अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है
Khulasa E Quran
सुराह नूर-24 आयत 1-64
इस सूरत में नाजिल होने वाले अहकाम बहुत वाजे हैं, उन पर अमल करना सब पर फर्ज है ,जिना करने वाले मर्द और औरत दोनों के लिए लोगों की मौजूदगी में सौ कोड़े मारे जाने की सजा है, पाक दामन ईमान वाले जानी मर्दों है या जानी औरतों से निकाह ना करें, पाक दामन औरतों पर इल्जाम लगाने वाले को चार गवाह लाने चाहिए वरना उनको 80 कोड़े मारे जाएंगे, जो खुद अपनी बीवियों पर बदकारी का एल्जाम लगाएं चार गवाना पेश ना कर सकें, वह 4 मर्तबा अल्लाह की कसम खाएं और पांचवी मर्तबा यह कहे कि झूठे पर अल्लाह की लानत, इसी तरह औरत भी 4 मर्तबा अल्लाह की कसम खाकर इन्कार करें और पांचवी बार कहे के कि झूठे पर अल्लाह की लानत,
जब कोई अच्छी किरदार वाली औरत पर इल्जाम लगाए तो ईमान वाले सबूत मिलने से पहले उसे पाक दामिन ही समझे और इल्जाम लगाने वाला अगर चार मजबूत गवाह ना सबूत पेश कर सकें, तो उसके इल्जाम को बोहतान तसव्वुर करें, जो लोग यह चाहते हैं कि इमान वाले बे हयाई फैले, वह दुनिया और आखिरत में सजा के मुस्तहिक है, शैतान की पैरवी ना करो जो पाकि इख्तियार करना चाहे, अल्लाह का फजल उसके साथ होता है साहिबे इस्तिता लोग कभी ऐसी कसम ना खा बैठे, के किसी मखसूस रिश्तेदार या मिस्कीन या मुहाजिर, फी सबीलिल्लाह की मदद ना करेंगे, क्या वह नहीं चाहते कि अल्लाह उनकी मगफिरत फरमाए,
जब दूसरों के घरों में दाखिल हो तो पहले इजाजत ले लिया करो फिर सलाम करके दाखिल हो जाओ अगर घर में कोई ना हो तो जब तक इसकी इजाजत ना मिले तो दाखिल ना होना, बिना बताए अगर किसी घर आ गए हो, और उससे कहा जाए कि वापस लौट जाओ तो पाकीजा तरीका यह है तो उसे खुशी-खुशी लौट जाना चाहिए, हां ऐसी इमारतों में बगैर इजाजत दाखिल हुआ जा सकता है जो किसी के घर नहीं है, वह तुम्हारी जरूरतों का सामान वहां होता है, जैसे दुकान, शाॅपिंग माॅल, होटल वगैराह,
मर्द और औरतेे अपनी निगाहों का तीखापन कम करें, और अपने शर्मगाह की हिफाजल करें, औरते इस जिनत के अलावा आम तौर पर जाहिर हो जाती है, उस जीनत को छुपाए, सीनों पर उड़नी के आंचल डाले रहे, जिनत जिन से छुपाना लाजिम नहीं है, वह यह है शोहर, बाप, ससुर, बेटे, सौतेले बेट,े भाई, भतीजे, भांजे, वो औरतें जिनका किरदार अच्छा होना मालूम हो, बांदियां और गुलाम और ऐसे मुलाजिम मर्द जो बुरा ख्याल दिल में लाने की हिम्मत ना कर सके, और वह बच्चे जिन्हें औरतों की पोशीदा बातों का इल्म ना हो, अल्लाह ने अपने अहकामत की शक्ल में अपनी वाजेह आयात तुम्हारी और भेज दी है,
अल्लाह तो एक नूर है जिससे सारे आसमान और जमीन जारी और चल रहे हैं, उस नूर की तरफ हिदायत पाने वाले उन मस्जिदों में पाए जाते हैं जिन्हें तिजारत खरीद-फरोख्त अल्लाह की याद और नमाज कायम करने से गाफिल नही कर देते, आसमान और जमीन में हर एक अल्लाह की तस्बीह बयान कर रहा है, यानी अपनी मुकर्रर करदा जिम्मेदारी अदा किए जा रहा है, चाहे आसमान में उड़ने वाले परिंदे, बादल हो या तरह तरह के जानवर, लोगों में बहुत से ऐसे हैं जो दावा तो ईमान का करते हैं लेकिन अपनी जिंदगी के फैसले अल्लाह और उसके रसूल से नहीं कराते,
हकीकी इमान वालो की पहचान तो यह है कि उन्हें रूहे जमीन पर इक्तिदार यानी पावर दी जाती है, हइ धर्म और इंकार करने वालों के बारे में गलतफहमी में ना रहना कि वो जमीन में अल्लाह को आजीज कर देंगे, उनका ठिकाना जहन्नम है, तुम्हारे घरों में बाज वो हैं जिनका हर वक्त कमरों में गुजर होता है, जैसे बच्चे गुलाम और बांदियां, लेकिन यह भी तीन औकात में इजाजत लिए बगैर तन्हाइयों में दाखिल ना हो, सुबह की नमाज से पहले दोपहर में जब तुम लेटते हो और इसा के बाद, जो औरतेे इसी उम्र को पहुंच जाएं जिसमें निकाह की उम्मीदवार नहीं रहती, वह अगर ओढनिया उतार दे तो कोई हर्ज नहीं है, लेकिन हया ही बरते तो उनके हक में बेहतर है,
मोमिनीनों को चाहिए कि इस्तिमाई मौके पर अमीर की इजाजत के बगैर वहां से ना जाए, अल्लाह उन्हें खूब जानता है जो एक दूसरे की आड लिए हुए चुपके से सटक जाते हैं, तुम जिस रवीश पर भी हो अल्लाह उसे जानता है वो हर चीज का इल्म रखता है ।