Khulasa E Quran | Revealed Quran Hindi | Surah Ghafir-40 Ayat 1-85 | खुलासा ए कुरान | मुख़्तसर क़ुरान हिंदी | सुराह ग़ाफ़िर-40 आयत 1-85

अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है

Khulasa E Quran
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सुराह ग़ाफ़िर-40 आयत 1-85

हां मीम अल्लाह की तरफ से नाजिल होने वाली किताब है जो जबरदस्त हिकमत वाला और इल्म वाला है, जो गुनाहों को ढकने वाला वह तौबा को कबूल करने वाला भी है, इसकी कुदरत भी रखता है, कि सख्त सजा दे, उसके सिवा कोई इलाह नहीं और उसी की तरफ वापसी है उसके कानून के बारे में झगड़ने वाले अगर जमीन में इक्तिदार में है तो उनसे धोखा ना खाना, इससे पहले कौमे नूह और दूसरी कौमो की मिसाले तुम्हारे सामने हैं, यह सब तबाह हो गए अल्लाह के इक्तिदार के हामिल फरिश्ते और अतराफ के फरिश्ते इमान वालों के लिए मगफिरत और जहन्नम से नजात और जन्नत में दाखिले की दुआ करते रहते हैं,

और मोमिनीन के बाप, बच्चों को और जोड़ों में से जो नेक थे उनके लिए भी जन्नत की दुआ करते हैं, अहले जहन्नम कहेंगे, ऐ रब तूने हमें दो मर्तबा मौत दी और दो मर्तबा जिंदा किया, अब यहां से निकलने की राह बता दे, कहा जाएगा कि अजाब इसलिए है कि कि तुमसे जब अकेले अल्लाह की बात की जाती थी तो नहीं मानते थे, जब उसके साथ कोई दूसरे को शरीक कर लेता था, तब मानते थे ए मोमिनो तुम सिर्फ अल्लाह को पुकारो और उसी के लिए दीन को खालीस रखो चाहे इन ना मानने वालों कितना ही नागवार गुजरे, 

जमीन में घूम फिर कर देखो जो इंकार करने वालों से ज्यादा ताकत रखते थे कैसे तबाह हो गए, अल्लाह ने हजरत मूसा को फिरौन और हामान और कारून के पास भेजा तो उन्हें झूठा जादूगर कहा गया, फिरौन ने कहा कि मैं मूसा ही को कत्ल करवाये देता हूं, जो दीन बदलवा कर यह फसाद फैला रहा है, लेकिन उनमें से एक खुफिया ईमान वाला हजरत मूसा की मुनाफियत किया करता था, फिरौन और आले फिरौन को अल्लाह के अजाब से डराता था, और उनको मुक्कमल दावत पेश करता था, फिर आले फिरौन पर अजाब आया, अल्लाह ने इमान को इनके फरेब से बचा लिया, और अब आले फिरौन को अलमे बरजख में सुबह शाम आग का अजाब दिया जाता है, जबकि कयामत के दिन सख्त तरीन अजाब में दाखिल किया जाएगा,

जहन्नम में इस दुनिया के कमजोर लोग यहां के बड़े बनने वालों के लीडरों से कहेंगे हम तुम्हारे पैरो थे अब हमारा कुछ अजाब कम करवाओ, वह जवाब देंगे के अब तो फैसला हो चुका, हम सब यहां एक जैसे हैं वह जहन्नम के दारोगा से कहेंगे, कि अपने रब से कहकर किसी एक दिन तो अजाब की तकफीफ करवा दो, वह कहेंगे कि जब तुम्हारे पास रसूल बाजे कलाम ला चुके थे और तुमने इंकार किया अब चीखते रहना तुम्हारे कुछ काम नहीं आएगा, अल्लाह ने बनी इजरायल को एक किताब का वारिस बनाया, और मूसा को जो रहनुमाई भेजी वह अक्ल वालों के लिए याद देहानी थी,

