Khulasa E Quran | Revealed Quran Hindi | Surah Hajj-22 Ayat 1-78 | खुलासा ए कुरान | मुख़्तसर क़ुरान हिंदी | सुराह हज-22 आयत 1-78

अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है


Khulasa E Quran
Khulasa E Quran

सुराह हज-22 आयत 1-78

लोगों अपने रब की नाफरमानी से बचो, क्योंकि उस घड़ी का जलजला इतना जबरदस्त होगा के मांऐ गोद के बच्चों को दूध पिलाना भूल जाएंगी और हमल गिर जाएंगे, उन लोग नशा न करने के बावजूद नशे में महसूस होंगे, आखिरत की मुनकिर इनको रहने रहमे मादर में उसके तकलीख के मराहिल याद दिलाए गए, और मुर्दा जमीन में बारिश से जान पढ़ने का मंजर याद दिला कर कहा गया यह सब उसी के सबूत हैं, अल्लाह मुर्दों को दोबारा जिंदा करने पर कादिर है, उसके बावजूद बाज लोग इस कायनात इल्म और रौशन किताब कुरान की मिली जुली हिदायत के बगैर अल्लाह अल्लाह के कानून के बारे में हुज्जत करते हैं,

बाज लोग हद पर रहते हुए दुनिया की फायदा किस-किस हुक्म को मानने में है, यह दुनिया और आखिरत दोनों जगह नुकसान में होंगे, कयामत के रोज अलग-अलग मजाहिब को मानने वालों का फैसला हो जाएगा, कायनात की हर चीज पर अल्लाह की हुकूमत है, लेकिन इंसानों में से कुछ ईमान लाते हैं, कुछ नाफरमानी करते हैं, जो इन्कार करने वाले हैं, अल्लाह के निजाम के मरकज मस्जिद हराम से लोगों को रोकते हैं, इस मरकज की निशानदेही करके उसे तवाफ करने वालों रुकू और सजदा करने वालों के लिए शिर्क से पाक रखने की जिम्मेदारी इब्राहिम को दी गई और कहा गया था कि लोगों में हज का ऐलान करो, ताकि वह दूरदराज से पैदल और सवारियों पर और वहां आकर मुशाहिदा करें, के इंसानियत के इस मरकज में जमा होने में इंसानों के कितने फायदे हैं, वह मालूमात के इन दिनों में कुर्बानी के जानवरों में से खुद भी खाएं और जरूरतमंदों को भी खिलाएं, और अपनी इस्तिमाईत गंदीगी को दूर करें,

अपने अजाइम पर अमल करने का फैसला करें, कदीम तरीन घर का तवाफ करें, शिर्क और झूठ से परहेज करें, शायर अल्लाह यानी इस निजाम के निशान आज की ताजीम लाजिम है, तुम्हारा एक इलाह है, उसके आगे सरे तस्लीम खम करो और उनको खुशखबरी सुना दो, जिनके दिल अल्लाह की याद से लरज जाते हैं, इस राह की मुश्किलात का वो डटकर सामना करते हैं, सलात कायम करते हैं, और अल्लाह के दिये हुए में से खर्च करते हैं, कुर्बानी के उंट भी शायर अल्लाह में से है, लेकिन उनका गोस्त और खून अल्लाह को नहीं पहुंचता, अल्लाह को तुम्हारा तक्वा पहुंचता है, यानि कुर्बानी अपनी ख्वाहिश नफस की कुर्बानी की अलामत है, अल्लाह ने जैसे तुम्हें इन्हें तुम्हारे कंट्रोल में कर दिया तुम भी उसकी हिदायत के मुताबिक उसका निजाम नफीस करके उसकी बढ़ाई जहीर करो, ऐसे ईमान वालों के दुश्मन को अल्लाह दफा कर देगा,

