Khulasa E Quran | Revealed Quran Hindi | Surah Saff 61 To Maarij-70 | खुलासा ए कुरान | मुख़्तसर क़ुरान हिंदी | सुराह सफ्फ-61 से मारीज-70 तक

अल्लाह के नाम से जो बडा ही मेहरबान और रहम करने वाला है

Khulasa E Quran
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सुराह सफ्फ-61, जुमा-62, मुनाफ़िक़-63, तगाबून-64, तलाक़-65, तहरीम-66, मुल्क-67, कलम-68, हाक्का-69, मारीज-70 का खुलासा

सुराह सफ्फ 61 : आसमान और जमीन में हर शह से अल्लाह के बे ऐब होने का इजहार होता है, ईमान वालों अल्लाह को ये बात सख्त ना पसंद है कि तुम वह बात कहते हो जो करते नहीं, अल्लाह खाली दावे करने वालो के बजाए उन लोगों की पसंद फरमाता है जो वक्त पड़ने पर जो निजामी इलाही की हिफाजत के लिए शीशा पिलाई हुई दीवारे बनकर जंग करते हैं, बनी इजरायल भी अपने वादे तोड़ते थे, उन्होंने हजरत मूसा के अहकामों की खिलाफ वर्जी की और जब ईशा ने आने वाले रसूल अहमद की बशारत दी, और नबुवत के सबूत में मोजजे भी दिखाएं तो बनी इजरायल ने कहा कि यह जादू है 

अल्लाह के नूर को अपनी बातों से बुझाना चाहते हैं अल्लाह के नूर को तो पूरा फेलना है और आखिरी रसूल इसलिए तशरीफ लाए अल्लाह के दिन को तमाम बातिल निजामों के ऊपर गालिब कर दे, काफिरों और मुश्रिकोें को यह बातें ना गंवार गुजरे तो गुजरती रहे, ईमान वालो अल्लाह और उसके रसूल में ईमान लाओ और अपने माल और जान से जिहाद करना बेहतरीन तिजारत है, इससे आखिरत में तो जन्नत मिलेगी ही यहां दुनिया में भी फतह हासिल होगी,  जैसे हजरत ईशा के जिन हवांरियों ने साथ उनका दिया अल्लाह ने उन्हें मुनकरीन पर गलबा अता फरमाया ।

सुराह जुमा 62 : आसमान और जमीन की हर शै से अल्लाह के बे एब होने का इजहार होता है, वह जबरदस्त और हकीम है अल्लाह ने जो रसूल उम्मियों में भेजा था कि उनको कुरान सिखाये और उनका बातिन पाक करें और उन्हें किताब और हिकमत का एल्म दे वही रसूल उन तमाम बाद वालों के लिए भी था जो अभी उनसेे नहीं मिले, तौरेत के लोग तो उससे ज्यादा हामिल ना बने कि जैसे गधा किताबों का बोझ उठाता है, यहूदियों जैसी सिफात वाले अपने दावे में झूठे हैं कि वह सबसे बढ़कर अल्लाह के चाहीते हैं, अगर ऐसा होता तो वह अल्लाह के पास जाना चाहते और मौत की तमन्ना करते, लेकिन अपने जो आमाल भेज चुके हैं उनकी रोशनी में मौत की तमन्ना कैसे करें, ईमान वालो जुम्मे की अजान या अहले इमान की पुकार के आगे सब खरीद और फरोख्त छोड़ दिया करो, नमाज जुमा या जमा की जिम्मेदारी के बाद तुम अपने मास की फिक्र में लग सकते हो, लेकिन अल्लाह को वहां भी याद रखना, और जो लोग तुम्हें अकेला छोड़ कर फायदे और खेलकूद की तरफ भाग लेते हैं, उनसे कहो कि जो कुछ अल्लाह के पास है वह इस तफरीह या तिजारत से बेहतर है और अल्लाह सबसे बेहतरीन रिज्क देने वाला है ।

सुराह मुनाफिकुन 63 : मुनाफिक तुम्हारे पास आते हैं और रसूलुल्लाह के दिन की बात करते हैं वह सरासर झूठे हैं, यह न सिर्फ खुद रुकते हैं बल्कि दूसरे को भी अल्लाह की राह से रोकते हैं, देखने में बड़े शानदार बातें बड़ी लच्छेदार लेकिन हर आहट पर डर जाने वाले यह तुम्हारे दुश्मन हैं इनका तर्जे अमल ऐसा है के इनके लिए हर दुआ भी बेकार है, कहते हैं कि रसूल के साथियों पर खर्च करना बंद कर दो हालाकि खजानों का मालिक तो अल्लाह है, और कहते हैं कि जो इज्जतदार है वह जलील को शहर से निकाल देगा हालांकि यह जानते नहीं कि इज्जत तो अल्लाह देता है और रसूल और इमान वालों को देता है, ईमान वालो तुम्हारे माल और औलाद तुम्हें अल्लाह की याद से गाफिल ना कर दे कहीं उनकी मुहब्बत में तुम अल्लाह की राह में खर्च करने से हाथ ना रोक देना, के आखिरत के दिन पछताना पड़े क्योंकि मोहलते अमल पूरी होने के बाद फिर मौका नहीं दिया जाता, तुम्हारे हर अमल से अल्लाह बाखबर है ।

