवुन करना और बुराई के काम में किसी का साथ ना देना।
 
मुर्दार खून सूअर का गोश्त और गैरउल्लाह के नाम पर जब्ह किए गए तुम्हारे लिए हराम करार दिए गए, जब्ह की शर्त के साथ तमाम मवेशी चैपाये तुम्हारे लिए हलाल है, तुम्हारा दिन अब मुकम्मल हो चुका हराम हलाल में अब कोई तब्दीली नहीं होगी, इलाह यह कि कोई इस्तरार के हालत में होगा तो गुनाह नहीं होगा, तमाम पाकीजा चीजें तुम्हारे लिए हलाल कर दी गई जिनके पास अल्लाह की किताब आई उनका जबिहा तुम्हारे लिये हलाल है, और तुम उनको अपने घर खाने पर बुला सकते हो, इमान वालों की और किताब वालों की महफूज औरतें तुम्हारे निकाह के लिए हलाल हैं, बशर्ते है कि तुम उनके मेहर अदा करो, और वह पाक बाज और व किरदार हो।

नमाज से पहले वूजू करो यानी चेहरे, कोनी, पैरों को धो लिया करो, जनाबत की हालत में हो तो गुस्ल जरूरी है, लेकिन सफर में और एसी हालत में जहां पानी ना मिले तो गुस्ल और वुजू में इसकी जगह तैमुम कर लो,  अल्लाह से जो तुमने अहद किया है उसे कभी ना तोड़ना, अगर कोई कौम तुम से दुश्मनी करे उसके मामले भी अदल से ना हटना, बनी इस्राइल ने अहद को तोडा लिहाजा इमान कबूल करने के मामले में उनके दिल सख्त हो गए, ईसाईयों ने भी अल्लाह से अहद की खिलाफवर्जी की उसके नतीजे में उनके दिलों में कयामत तक के लिए दुश्मनी पैदा कर दी गई, जो कोई भी उनके तरीके पर चलकर वादे के खिलाफवर्जी करेगा उनके साथ ऐसा ही होगा।

मसीह को खुदा कहने वालों ने कुुफ्र किया, यहूदी और ईसाई अल्लाह के चाहितेे बेटे होने का दावा करते हैं, हालांकि अगर ऐसा होता तो उन्हें उनके गुनाहों की सजा नहीं मिलती, हकीकत ये है के सब इंसान एक जैसे हैं, जो गुनाह के मुस्तहिक होते हैं, उन्हें सजा मिलती है, मूसा की कौम के लोगों ने नाफरमानी की, सजा के तौर पर अल्लाह ने उन्हें 40 साल तक सेहरा में भटका दिया, फरमाबरदारी और नाफरमानी का सिलसिला नस्ले इंसानी के शुरू से चला आ रहा है, आदम के बेटे की कुर्बानी कबूल नहीं हुई तो उसने दूसरे का कत्ल का इरादा किया जिसकी कुर्बानी कबूल हुई थी उसने कहा अल्लाह तक्वा वालों से कुबूल फरमाता है, बिल आखिर नाफरमान बेटे ने फरमाबरदार बेेे
टे का कत्ल कर दिया, और नुकसान उठाने वालों में शामिल हो गया।

बनी इजरायल से अल्लाह ने यहां तक साफ साफ कह दिया था, खुन करने और फसाद फैलाने के अलावा जिसने किसी का कत्ल किया, उसने गौया तमाम इंसानियत का कत्ल किया, जिसने किसी एक इंसान की जान बचाई उसने गौया तमाम इंसान को जिंदगी बक्शी, जमीन में फसाद फैलाने की सजा कत्ल या सूली या मुख्तलिफ सिमत से हाथ, पैर काटे जाना या जिला वतन किए जाना है, और आखिरत में इससे भी भयानक सजा है लेकिन अगर तुम्हारे उनके काबू पाने से पहले तौबा कर ले तो उन्हें माफ कर दिया, इमान वालों तक्वा इख्तियार करो और अल्लाह के कुर्ब वसीला तलाश करो, चोरी की सजा में चोर का हाथ काटा जाएगा लेकिन सजा पाने के बाद जो कोई तौबा कर ले उसको बुरी नजर से ना देखना,

कुफ्र के लिए सरगर्मी दिखाने वालों के लिए रंजीदा ना होना उनमें वह भी होंगे जो ईमान लाने का दावा करते हैं लेकिन उनके दिल ईमान वाले नहीं हैं, उनमें यहूदी भी है जो तुम्हारे पास सिर्फ सुनगुन लेने आते हैं, अल्फाज को मौका महल से फेरने वाले है, यह झूठ सुनने वाले और हराम खाने वाले हैं, ये अगर तुमको हकीम बनाएं तो तुम्हें इख्तियार है कि तुम उनका फैसला करो, या ना करो, उन्होंने तुम्हे हकम बनाया ही क्यों जबकि तौरात में उनके पास अल्लाह का हुक्म मौजूद था, जो लोग पूरे पर ईमान लाने का दावा करने के बाद उसी तोरेत पर ईमान नहीं रखते, वह कुरान पर ईमान नहीं लाएंगे,

