सुराह अन्क़बुत-29 आयत 1-69
अलिफ लाम मीम, क्या लोगों ने समझ रखा है कि वह ईमान का दावा करने के बाद यू हीं छोड़ दिए जाएंगे, उनके आजमाइश नहीं होगी, उनसे पहले जिसने भी दावा किया अल्लाह ने उसकी कसाई की, यह तो अल्लाह को चेक करना ही है, के दावे में कौन सच्चे और कौन झूठा है, जो भी मुझे मुजाहिदा करेगा अपने भले के लिए करेगा, और वह तो बेनियाज है अल्लाह ने इंसान को वालदेन से हुस्ने सलुक करने की ताकिद की लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वह शिर्क का हुक्म दे, तब भी उनकी मानो,
ईमान का दावा करने वालों पर जब भी आजमाइश आती है, तो मुनाफिक उसे अजाब समझते हैं, अल्लाह को यह भी तो चेक करना है, कि तुम में से मुनाफिक कौन है, हजरत नूह ने अपनी कौम को 950 साल तक दावत दी, हजरत इब्राहिम ने भी लोगों को शिर्क छोड़ने की दावत दी, लोग जमीन में चल फिर कर देखें, के चीजों को कैसे पैदा करता है, जो इफतिदा कर सकता है, वो खात्मा भी कर सकता है, अल्लाह ने नुह को और उनके साथियों को अजाब से बचाया, इब्राहिम को आग से बचाया, लुत और उनके मानने वालों को अजाब से बचाया, हजरत हुद और सालेह की कौम को आद, समूद के अजाबों से बचाया,
हजरत शोऐब को अहले मदयन के अजाब से बचाया, तारिख देख लो, दावत की हुज्जत पूरी होने के बाद जालीम हलाक किए गए, और दाई को बचाया गया, सबसे कमजोर घर मकड़ी का होता है, जो अल्लाह को छोड़कर दूसरों को पुकार रहे हैं उनकी मिसाल मकड़ी और उसके जाले की सी है, यह मिसाने अल्लाह लोगों के समझने के लिए बयान फरमाता है, आसमान और जमीन को उसने हक के साथ पैदा फरमाया, उसमें एक निशानी ईमान लाने वालों के लिए यह है, अपनी तरफ भेजी गई वहीं की तरफ चलो, और नमाज कायम करो, नमाज बुराइयों और फहस कामों से रोक देती है, और नमाज तो जरिया है, अल्लाह की याद का, अल्लाह की याद उससे बड़ी चीज है,
अहले किताब से दलीलों की बात सिर्फ ऐसे करना जो अच्छा लगने वाला अंदाज हो, सिवाय उन लोगों के जो उनमें से जालिम हो, उनसे कहो कि हमारा और तुम्हारा खुदा एक ही है, जिसके हम मानने वाले हैं, हम उस पर भी इमान लाते हैं, जो अल्लाह ने हमारे पास भेजा, और उस पर भी जो तुम्हारी तरह भेजा गया था, अगर तुम को इंकार करने वालों से पूछो, आसमान और जमीन को किसने पैदा किया, चांद और सूरज किसके बस में है, पानी बरसा के मुर्दा जमीन को जिंदगी कौन देता है, यकीनन कहेंगे कि अल्लाह, तो फिर किधर से धोखा खा रहे हो, और ऐसे लोग अक्ल से काम नहीं लेते, काश ये जानते कि दुनिया की जिंदगी तो बस खेल तमाशा है, असल जिंदगी तो आखिरत की जिंदगी है, हक के सामने आ जाने के बाद, उसे झूठलाने वाले, जहन्नमी है, उनका ठिकाना जहन्नम होगा, और जो अल्लाह के लिए जद्दोजहद करें, उनकी वो लाजमन अपने रास्ते की तरफ रहनुमाई करेगा, बेशक अल्लाह नेकोंकारों के साथ है ।