सुराह नमल-27 आयत 1-93
ता.सीन. वो कुरान की आयात, और किताबें मुबीन है, कुरान ए हकीम अजीम हस्ती की तरफ से है याद करो जो मूसा ने अपने घर वालों से कहा कि मैंने एक आग देखी है, मूसा जब वहां पहुंचे तो अल्लाह ने उनसे कलाम किया, दो मोजजे अता किये, मौजजे लेकर फिरौन के पास पहुंचे, तो उसने कहा कि ये जादू है, हालांकि उनकी दिल कायल हो चुके थे, उन लोगों का अंजाम तुम्हारे सामने हैं, अल्लाह ने दाऊद और सुलेमान को इल्म अता किया सुलेमान को दाऊद की विरासत मिली, वो परिंदों की बोलियां समझते थे, उनके लिए जीन्नो और इंसानों परिंदो लश्कर जमा किए गए थे,
एक मौके पर उन्होंने मुल्क सबा की तरफ कूच किया, हुदहुद को आगे खबर लेने भेजा, जब हुदहुद वक्त पर वापस ना आया, तो नाराज हुए, हुदहुद ने आकर बताया की सबा की हुक्मरान एक औरत है, उसके पास अजीमो शान एक तख्त है, और वह लोग सूरज के पुजारी हैं, हजरत सुलेमान ने मुल्के सबा को खत भेजा, मल्लिका ने सुलेमान तोहफे भेजें, हजरत सुलेमान ने वापस कर दिये, हजरत सुलेमान ने अपने दरबारियों में से जिसके पास अल किताब इल्म था, उसका तख्त उठवा लिया, इधर मल्का हजरत सुलेमान की खिदमत में हाजिर हुई, और कहा कि हम तो पहले से ही इतिआत कबूल कर चुके हैं,
हजरत सालेह ने अल्लाह का पैगाम दिया, तो उसमें से 9 बड़े सरदारों सालेह पर हमले का प्लान बनाया, लेकिन उससे पहले अल्लाह ने उन्हे तबाह कर दिया, उनके घर आज भी निशानी के तौर पर मौजूद है जो खाली पड़े हैं, हजरत लुत की कौम बदकार थी, जब ना मानी तो उन पर पत्थरों की बारिश हुई, तुम कह दो कि अल्लाह के लिए हम्द है, और सलाम उसके उन बंदों पर जिन्हें उसने चुन लिया,
आसमान और जमीन की पैदाइश, आसमान से पानी बरसाना, और सब्जा उगाना, जमीन को फर्श और आसमान को छत बनाना, पहाड़ों से जमीन को बैलेंस करना, बेचैन की दुआ को कबूल करना, तकलीफो को दूर करना और दूसरी मखलुकत के बाद इंसान को जमीन पर बसाना, खुश्की और समुंद्र में रास्ता दिखाना, खल्क की इब्तिदा करना, और उसे लोटाना, आसमान और जमीन से रिज्क मुहिया करना, इन सब के बारे में अगर पूछा जाए तो कहेंगे कि अल्लाह ही करता है, फिर क्यों यह लोग ईमान नहीं लाते,
इनसे कहो कि गेब का इल्म अल्लाह को है, दरअसल उनसे आखिरत का इल्म खो गया है, बल्कि उसकी तरफ से अंधे हो गए हैं, अजाब जल्दी मचाने वालों से कह दो हो सकता है, कि अजाब का एक हिस्सा तुम्हारे साथ चिपक चुका हो, आसमान और जमीन की हर बात एक वाजे रिकॉर्ड में दर्ज है, कुरान बनी इसराइल को उनके बेशतर इख्तिलाफ की तहसील बताता है, लेकिन तुम ना मुर्दों को सुना सकते हो, ना बेहरो को अपनी आवाज सुना सकते हो, ना अंधो को रास्ता समझा सकते हो, जब वक्त आएगा तो उनके लिए जमीन से एक जानदार निकलेगा, जो उनसे कलाम करेगा,के यह लोग अल्लाह की आयत पर यकीन नहीं रखते,
उस दिन के बारे में सोचो जब अल्लाह हर उम्मत में से ना फरमान बड़े बड़े गिरोह को घेर लाएगा, और और उनसे सवाल किया जाएगा, केे तुमने उसे इल्म से परखे बगैर अल्लाह की आयात को क्यों झूठलाया, कयामत के दिन पहाड़ बादलों के जर्रात की तरह उड़ रहे होंगे, जो शख्स भलाईयां लेकर हाजिर होगा, वही उस दिन कि दहशत से महफूज होगा, और बदकार आग में फेंक दिए जाएंगे, इनसे कह दो कि मुझे तो यही हुकुम मिला है, कि हरम के परवरदिगार की बंदगी करूं, और मुस्लिम बन कर रहूं, और यह कुरान सुनाओ जो हिदायत इख्तियार करे ये उसके ही भले के लिये है, और जो ना माने उनसे कह दो मैं तो सिर्फ खबरदार करने वाला हूं, अनकरीब अल्लाह अपनी आयात तुमको दिखाएगा और तुम उन्हें पहचान लोगे, तुम्हारा रब तुम्हारे आमाल से गाफिल नहीं है ।