Khulasa E Quran | Revealed Quran Hindi | Surah Fussilat-41 Ayat 1-54 | खुलासा ए कुरान | मुख़्तसर क़ुरान हिंदी | सुराह फुस्सिलत-41 आयत 1-54

अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है

Khulasa E Quran
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सुराह फुस्सिलत-41 आयत 1-54

हां मीम एक तंजील है अल्लाह की जानिब से, एक ऐसी किताब जिसकी आयात अलग-अलग करके अरबी जुबान में वाजेह कर दी गई है, उन लोगों के लिए जो इल्म रखते हैं, लेकिन अक्सर लोग सुनकर नहीं सुनते और कहते हैं कि तुम्हारी बातें हमें नहीं सुननी है, अपना काम करो, तबाही उनके लिये जो उन मुस्लिमों के लिए जो जकात नहीं देते जो आखिरत का इंकार करते हैं, यह इतने अजीम मालिक का कुफ्र करते हैं, जिसने जमीन को दो मरहले में पैदा किया, फिर उसे पहाड़ों से बैलेंस किया, फिर उस में बरकते रखी, यह काम 4 अदवार में हुआ सवाल करने वालों को बता देना यह चार अदवार मुस्तरक है, यानी सातों आसमानों में भी इसी तरह का काम चल रहा था,

फिर वह आसमानी दुनिया की तरफ मुतवजे हुआ, उस वक्त ये गैस की शक्ल में था, और जमीन और आसमान में अपने कानून जारी किए, इस तरह उसने सात आसमान दो दो अदवार में बनाएं, जिसे जमीन दो अदवार में बनाई थी और हर आसमान में उसकी जरूरते, जमीन की तरफ चार अदवार में रखी, अब अगर यह लोग इंकार की रवीश कायम रहे तो, उनसे कह दो कि मुझे डर है कि कहीं तुम्हारे ऊपर आद और समुद जैसा अजाब अचानक ना आ जाए, आखिरत के दिन उनके तमाम आजा उनके खिलाफ गवाही देंगे, इसके बर खिलाफ जो अल्लाह को अपना मानने के बाद साबित कदम रहे, उन पर फरिश्ते नाजिल होते हैं, और इस दुनिया और आखिरत में दोनों में उनके मददगार होने का एलान करते हैं,

और इन दोनों यानि दुनिया और आखिरत की जन्नत में उनकी हर ख्वाहिश पूरी होगी, बतौरे खास ये मकाम दाई को हासिल होता है, क्योंकि जिसने अल्लाह की तरफ दावत दी और नेक अमल भी किये, उससे बेहतरीन बात किसी की हो नहीं सकती, जो बुराई को भलाई से दफा करते हैं, इस तरह उनके दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं, हालाकि बुराई को दफा करना बहुत ही मुश्किल काम है, लेकिन जिसे की तौफीक नसीब हो बड़ा नसीब वाला है, जब जब तुम्हें इस रास्ते से षैतान हटाना चाहे ता अल्लाह की पनाह तलब करना, रात दिन और सूरज यह सब अल्लाह की आयात है,

 अल्लाह की बंदगी इख्तियार करो सूरज और चांद को माबूद ना बनाओ, बारिश से मुर्दा जमीन में जान पढ़ना भी अल्लाह की आयात में से है, अब जो इन कायनात की आयात का इंकार करें अल्लाह से छुपा ना रहेगा, कुरान एक ताकतवर किताब है, इसमें बातिल दाखिल नहीं हो सकता ना सामने से ना आड से, अल्लाह की तरफ से मोहल्लत का कानून मुकर्रर है, यह चीज किताब उल्ला में इख्तिलाफ करने वालों कि शक और बेचैनी बढ़ा रही है, केे उनकी गलतियों की सजा उन्हें फौरन क्यों नहीं मिल जाती, तुम्हारा रब जालिम नहीं है, फैसले की घड़ी का इल्म उसी की तरफ लौटया जाता है, लेकिन इंसान को इसकी फिक्र नहीं है,

उसकी हालत तो यह है कि जब मुसीबत में होता है तो मायूस होता है, फिर अल्लाह की रहमत से सख्त वक्त गुजर जाता है, अकड़ता है, इनसे कहो कि क्या तुमने कभी यह भी सोचा कि कुरान सचमुच अल्लाह का कलाम हुआ और तुम इसका इनकार करते रहे तो ऐसा शख्स को सबसे ज्यादा गुमराह होगा, जो मुखालफत में दूर निकल गया हो, अल्लाह तो अपनी आयात उनको कायनात में और खुद उनके वजूद में दिखाता चला जाएगा, यहां तक कि यह सब उन पर वाजेह हो जाएगा यह कुरान हक है, लेकिन क्या खुद अल्लाह का गवाह होना काफी नहीं था, जो अपने रब के सामने जवाब देही में षक रखते हैं, वह सुन ले अल्लाह ने हर चीज का अहाता किया हुआ है ।

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