जो लोग अल्लाह की आयात के बारे में बिना दलील के झगड़ते हैं, वो तकब्बुर करते हैं, वो उसके मानो को कभी नहीं पहुंच सकते, तुम उनकी हरकतों पर अल्लाह की पनाह चाहो, वह सुनता और देखता है, जिसनेे आसमान और जमीन को पैदा किया, उसके लिए इंसानों को दोबारा पैदा करना क्या मुश्किल है, लेकिन अंधे और देखने वाले बराबर नहीं होते इसी तरह नेक और बदकार भी एक जैसे नहीं होते हैं, चाहे लोगों की अक्सरीयत इमान ना लाए, तो भी कयामत आएगी इसमें कोई शक नहीं, तुम्हारे रब ने तो यह कह रखा है कि मुझे पुकारो तो मैं तो मेरा जवाब मिलेगा, वही अल्लाह तो है जिसने तुम्हारे सुकून के लिए रात और काम करने के लिए रोशन दिन, लेकिन अल्लाह के इस फज्ल की लोग कदर नहीं करते,

अल्लाह ने जमीन को तुम्हारे रहने के लायक बनाया और आसमान को छत की तरह कर दिया, जब वह रहने के काबिल हो गई तो तुम्हें भेजा, और तुम्हारे लिए रिज्क का सामान भेजा, उसने जमीन के आनासिर से तुम्हारे नुत्फे की तखलीक की, फिर नुत्फें से मां के पेट में मोअलक शे बना, फिर उसने तुम्हें बच्चा बना कर निकाला, फिर तुम जवान हुये, फिर बूढ़े हुए और बाज बुढ़ापे में और बाज पहले ही खत्म हो जाते हैं, तुम अक्ल से काम क्यों नहीं लेते, यह सब क्यों हो रहा है, वही जिंदगी और मौत देता है, और जिस बात का फैसला कर लेता है, तो वह हो जाती है,

अल्लाह की आयात के बारे में झगड़ने वाले रसुलों के पैगाम को झुठलाने वालों के गले में तोक होंगे और खोलते पानी और आग मैं जंजीरों से घसीटे जाएंगे, फिर उनसे पूछा जाएगा कि अब तुम्हारे शरीक कहां गए, वह कहेंगे कि अब तो सब गुम हो गए, कहा जाएगा कि ये अजाब तुम्हें इसलिए है, कि तुम जमीन में अपनी हरकतों में मग्न थे और इतराते थे, तकब्बुर करने वालों का बुरा ठिकाना है, तो तुम अपने मिशन पर साबित कदम रहो, अल्लाह का वादा सच्चा है, चाहे उसका कुछ हिस्सा तुम्हारी जिंदगी ही में सामने आ जाए, वह तुमको उससे पहले वफात दे दे, तुम्हारा काम हो चुका, तुम्हें उसी के पास वापिस जाना है,

इस कुरान में बहुत से रसूलों के किस्से हैं और रसूल वह भी थे जिनके वाकियात बयान नहीं किए गए कोई रसूल खुद अपनी तरफ से कोई आयात नहीं लाता, जब अल्लाह का अम्र आ जाता है, तो फिर फैसला नाफिज हो जाता है, अल्लाह ने तुम्हारे लिए जो मवेशी बनाए, तुम खाते भी हो, सवारी भी करते हो, और दिगर तरह के फायदे भी उठाते हो, समुद्र में भी है अल्लाह ने तुम्हारी सवारीयां दी, तो तुम उसकी किन किन आयात का इंकार करते हो, अगर तुम जमीन में चल फिर कर देखो तो मालूम होगा, कि इंकार करने वालों से ज्यादा ताकतवर तबाह हो गए और उनकी कमाई उनके काम ना आई, जब उन पर अजाब आता था, तो अपने शरीकों को छोड़कर अल्लाह को पुकारते थे, लेकिन अल्लाह की सुन्नत यही चली आ रही है, कि अजाब देख लेने के बाद ईमान का कोई फायदा नही होता ।
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