बनी इजरायल के अंबिया तौरात से ही फैसले करते थे, जो अल्लाह के नाजिल करदा कानून के हिसाब से फैसले नहीं करते वही तो काफिर होते हैं, तोरेत में यह हुक्म भी था, जान के बदले जान, हर अंग के बदले वही अंग, हर जख्म का बराबर का बदला लिया जाएगा, लेकिन जो माफ कर दे उसके लिए सदका होगा, फिर अल्लाह ने इंजील नाजिल फरमाए फिर उनको हुकुम दिया जो उसके मुताबिक फैसले ना करें, वही फासिक है, अब कुरान के नाजिल होने के बाद उसे हकम बनाओ और उसके मुताबिक ही अपने फैसले करो, अल्लाह ने हर उम्मत के लिए अलग शरियत रखी थी, वह चाहता तो एक ही शरीयत होती, लेकिन उसको लोगों की आजमाइश करनी थी,

तुम देखते हो जिनके दिलों में निफाक है वह यहुद और नसारा ही में चक्कर लगाते हैं, और अल्लाह अगर तुम्हें फतह दे तो नदामत दिखाते हुए तुम्हारे पास आ जाएंगे, उनके सब आमाल अकारत हो गए, और यह घाटे में रहे, तुम में से कुछ अल्लाह के मुकर्रर करदा तरीके से पीठ फरेगें तो फिर अल्लाह दुसरी कौम को लाएगा, जिससे वह मोहब्बत करेगा क्योंकि वह लोग भी अल्लाह से मोहब्बत करने वाले होंगे, इमान वालों पर नरम और कुफफार पर सख्त होंगे, अल्लाह की राह में जिहाद में किसी की परवाह नहीं करेंगे,
अल्लाह और रसूल और मोमिन तुम्हारे सरपरस्त और दोस्त हैं और अल्लाह वालो को ही गालीब होना है, ईमान वालों जो अहले किताब तुम्हारे दीन को मजाक तो तफरीह का सामान बनाते हैं, उनसे दोस्ती ना करो, उनसे कहो कि क्या तुम हमसे इसलिए दुश्मनी रखते हो कि हम कुरान पर भी इमान रखते हैं, और अल्लाह की उस किताब पर भी जिसे तुम मानते हो, तुम तो अल्लाह के कलाम का इन्कार करके सख्त गुनहगार हो गए,

एक गिरोह ऐसा है जो ईमान लाने का दावा करता है, लेकिन वह लोग गुनाह के कामों में दौड धूप करते हैं, हराम खाते हैं, उनके उलमा और माशाईक उनको गुनाह पर जबान खोलने और हराम खाने से नहीं रोकते, एहले किताब दुनिया में जंग आग भडकाते रहते हैं, और अल्लाह उसे ठंडा करता रहता है, अगर अहले किताब ईमान लाते और उनको दुनिया के भी नेमतें मिलती और आखिरत की भी, जो कुछ तुम्हारे पास अल्लाह की तरफ से आया है उसे पहुंचा दो लोगों से ना डरो लोगों से अल्लाह तुम्हारी हिफाजत करेगा, अहले किताब से कह दो कि जो तुम्हारे पास अल्लाह का कलाम आया जब तक उसके सच्चे मोमिन नहीं बनते, तुम्हारी कोई असल और बुनियादी ही नहीं है, जब ये उसी को नहीं सुनते तो कुरान सुन कर उनकी शरकशी और इंकार में इजाफा हो जाता है,

बनी इजरायल किसी रसूल को झुठलाया किसी के कत्ल के दर पे हुए, और नासारा ने इशा की मोहब्बत में गुलु करके मसीह को खुदा बना दिया, उन्होंने भी कुफ्र किया, हालांकि की मसीह की तालीम तो यह थी एक अल्लाह की बंदगी करो जो मेरा और तुम्हारा दोनों रब है, मसीह एक रसूल थे, जैसे उससे पहले बहुत से रसूल गुजरे, वह और उनकी वाल्दा इंसानों ही जैसी जिंदगी गुजारते थे, इमान वालों अहले किताब वालों को गुलू करने से मना करो और उन लोगों की ख्वाहिश की पैरवी ना करना, इससे पहले गुमराह हो चुके बनी इसराइल में से जिसने कुफ्र किया उन पर तो खुद हजरत ईशा की जबान से लानत भेजी गई, अहले इमान की दुश्मनी में यहूद और मुशरिकीन ईसाईयों के मुकाबले में ज्यादा सख्त होंगे, और इमान वालों से दोस्ती में ईसाई इन दोनों मुकाबले में नजदीकतर होंगे, क्योंकि उनमें इबादत गुजारा आलिम और दुनिया तर्क करने वाले फकीर पाए जाते हैं, जो तकब्बुर नहीं करते,