सुराह तगाबुन 64 : आसमान और जमीन की हर शै से अल्लाह के बे ऐब होने का इजहार होता है, उसी की असल बादशाही है और हकीकी तारीफ भी, और वो हर शै पर कादिर है, तुम में से कोई उसका मोमिन है और कोई काफिर, लेकिन अल्लाह ना सिर्फ जाहिरी आमाल बल्कि दिलों हाल तक जानता है, तारीख में जो कौमें ऐसी गुजरी जिन्होंने अपने रसूलों को झूठलाया उनका अंजाम तुम्हारे सामने है, लिहाजा अल्लाह और उसके रसूल और उसके नाजिल कर्दा नूर पर इमान लाओ, जब इस्तिमां के दिन वो तुम सबको इकट्ठा करेगा, वह एक दूसरे के मुकाबले में हार जीत का दिन होगा हर मुसीबत अल्लाह के कानून के मुताबिक उसके हुकुम से ही आती है तुम पर तो सिर्फ हक पहुंचा देने की जिम्मेदारी है 

ईमान वालो तुम्हारे जोड़ों और तुम्हारी औलादों में से बाज तुम्हारे दुश्मन है उनसे होशियार रहो, तुम्हारे माल और औलाद तुम्हारी आजमाईश है, तुम अल्लाह की राह में माल खर्च करो यह बेहतर है, जो दिल की तंगी से महफूज है वही कामयाब होने वाले है, तुम अल्लाह को कर्जे हसना दो तो वह तुम्हें कई गुना बढ़ा कर देगा और तुम्हारी मगफिरत भी फरमायेगा, वह कद्रदान और बुरदबार है, हाजिर और गायब को जानता है जबरदस्त और हकीम है ।

सुराह तल्लाक 65 : ऐ नबी ईमान वालों से कह दो के जब औरतों को तलाक दो तो उनकी इदत जरूर हो और उसे ठीक से शुमार करो दौराने इदत उन्हें घर से ना निकालो, ना वो खुद निकले, हो सकता है इस दौरान कुछ गुंजाइश निकल आये, जब वो इदत के खातमें पर पहुंचे तो या तो भले तरीके से रोक लो यह भले तरीके से जुदा हो जाओ, और रोकते या जुदा होते वक्त दो गवाह कर लो, तलाकशुदा औरतों में से जिनको हैज शुरू नहीं हुआ या है हैज आना बंद हो चुका हो, उनकी इदत तीन महीने हैं, हामिला औरतों की इदत बच्चे की पैदाइश तक है, इदत के बाद भी अगर औरत बच्चे को दूध पिलाये तो उसे उसका खर्च दो, यह नफका या खर्च मर्द की इस्तितात के मुताबिक होगा 

बहुत सी नाफरमान बस्तियां तबाह हो गई फिर अल्लाह ने अपना रसूल भेजा जो साफ-साफ हिदायत के साथ आया, अल्लाह का हुक्म सिर्फ इसी जमीन पर नहीं बल्कि दिगर जमीनों पर भी नाजिल होता है क्योंकि अल्लाह ने सात आसमान बनाएं और सात जमीने भी, वो हर बात की कुदरत रखता है और उसका इल्म हर शै पर मौजूद है ।

सुराह तहरीम 66 : नबी किसी ऐसी चीज को हराम नहीं कर सकते जिसे अल्लाह ने हलाल ठहराया है, हलाल और हराम के मामले में अपनी बीवियों की पसंद ना पसंद की परवाह ना करना, इमान वालों अपने आप को और अपने घर वालों को जहन्नम की आग से बचाओ, अल्लाह से तोबा करो सच्ची तोबा, अल्लाह अपने नबी को और उनको जो उनके साथ ईमान लाये रुसवा ना करेगा, उनका नूर उनके आगे और दाएं जानिब दौड़ रहा होगा, और वह कह रहे होंगे कि ऐ हमारे रब हमारा नूर हमारे लिए मुकम्मल कर दे, अल्लाह काफिरों के मामले में नुह और लुत अलै. उनकी बीवियों की मिसाल पेश करता है, यह हमारे दो नेक बदों की बीवियां थी, मगर उन्होंने अपने शौहरों से खयानत की, दोनों का ठिकाना जहन्नम है, अहले ईमान के मामले में अल्लाह फिरौन की बीवी की मिसाल पेश करता है, जिसने फिरौन और जालिम कौम से निजात की दुआ मांगी थी और इमरान की बेटी मरियम की मिसाल, जिसने अपनी अस्मत की हिफाजत की फिर जब वह हमला हुई तो अल्लाह ने ईशा में अपनी तरफ रूह फंूक दी, मरियम ने अपने रब की बातें और उसकी किताबों को सच कर दिखाया था और वो फरमा बरदार बंदों में से थी ।

