सुराह क़सस 28 आयत 1-88
ता.सीन.मीम, वो किताबे की आयात है, ईमान लाने वालों की नसीहत के लिए हजरत मूसा और फिरौन का कुछ हाल सुनो, फिरौन शरकस और जालिम था, अल्लाह का इरादा था कि जालिमो को सजा देकर कुचले हुए लोगों को इक्तिदार दें, अल्लाह ने हजरत मूसा की वाल्दा के दिल में डाला के बच्चे को दरिया में डाल दें, और गम ना करें, फिर फिरौन के घर वालों ने उसे निकाला और फिरौन की बीवी ने उसको अपना बेटा बना लिया, मूसा की बहन उस ताबूत का पीछा कर रही थी, इसमें बच्चा था उसने देखा कि बच्चे ने उनके महल में किसी का दूध नहीं पिया, तो उसने फिर उनके घर वालों से कहा मैं उस औरत को जानती हूं, जिसका दूध ये पियेगा, इस तरह मूसा को अल्लाह ने उनकी वाल्दा की तरफ पलटा दिया,
जब मूसा जवान हुए तो अल्लाह ने उन्हें हिकमत और इल्म अता किया, एक दिन उन्होने देखा कि फिरौन कौम का एक शख्स बनी इजरायल के एक शख्स पर जुल्म कर रहा है, उन्होंने उसे मारा तो उसकी मौत वाके हो गई, उन्होंने अल्लाह से माफी तलब की, अगले दिन उन्हें मालूम हुआ कि सरदारों में उनके कत्ल के मशवरे हो रहे हैं, वह मिश्र से निकल गए और मदयन पहुंचे, वहां उन्होंने देखा कुंऐ पर कुछ लोग जानवरों को पानी पिला रहे थे, और दो लड़कियां अपने जानवरों के साथ थोड़ी दूर पर खड़ी थी, मूसा ने आगे बढ़कर उनके जानवरों को पानी पिला दिया, कुछ देर बाद उनसे एक लड़की ने आकर खा कर मेरे वालीद आप को बुला रहे हैं, लड़कियों के वालिद ने हजरत मूसा की दास्तान सुनने के बाद कहा कि अगर तुम 8 मुद्दते हज तक की मेरी मुलाजमत करो तो मैं अपनी एक लड़की से तुम्हारा निकाह कर दूंगा,
जब मुद्दत पूरी हो गई तो मुसा अपनी एहलोे अयाल को लेकर चले तो उन्हे तुर तरफ एक आग नजर आई, वहां पहुंचे तो कानों में आवाज आई, मेही सारे जहानों का मालिक अल्लाह हूं, अपनी लाठी जमीन पर डालो, उन्होन ने देखा कि वह लाठी सांप की तरह बल खा रही है, फिर आवाज आई के डरो नहीं, और अपना हाथ गिरेबान में डालो चमकता हुआ नजर आएगा, और इन दो मौजजे के साथ फिरौन के पास जाओ, हजरत मूसा की दरख्वास्त पर अल्लाह ने हजरत हारून को उनका साथी बना दिया, ताकि वह भी साथ रहे, फिरौन ने खुली निशानियां को जादू कह कर इंकार कर दिया, और उनकी दावत का मजाक उड़ाया, बिल आखिर फिरौन और उसका लश्कर समुंद्र में डूब कर तबाह हो गये,
तुम उस वक्त वहां मौजूद नहीं थे, तुम्हें इसकी खबर इसलिए दी गई ताकि तुम उस कौम को खबरदार करो, जिनके पास तुम से पहले कोई और डरने वाला नहीं दावत देने वाला नहीं आया, ताकि उन पर दावत की हुज्जत पूरी हो जाए अगर वो इंकार करें, तो उनसे कहो कि तुम तोरात और कुरान से बेहतर कलाम लाकर दिखा दो, अपनी ख्वाहिश की पैरवी करने वाले हिदायत नहीं पाते, जिन लोगों को पहले किताब दी गई वह जब उसका हके तिलावत अदा करेंगे तो उस पर इमान ले आयेगे, और ये कहेगें कि हम तो पहले से ही मुस्लिम थे, अल्लाह उनको दोहरा अज्र देगा,
कितनी ही बस्ती तबाह की गई जहां के लोग अपने मालो पर इतरा रहे थे, उनके खण्डर आज खड़े हैं उनमें से बहुत कम है, बाद में कोई बसा, अल्लाह किसी बस्तियों को तबाह तक नहीं करता, जब तक दावत की हुज्जत पूरी नहीं हो जाती, अल्लाह सिर्फ उसी बस्ती पर अजाब भेजता है, जिस के बाशिंदे जालिम हो जाए, अल्लाह के एहसान को फरामोश करने वाले, जरा गौर करे कि अगर अल्लाह कयामत तक उन पर रात ही जारी रखता, तो क्या कोई माबुद है जो रोशनी ला देता, अगर कयामत तक अल्लाह दिन ही जारी कर दे, तो कौन है, जो उनको दिन ला कर दे, सुकून ही गारत हो जाता, तो उसका शुक्र अदा करते हो या नहीं,
कारून हजरत मूसा की ही कौम का एक शख्स था, लेकिन दौलत के घमंड है वह भी फिरौन बना हुआ था, उसके पास इतने खजाने थे कि उनकी सिर्फ चाबियां उठाने के लिए एक जमात की जरूरत होती थी, फिर उस पर रश्क करने वालों ने देखा कि, उसे उसके घर, माल और दौलत के साथ अल्लाह ने जमीन में धंसा दिया, आखिरत की फलां उन लोगों के लिए मखसूस है, जो दुनिया के अंदर अपनी बड़ाई नहीं चाहते, जिस अल्लाह ने तुम पर कुरान की तबलीग फर्ज की, वो तुमको जरूर बेहतरीन अंजाम तक पहुंचाएगा, अपने रब के रास्ते की दावत दो, और मुश्रिकों में शामिल ना हो, अल्लाह की जात के अलावा हर चीज हलाक होने वाली है, उसी की हुकुमत है, और तुम सबको उसी की तरफ वापस लौट कर जाना है ।