Khulasa E Quran | Revealed Quran Hindi | Surah Shura-42 Ayat 1-53 | खुलासा ए कुरान | मुख़्तसर क़ुरान हिंदी | सुराह शूरा-42 आयत 1-53

अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है

Khulasa E Quran
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सुराह शूरा-42 आयत 1-53

हां मीन एन सीन काफ, इसी तरह अल्लाह तुम्हारी तरफ और तुम से पहले लोगों की तरफ वही करता रहा है, अल्लाह ने इस अरबी कुरान को तुम्हारी तरफ भेजा, ताकि तुम बस्तियों के मरकज और उसकी मदाफात को खबरदार करो, अगर अल्लाह की ये मषीयत होती, तो तमाम लोग एक उम्मत होते, लेकिन उसकी मषीयत तो यह थी जो खुद चाहे उसे अल्लाह अपनी रहमत में दाखिल फरमाए, उसका हुक्म ये है के तुम्हारे दरमियान जब कहीं भी कोई इख्तिलाफ हो तो उसका फैसला अल्लाह से कराओ, सब कुछ उसी के कब्जे कुदरत कुदरत में है, तमाम खजाने की कुंजियां उसी के पास है, जिसके लिए चाहे उसकी रोजी बढ़ा देता है, जिसे चाहे उसके लिए नपा तुला मिलता है, उसे हर बात का इल्म है, कि किसने क्या कोशिश की और उसे क्या मिलना चाहिए,

अल्लाह ने तुम्हारे लिए दीन यानी जो निजाम जिंदगी तजवीस किया है, वो वही है जो पिछले नबियों की तरफ वही किया गया था, इन सब से कहा गया था कि उस निजाम को कायम रखें और उसके अंदर तफरका पैदा ना करें, लोगों में जो फिरके बने, वह इल्म आ चुकने के बाद बने, क्योंकि वह दूसरे पर चैधराहट चाहते थे, अगर तुम्हारे रब ने मोहलत का वक्त मुकर्रर ना कर रखा होता तो फैसला चुका दिया गया होता, अब तुम इसी दिन पर कायम रहते हुए इसी की दावत दो उनसे कह दो कि अलग-अलग फिरको के दरमियान मेरा ईमान तो अल्लाह की किताब पर है,

अल्लाह एक दिन हम सब को जमा करेगा और उसके सामने फैसला हो जाएगा, क्या ये लोग दिन के नाम पर कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं जिनका अल्लाह ने हुक्म नहीं दिया है, इन जालिमों के लिए अजाब है, तुम लोगों पर जो मुसीबत भी आती है तुम्हारे अपने हाथों की कमाई से आती है, जबकि बहुत से कसूरों की तो अल्लाह सजा भी नहीं देता, दुनिया की चंद रोजा जिंदगी के सामान से आखिरत बेहतर भी है और पायेदार भी, ये उन ईमान लाने वालों के लिए है जो कबीरा गुनाह से बचते हैं, बेहायाई से परहेज करते हैं, गुस्से को पी जाते हैं, अपने रब का हुकुम मानते हैं, नमाज कायम करते हैं, अपने मामलात में बहम मषवरे करते हैं, अल्लाह के दिए हुए रिज्क में से खर्च करते हैं, उनके साथ कोई ज्यादती करें तो बराबर का बदला ले सकने की इजाजत के बावजूद माफ कर देते हैं, सुलाह कर लेते हैं, जिस पर बदला ले तो उस पर मलामत नहीं है,

अपने रब की बात मान लो उससे पहले कि वह दिन आए कि जिस के टलने की सूरत नहीं, और अगर ये मुंह मोड़े तो तुम्हारा काम सिर्फ दावत देना है, अल्लाह के किसी बशर से कलाम करने की सिर्फ 3 तरीके होते हैं, या तो अल्लाह की वही सीधे उस पर नाजिल होती है, या पर्दे में रहते हुए अल्लाह की बात उसके कान में पहुंच जाती है, या फिर वह कोई फरिश्ता भेजता है, जो अल्लाह के हुक्म उसे वही करता है, इसी तरह एक रूह को अल्लाह ने मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तरफ वही किया, और उस रूह को एक नूर बना दिया, जिसके जरिए हिदायत होती है, यकीनन तुम सीधे रास्ते की तरफ रहनुमाई कर रहे हो उसकी तरफ जो जमीन और आसमान का मालिक है सुन लो के सारे मामलात अल्लाह की तरफ लौटते हैं ।

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