सुराह यासीन-36 आयत 1-83
या सीन, कुराने हकीम की गवाही है, कि तुम्हारे जिमें यकीनन रिसालत का फरीजा अंजाम देने की जिम्मेदारी है, ताकि तुम एक ऐसी कौम को खबरदार करो, जिनके बाप दादा के पास कोई वार्निंग देने वाला नहीं आया, और वह गाफिल है, लेकिन यह भी हकीकत है कि इनमें से अक्सर लोग नाफरमान हैं, लेकिन ये भी हकीकत है कि इनको खबरदार करना ना करना बराबर है, जो नसीहत पर काम करने वाला हो तुम उसी को वार्निंग दे सकते हो, उसको मगफिरत और अज्र की बशारत दे दो,
बेशक अल्लाह मुर्दों को जिंदा करेगा और जो कुछ उन्होंने आगे भेजा और पीछे छोड़ा वो सब रिकॉर्ड किया जा रहा है, हर चीज का कानून का एक वाजे ओरिजिनल रिकॉर्ड में दर्ज है, तुम उनसे यह तमसील बयान करो एक बस्ती थी जिसमें दो रसुल भेजे गए, बस्ती वालों ने दोनों को झूठ लाया, उनकी मदद के लिए तीसरा रसूल भेजा, बस्ती वालों ने कहा कि हम तुम्हें बुरा शगुन समझते हैं, उन्होंने जवाब दिया कि तुम्हारा बुरा शगुन तो तुम्हारे अपने साथ लगा हुआ है, शहर के दूर दराज हिस्से में एक शख्स ने इमान कबूल किया और बस्ती वालों को समझाना भी शुरू किया, उन लोगों ने उसे कत्ल कर दिया, अल्लाह ने उसको जन्नत में दाखिल फरमाया, फिर वो कहने लगा काश मेरी कौम के लोगों को मालूम होता कि मेरे रब ने मेरी किस चीज की बदौलत मेरी मगफिरत कर दी है, फिर वह बस्ती एक धमाके से तबाह कर दी गई,
वो रसूल जो कानून ए शरियत समझाते थे, वहीं अब इन्हें बताया जा रहा है, उन लोगों के लिए बेजान जमीन से जिंदगी बरामद होना, रात और दिन का एक दूसरे में से निकलना, सूरज और चांद का हिसाब से चलना, इन सब का अपने मदार में गर्दिश करना, कस्तियों का समुद्र में तैरना इन सब में अल्लाह की आयात है, लेकिन इंकार करने वालों का हाल यह है जब उनसे कहा जाता है, कि अल्लाह की राह में खर्च करो, तो कहते हैं कि जिन्हें अल्लाह ने ही ना खिलाना चाहा तो हम उन्हें क्यों खिलाएं,
ये कयामत के बारे में पूछते हैं, तो इनसे कहो के कि तुम अपने मामलात में झगड़ रहे होगे, तब एक धमाका होगा फिर वह ना वसीयत कर सकेंगे, ना अपने घरों को पलट सकेंगे, एक सुर और फूंका जाएगा, वो सब अपनी कर्बो से निकल खड़े होंगे, वह कहेंगे कि यह किसने हमें उठा दिया, कहा जाएगा कि वही दिन है जिसका रहमान ने वादा किया था, उस दिन किसी पर कोई जुल्म नही होगा, उनके मुंह बंद कर दिए जाएंगे, और उनके हाथ और पांव गवाही देंगे, कि वह क्या करते रहे थे, यह शायरी नहीं है अल्लाह का कलाम है, जिसने आसमान और जमीन को पैदा किया, उन सब को दोबारा पैदा करने पर भी कादिर है, जब वह कोई इरादा करता है, तो बस हुकुम देता है, कि होजा तो वह हो जात है, उसी की तरफ तुम सब की वापसी है ।
