Khulasa E Quran | Revealed Quran Hindi | Surah Nooh-71 To Abas-80 | खुलासा ए कुरान | मुख़्तसर क़ुरान हिंदी | सुराह नूह-71 से अबस-80 तक

अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है

Khulasa E Quran
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सुराह नूह-71, जिन्न-72, मुज़म्मिल-73, मुद्दस्सिर-74, कयामाह-75, दहर-76, मुरसलात-77, नब्बा-78, नाजिआत-79, अबस-80 का खुलासा

सुराह नुह 71 : अल्लाह ने नूह अले. को उनकी कौम की तरफ भेजा लेकिन उनकी कौम ने उन्हें झूठलाया, तो हजरत नूह ने अल्लाह से फरियाद की ऐ मेरे रब इन लोगों ने तक्कबूर किया मैंने इन्हें हर तरह से समझा लिया मैंने इन्हें कायनात की निशानियां याद दिलाई नेमतें याद दिलाई इनको इनकी अपनी तखलीक की तरफ तवज्जो दिलाई लेकिन इनके सेठों ने बडा भारी फरेब का जाल फैला रखा है, उन्होंने बूूतों को छोड़ने से कतई इंकार कर दिया है ऐ रब अब इन पर अजाब भेज दे, फिर जब वह तबाह कर दिए गए तो नुह ने फरियाद की ऐ रब नाफरमानों में से एक को भी बाकि ना रखना ताकि आइंदा ये किसी को भी गुमराह ना करें ऐ रब मेरी और मेरे वालदैन की और हर एक शख्स जो मेरे घर मोमिन बन कर दाखिल हो और सब मोमिन मर्द और औरतों की मगफिरत फरमा और सब जालिमों को हलाक कर दे ।

सुराह जिन्न 72 : ऐ नबी कह दो के मुझे वहीं के जरिए इतिला दी गई कि जिन्नों के एक गिरोह ने कुरान सुना, और वापस जाकर अपने लोगों से कहा कि हमने एक अजीब कुरान सुना है और हम उस पर इमान ले आये है, और अब हम शिर्क ना करेंगे, इंसानों में से कुछ लोग जिन्होंने गिरोह से बना मांगते थे इससे उनके गुरुर में और इजाफा हो गया, लेकिन नसीहत कबूल करने वाले जिन्नों उन्हें समझाते कहा हम देखते हैं, कि पहले हमें आसमान के फैसलो की  कुछ सुनगुन मिल जाती थी, अब अगर हम में से कोई ऐसी कोशिश करता है तो उसको चारों तरफ बिखरे हुए शाहे साकिब को अपने हाथ में पाता है, हम में से जिन्होने इस्लाम का रास्ता ढूंढा उनकी निजात होगी और जिन्होंने हक का इंकार किया वह जहन्नम का ईंधन बनेंगे 

तुम उन लोगों से कह दो जो अपने रब के जिक्र से मुंह मोड़गा वह अजाब से दो चार होगा, और राहे रास्ते पर इस्किामत हासिल करने वालो को नेअमते मिलेगी, कह दो कि मैं तुम लोगों के लिए किसी नुकसान और नफे का इख्तियार नहीं रखता, कह दो के वादे का वक्त करीब है दूर मैं नहीं जानता, अल्लाह अपने गैब पर किसी को इत्तिला नहीं करता, सिवाये इसके के ऐसे रसूल जिसको उसने चुन लिया हो, अल्लाह ने हर चीज का अहाता किया हुआ है हर चीज उसी की गिनती में है ।

सुराह मुज़म्मिल 73 : ऐ नबुवत का बोझ उठाने वाले रात के कुछ हिस्से को छोड़कर बाकी मैं नमाज में खड़े रहा करो, आधी रात या उससे कुछ कमोबेश और कुरान को खूब ठहर-ठहर कर पढ़ा करो, हम तुम पर एक भारी कलाम नाजिल करने वाले हैं रात का उठना अल्लाह की बात समझने में अपनी बात को ठीक से अदा करने में बहुत कारगर होता है अपने रब के नाम का जिक्र करो वह सब से कटकर उसमें तवज्जो मलफुस करो, बातें बनाने वालों की बातों पर सब्र करो उनसे निबटने का काम अल्लाह पर छोड़ दो, तुम लोगों के पास अल्लाह एक रसूल भेजा है जैसा फिरौन के पास भेजा था, ये एक नसीहत है जिसका दिल चाहे कबूल करें 

तुम्हारा रब जानता है कि तुम्हारा रसूल कभी दो तिहाई कभी आधी रात नमाज में खड़ा रहता है, और तुम्हारे साथियों का एक गिरोह भी ये करता है, इतनी देर में तुम से रकातों या सुरतों की तादाद में गलती हो सकती है, बस जितना कुरान सहुलत से पढ सको पढ़ लिया करो, अल्लाह जानता है कि तुम में से कुछ मरीज होंगे कुछ मुसाफिर और कुछ अल्लाह की राह में जंग करने वाले तो जितना भी कुरान सहुलत से पढ़ सके पढ़ लिया करें, नमाज कायम करो जकात दो अल्लाह को कर्जे हसना देते रहो और जो तुम अपने आगे भलाई भेजोगे उसे तुम वहां मौजूद पाओगे, अल्लाह के पास वाला अज्र बहुत बड़ा है, उससे मगफिरत तलब करो, अल्लाह गफूर और रहीम है ।

