सुराह साफ्फात-37 आयत 1-182
मैदाने जंग में सफ बांधने वालों की गवाही और जो जालिमों का हाथ रोकते है, और वह जो जिक्र की तिलावत करते हैं, ये सब गवाह हैं, कि तुम्हारा हकीकी इलाहा बस एक इलाहा है, आसमानी दुनिया को अल्लाह ने तारों की जीनत से सजाया और उसे हर शर्कस शैतान से महफुज किया, वह मलाईआला की बातें नहीं सुन सकते, और कुछ खबर कोई ले उड़े तो, एक तेज शोला उसका पीछा करता है,
जिसने इन सब को पैदा किया उसके लिए इन लोगों को दोबारा पैदा करना मुश्किल नहीं है, जब भी उठाए जाएंगे तो कहेंगे कि हाय हमारी कमबख्ती, यह तो योमुल जजा है, वह सब एक दूसरे से झगड़ते एक दूसरे पर इल्जाम लगते हुए जहन्नम की तरफ हांक दिये जाएंगे, अल्लाह के नेक बंदे जन्नत की नेमअत में होंगे, तो एक दूसरे से राबता कायम कर सकेगें, और वह अपने जानने वाले अहले जहन्नमीयों को भी देख सकेंगे,
हजरत इब्राहिम ने अपनी कौम के बुत खाने के बूत तोड़ दिए, तो उनकी कौम के लोगों ने दहकती आग में डालना चाहा मगर अल्लाह ने उन्हें बचा लिया, अल्लाह की रहनुमाई में हजरत इब्राहिम ने बस्ती छोड़ दी, उन्हें एक सावलेह बेटे की दुआ की, अल्लाह ने बेटा दिया, जब वह बेटा समझदार हो गया तो, एक दिन हजरत इब्राहिम ने ख्वाब देखा, कि वो अपने बेटे को जिब्ह कर रहे हैं, उन्होंने बेटे को ख्वाब बताया तो बेटे ने कहा कि यह तो अल्लाह का हुक्म है, आप फौरन अमल कीजिए, इंशा अल्लाह आप मुझे साबिर पाएंगे, जब हजरत इब्राहिम उसे जिब्ह करने लगे तो, अल्लाह ने कहा इब्राहिम यह तो एक इम्तिहान था, तुमने तो ख्वाब को सच्चा कर दिखाया, अल्लाह ने बेटे के बदले में फिदये में कुर्बानी कबूल फरमाई,
उनकी नस्ल से हजरत इशा और याकूब पैदा हुए, मूसा और हारुन पर भी अल्लाह ने एहसान किया और उन्हें नुशरत बख्शी और बात की नस्लों में उनका जिक्र अल्लाह ने बाकि रखा, ऐसे ही हजरत लुत, यूनुस थे, अगर युनूस इस्तिगफार करने वाले ना होते तो कयामत तक मछली के पेट से ना निकलते हैं, उनका जिक्र भी अल्लाह ने बाकि रखा, उन सब पर सलाम हो, अपने भेजें हुये बंदो से अल्लाह का वादा है, यकीनन है उन सब की मदद होगी, और अल्लाह का लश्कर ही गालीब होगा, इन्हें एक मुद्दत के लिए छोड़ दो, फिर यह खुद देख लेंगे, पाक है तुम्हारा रब, और सलाम हो तमाम रसूलों पर, और सब तारीफ है रब्बुल आलमीन के लिए ।