ईसाइयों में जो नरम दिल होते हैं कुरान सुनकर उनके उनके दिल मुतासिर और आंखें नम होती है, और वही इमान ले आते हैं तुम बनी इजरायल की तरह अल्लाह की हलाल करदा पाक चीजों को हराम मत करार देना, अगर किसी हलाल चीज से परहेज की कसम खाली है तो कसमोें के मामलों में यह समझ लो, तो फिजूल कसमों पर पकड़ नहीं है, लेकिन जो इरादतन कसम खाली जाए उसको तोड़ने का कफारा, 10 मिस्किनांें को खाना या कपड़े, या एक गुलाम आजाद करना, और जो यह ना कर सके वह तीन लगातार रोजे रखे,

यहूदियों ने हलाल को हराम कर लिया था और इसाइयों ने हराम चीज को हलाल कर लिया था, हकीकत यह है कि शराब, जुआ, आस्ताने और पासे शैतानी नापाकिया है, और इनसे परहेज लाजमी है, पानी में सांस लेने वाले जानवर बिना जब्ह किए हुए हलाल कर दिए गए हैं, जबकि खुश्की का शिकार हालत ए अहराम में मना है, शिकार इसलिए मना है काबा अमन का मरकज है, दुनिया के तमाम इंसानों के रूहानी और मादी कयाम का मरकज है, यहां जो जानवर लोग की जब्ह करने के लिए लाए हैं उनका भी रास्ते में जब्ह करना मना है, और हज के महीनों के अहतरामन जंग मना है, इमान वालों जिन चीजों से वजाहत से रोका नहीं गया उनकी बहुत बारीकी से कुरेद मत किया करो, वरना तुम्हारी जिंदगी मुश्किल में पड़ जाएगी,

 तुम में से अगर किसी को अपनी मौत का वक्त करीब महसूस हो तो वसीयत करते वक्त दो आदिल गवाहों को जरूर बुला लेना, यह दुनिया की गवाही की अहमियत है, आखिरत की गवाहियों में कुछ ढका छुपा नहीं रहेगा, अल्लाह तमाम अंबिया से सवाल करेगा कि तुम्हारी दावत का तुम्हें क्या जवाब दिया गया तो वह कहेंगे हम तो सिर्फ जाहिर को जानते हैं, जबकि आप तो हर गैब का भी इल्क है, हजरत ईशा को अल्लाह तआला अपने एहसान याद दिलाएगा बनी इजरायल की अकसरीयत नेे उन्हे झुठला दिया था, और जो थोड़े से हवारी ईमान लाए वह भी उनसे मांग कर बैठे कि तुम अपने रब से उनके लिए आसमान से रोजी की फरावानी उतारने की दुआ करो, उनकी दुआ कबूल करते हुए अल्लाह ने यह भी वार्निंग दी थी ,कि अगर नेअमतो की ना शुक्री हुई तो सजा भी ऐसी मिलेगी कि तमाम जहानों में पहले किसी को नहीं मिली होगी,

इन तमाम ऐसा अहसानात को याद दिलाते हुए अल्लाह उनसे फरमायेगा के ऐ इशा क्या तुमने लोगों से कहा था कि वह तुम्हें और तुम्हारी वाल्दा को मेरा शरीक करें, जवाब देंगे आपकी जात ए बाला हर जरूरत से पाक है, और अगर मेने ऐसी बात कही होती तो आपके इल्म में तो सब है, आप मेरे दिल का हाल और गैब सब का एल्म रखते है,ं मैंने तो लोगों से कहा था कि अल्लाह की बंदगी करो मेरा और तुम्हारा दोनों रब है, अब अगर आप उनको सजा दे तो आप के बंदे हैं और अगर माफ कर दे तो आप जबरदस्त हिकमत वाले हैं, इस तरह रसूल शिर्क करने वालों की सिफात करने के बजाय हक की गवाही देगें, इरशादे बारी तआला होगा कि ये वो दिन है कि सच्चाई पर चलने वालों का सच उनके काम आएगा, उनसे अल्लाह राजी है और वह अल्लाह के फैसले से राजी होगें, हैं हकीकत यह है कि जमीन और आसमान में जो कुछ है सब अल्लाह के कब्जे और कुदरत में है,
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