सुराह मुददसिर 74 : ऐ नबुवत की जिम्मेदारी की खबर गिरी करने वाले उठो और खबरदार करो अपने रब की बढ़ाई का ऐलान करो अपने कपड़े पाक रखो और गंदगी से दूर रहो, अपने रब के लिए सब्र इख्तियार करो इंकार करने वाला त्योरी चढ़ाता है, तकब्बूर करता है कुरान को जादू और इंसानी कलाम कहता है, उसे एक ऐसी आग में झोंखा जाएगा जो ना तो बाकी रखेगी और ना छोड़ेगी, उसके लिए तय है, आखिरत में जन्नती अहले जहन्नम से पूछेंगे कि तुम यहां कैसे आ गए वह कहेंगे कि हम नमाजी ना थे और मिस्कीन को खाना नहीं खिलाते थे, और रोजे जजा को झूठलाते थे, उस रोज किसी की सिफारिश उनके काम ना आएगी, एक नसीहत हैे चाहिए कि वह सबक हासिल करें, अल्लाह का ये हक है के उसका तक्वा इख्तियार किया जाए, और उस पर ये हक है कि वह मुत्तकिन की मगफिरत फरमा दे ।

सुराह कयामाह 75 : क्या इंसान ने यह समझ रखा है अल्लाह उसकी हड्डियों को जमा नहीं कर सकेगा, उसकी कुदरत के लिए इंसान अपनी उंगलीयों की पोरों को देखें, जिस दिन कयामत वाके होगी उस दिन कयामत का मुन्किर कहेगा कि अब कहां भागुं, तुम कुरान को पढ़ने के लिए अपनी जबान को जल्दी-जल्दी हरकत ना दो उसे याद करा देना और पढवाना अल्लाह के जिम्मे है, फिर जब अल्लाह तुम्हें पढ़ा दे तो इसकी इत्तिबा करना, इसकी तफसरी भी अल्लाह तुम्हें समझा देगा जब जान अलग तक पहुंच जाएगी तो आदमी समझ लेगा कि यह जुदाई का वक्त है क्या इंसान नहीं समझ रखा है क्यों उसे यूं ही छोड़ दिया जाएगा वह एक हकीर नुत्फा था उसकी तखलिकी मराहिल तय करके वो इंसान बन गया या अल्लाह इस पर कादिर नहीं है कि मुर्दे को फिर से जिंदा कर दे ।

सुराह दहर 76 : क्या तुम यह समझते हो की बहुत जमाने पहले कि इंसान एक ना काबिले जिक्र चीज था अल्लाह ने इंसान को नुत्फे से पैदा किया और उसे सुनने और देखने वाला बनाया, फिर उसे रास्ता दिखाया फिर उसे इख्तियार दे दिया कि चाहे तो शुक्रगुजार बने चाहे तो कुफ्र करने वाला, इसके बाद बहुत तफसील से उन जन्नत की नेअमतो का बयान है जो जन्नत में नेक लोगों को मिलेगी, फिर फरमाया कि अल्लाह ने यह कुरान थोड़ा-थोड़ा करके नाजिल फरमाया, तो तुम अपने रब के हुक्म पर साबित कदमी इख्तियार करो, सुबह शाम उसे याद करो और कराओ और रात को सज्दा रेज हो, और रात के लंबे औकात में उसके के काम में मुस्तैदी से लगो, अल्लाह ने इंसानों को पैदा फरमाया वह जब चाहे उनकी शक्ले तब्दील कर दे अपनी ख्वाहिश को अल्लाह की मसीयत पर अहमांग कर दो, जो ऐसा करता है उसकी रहमत में दाखिल कर किया जाता है और जालिमों के लिए उसने दर्दनाक अजाब तैयार कर रखा है ।

सुराह मुरसलात 77 : जिस दिन का अल्लाह ने वादा किया वह जरूर आएगा उस दिन सितारे मांद पड़ जाएंगे और आसमान फाड़ दिया जाएगा पहाड़ धुनक दिए जाएंगे और रसूलों की हाजिरी होगी, तबाही है उस के दिन झूठलाने वालों के लिए, क्या अल्लाह ने उन्हें एक हकीर पानी से पैदा नहीं किया, क्या जमीन में जिंदो और मुर्दों को एडजस्ट नहीं किया, उसमें पहाड़ जमाए तो मैं मीठा पानी पिलाया, तबाही है उस रोज झूठलाने वालों के लिए, जो फैसले का दिन होगा और सब को इकट्ठा कर दिया जाएगा उस दिन वह कुछ ना बोलेंगे और कोई चाल ना चल सकेंगे, मुत्तकीन लोगों को उनके आमाल के सिलसिले में और साये और चश्मे नसीब होंगे, और कहा जाएगा कि जो दिल चाहे खाओ और पियो, जबकि मुनकिरों कहा जाता है जो खाना और पीना है जो मजा करना है वह आज कर ले, उनसे झुकने को कहा जाता है तो नहीं झुकते बड़ी तबाही है, उस रोज के झूठ लाने वालों के लिए अब इसके बाद कौन सा कलाम है जिसके लिए इमान लाएंगे, फिर तुम किधर चले जा रहे हा ये तमाम जहान वालों के लिए नसीहत है, उसके लिए जो राहे रास्ते पर चलना चाहे, तुम्हारे चाहने से कुछ नहीं होता सब अल्लाह रब्बुल आलमीन की मसीयत से होता है ।