जिन पर जुल्म हुआ, अल्लाह को रब मानने की वजह से लोग लड़ने आए या उनको उनके घरों से निकाले, उन लोगों से जंग की इजाजत है, अल्लाह जमीन में हुकूमते इसीलिए तब्दील करता है, इक्तिदार के नशे में चूर कोई गिरोह दूसरों गिरोह की इबादतगाहे तोड़ देने की जबरदस्ती ना करें, अल्लाह के दीन की मदद करने वालों की अल्लाह मदद करेगा, यह लोग जब ताकत में आएंगे तो सलात कायम करेंगे, जकात देंगे, भलाई की ताकीद और बुराई से रोकने का फर्ज अदा करेंगे, पिछली इंसान की तारीख में अल्लाह के कानून को झुठलाने वालों की तबाही की दास्ताने ए याद करा,े जालिमो के ऊपर अल्लाह का अजाब नाजिल होता है, लेकिन इंसानों के, और अल्लाह के वक्त के पैमाने अलग अलग हैं, एक मुद्दत तक मोहलत देने के बाद अल्लाह के कानून की मुखालिफत करने वालों की पकड़ होती है,

हर नबी यही पैगाम लाता रहा, लेकिन शरीर लोग बाद में उसमें मिलावट करते रहे, और जो हर रसूल बाद में आता उसके जरिए अल्लाह शैतानी मिलावट को दूर करके अपने कानून को मनसुख करके मुस्हकम करता रहा, अब जो आखरी सही इल्म आ गया है उस पर इमान वाले ईमान ले आए, इन्कारी तो कयामत वाके होने तक इसमें शक ही करते रहेंगे, उस दिन अल्लाह का फैसला आ जाएगा, और ईमान और अमल वाले जन्नत में और इंकार करने वाले और झूठलाने वाले रुसवां कुन अजाब में होंगे, जिन्होंने अपने ऊपर जुल्म और ज्यादती के बराबर बदले का कदम उठाया फिर भी उनके खिलाफ ज्यादती होती रही, अल्लाह की तरफ से उनकी मदद जरूर होगी, क्योंकि अल्लाह का यही कानून है, कि वह दिन को रात में और रात को दिन में दाखिल करता है, बारिश होती है और जमीन ले लहा उठती है

आसमान और जमीन पर उसी का इक्तिदार है, जमीन में उसने सब कुछ जाबतों के मुताबिक तुम्हारे कंट्रोल में दिया, समुंद्री जहां जहाज को देख लो, आसमान के निजाम को देखो कि जमीन से टकरा नहीं जाता इन सब का कानून में बंधा होना इंसानों के लिए अल्लाह की रहमत है, उसी ने तुम्हें जिंदगी दी फिर मौत देगा, फिर जिंदगी देगा, लेकिन इंसान जिंदगी की नेअमतो की ना शुक्री करने लगता है, हर उम्मत को बंदगी के मनासिक दिए जाते हैं, जो पिछली उम्मतो की मनासिकां को मनसुख कर देते थे, लेकिन अब जब तुम्हारी आखरी शरीयत के मनासिक दिए गए, तो उनको तुमसे झगड़ना नहीं चाहिए, तुम अपने रब की तरफ दावत जारी रखो फिर भी वह कट हुज्जाती करें, तो कह दो इख्तिलाफ का फैसला कयामत के दिन होगा, वो बगैर दलील के गैरउल्लाह की बंदगी करते है,ं अल्लाह की आयात सुनकर नाराज होते हैं, उनका ठिकाना जहन्न्म होेगा,

अल्लाह के सिवा जिनको पुकारा जाए वह सब मिलकर एक मक्खी भी बना नहीं सकते, और अगर मक्खी उनकी कोई चीज ले जाए तो उसे वापस ले भी नहीं सकते, ऐसे मजबूर है उनके माबूद असल में अल्लाह की शान के मुताबिक उसकी कदर ना कि, इमान वालों तुम्हारी भलाई इसी में है, रूकु और सज्दे करो अल्लाह की राह में ऐसा जिहाद करो जैसा कि उसका हक है, उसने तुम्हें चुना है, तुम अपने बाप इब्राहिम की मिल्लत हो, और अल्लाह ने तुम सब का नाम मुस्लिम रखा है, तुम रसूल की हिदायत के मुताबिक जिंदगी गुजारो, और दुनिया के तमाम इंसानों के इमाम बनो इसके लिए सलात और जकात का निजाम कायम करो, और अल्लाह के कानून से मजबूती से जुड़े रहो, वह बहुत अच्छा सरपरस्त और मददगार है ।

Post a Comment (0)
Previous Post Next Post