सुराह नबा 78 : क्या यह लोग उस बड़ी खबर का सवाल कर रहे हैं जिसके लिए यह इख्तिलाफ करते रहते हैं, जल्द ही उन्हें मालूम हो जाएगा, क्या लोगों ने अपने चारों तरफ और अपनी जात के अंदर फैली निशानियां पर गौर नहीं किया, एक दिन आएगा जब आसमान में रास्ते ही रास्ते होंगे जब सुर फूंका जाएगा और सब फौज दरफौज निकाल आएंगे और पहाड़ चलाए जाएंगे शरकसो का ठिकाना जहन्नम होगा, अल्लाह ने हर अमल गिन कर रखा था और उनका बदला दे दिया जाएगा, मुत्तकीन के लिए तुम्हारे रब की तरफ से जन्नतों की नेमअतें होंगी, उस रोज रूह और मलाइका और सफ दर सफ खड़े होंगे, और जिसे रहमान इजाजत देगा उसके सिवा कोई बोल ना सकेगा उस दिन इंसान वो सब देख लेगा जो उसने आगे भेजा है और काफीर पुकार उठेगा कि काश वह मिट्टी होता ।

सुराह नाजीआत 79 : जिस दिन जोरदार जलजले का झटका और एक और झटका होगा उस दिन कुछ लोग सहमें हुए कांप पर रहे होंगे, वापस लौट कर आना बस ऐसे होगा, की बस एक जोरदार डांट पड़ेगी और लोग खुले मैदान में मौजूद होंगे, मूसा अलैहिस्सलाम को अल्लाह ने वादी ए तुआ में पुकारा और कहा कि फिरौन से जाकर कहो के पाकीजगी इख्तियार करें, और कहो के मैं तुम्हारी अपने रब की तरफ रहनुमाई करूंगा, फिरोन ने लोगों से कहा कि मैं तुम्हारा सबसे बड़ा रब हूं, आखिर अल्लाह ने उसे दुनिया और आखिरत के अजाब में पकड़ लिया, क्या तुम्हारा पैदा करना ज्यादा मुश्किल काम है या आसमान का, जिसे उसने नेे बनाया, उसका तवाजुन कायम किया उसकी रात को ढांप लिया और उसका दिन निकाला, फिर जमीन को पैदा किया उसमें से उसका पानी और नबाताद निकाले, पहाड़ कायम कर दिए फिर जिस दिन ये हंगामे अजीम बरपा होगा, उस दिन जिसने दुनिया की जिंदगी को तरजीह दी थी, उसका ठिकाना जहन्नम होगा, और जिसने अपनी नफ्स को बुरी ख्वाहिशात से पाक रखा वो जन्नत में जाएगा, तुम्हारा काम यह नहीं है कि कयामत का वक्त बताओ तुम तो सिर्फ वार्निंग देने वाले हो, जिस दिन यह रोजे आखिर को देखेंगे तो कहेंगे कि दुनिया हम दिन के एक ही पहर तक ठहरे थे ।

सुराह अबस 80 : बड़े लोगों को दिन के तरफ बुलाने में उनकी तरफ से बे तवज्जी मत बरतो जो दुनियावी हेसीयत में छोटे हैं लेकिन नसीहत कबूल करना चाहते हैं, यह एक नसीहत है जो बुलंद मर्तबा काबिले एहतराम सहीफों में दर्ज है,  वह सहीफे पर जो नेक कातिबों के हाथों में रहते हैं, मुनकीरे हक इंसानो लानत है जिसे अल्लाह ने एक नुत्फे से पैदा किया और उसकी तकदीर मुकर्रर की, उसकी जिंदगी की राह आसान की फिर मौत दी और फिर कब्र में पहुंचा दिया, फिर जब चाहेगा तब दोबारा उठा खड़ा करेगा, फिर भी इंसान अपना फर्ज अदा नहीं करता, इंसान अपनी खुराक ही पर गौर करें के कैसे जमीन में तरह-तरह की तब्दीलियां पैदा करके, तरह-तरह के खाने उसके लिए मोहिया किए जाते हैं, और जिस दिन कान बेहरे कर देने वाली आवाज बुलंद होगी, इंसान अपने भाई और मां बाप, बीवी और औलाद से भागेगा, कुछ चेहरे उस रोज खिले होंगे और कुछ सिहाई छाई होगी, ये ही काफीर और फाजील लोग होंगे ।


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