सुराह मुल्क 67 : बुजुर्ग और बरतर है उसकी बादशाही है, और वो शै पर कादिर है जिसने मौत और जिंदगी को पैदा किया ताकि तुम्हारी आजमाइश हो जाए ताकि देखें कि कौन तुम में से अच्छे अमल करता है उसकी तखलीक में तुम्हें कोई बेतरतीबी भी नहीं मिलेगी और ये रोशन सितारे और सैयारे पहले आसमान का हिस्सा है, काफिर जब जहन्नम में डाले जाएंगे तो उसकी खौफनाक दहाड़ पहले से ही सुनेंगे, अल्लाह ही पैदा करता और परवरिश करता और मौत देता है चाहे तो तुम्हें तुम्हारी हरकतों पर जमीन में धसां दे या पत्थर बरसाने वाली हवा भेज दे तुम्हारा कोई लश्कर रहमान के मुकाबले में तुम्हारी मदद नहीं कर सकता कह दो कि हम उसी पर ईमान लाते हैं और उसी पर हमारा भरोसा है इनसे पूछो कि अगर तुम्हारे यहां पर वाटर लेवल डाउन हो जाए तो कौन है जो पीने के पानी की बहती हुई धार को तुम्हारे पास वापस ला सकता है ।

सुराह कलम 68 : नून कलम और तहरीर सब गवाह है तो तुम अपने रब की बख्शीश से मजनून नहीं हो, तुम्हारे लिए कभी ना खत्म होने वाला अज्र है बेशक तुम अखलाक के आला मर्रतबे पर फाईज हो, तुम उनकी इत्तिबा ना करना और ऐसे किसी शख्स की इत्तिबा ना करना जो बहुत कसमें खाए, ताने दे, चुगल खोर हो, भलाई से रोकने गुनाह की हदों को तोड़ने वाला और बद असर हो, अपने माल और औलाद पर इतराता है और अल्लाह की आयात को पुराने अफसाने कहता है, इस दुनिया में तुम्हारे बागात तबाह हो सकते हैं इनमें से जरूरतमंदों का हिस्सा निकालकर अपने आप को महफूज रखो, तबाही के बाद नादानमत से यह बेहतर है 

आखिरत का अजाब इस तरह के अजाबों से बेहतर है, उस रोज उनसे सज्दे करने को कहा जाएगा लेकिन वह सज्दे नहीं कर सकेंगे इसलिए कि दुनिया में वो अल्लाह के अहकामात के आगे नहीं झुकते थे, इस कलाम के झुठलाने वालों का मामला तुम अल्लाह पर छोड़ दो तुम अपने रब का फैसला सादिर होने जाने तक सब्र करो और अल्लाह का फैसला आने तक दावत का सिलसिला ना रोक देना, हजरत यूनुस से यह खता हुई थी तो वह बहुत नादिम हुए थे फिर अल्लाह ने उनके इस्तगफार को कबूल फरमाया था, कुरान सुनकर यह काफीर तुम्हें अजीब-अजीब नजरों से देखते हैं हालांकि यह तो तमाम जहान वालों के लिए याद दहानी है ।

सुराह हाक्का 69 : और जो होकर रहेगा वो क्या है तुम क्या समझे कि वो क्या है, समूद और आद और कोमें लुत और आले फिरौन ने उसका इंकार किया तो अल्लाह ने उन्हें अजाब में पकड़ लिया, फिर जब सूर फूका जाएगा तो वो होने वाला वाकिया पेश आ जाएगा, उस रोज आसमान फटेगा और फरिश्ते उसके किनारों पर होंगे और 8 फरिश्ते तुम्हारे रब की हाकिमीयत का जरिया होंगे, जिसका नामाए अमल दाहिने हाथ में दिया जाएगा वो आले मकाम जन्नत में होगा, और जिसका नामाए अमल बाएं हाथ में दिया जाएगा वह नामुराद होगा, उसे गर्दन में तौक डाल कर लंबी जंजीरों में जकड़ कर जहन्नम में डाल दिया जाएगा, यह ना अल्लाह की अजमत पर इमान लाया था और ना मिस्किीन को खाना खिलाने की तरगीब देता था, उसे वहां जख्मों का दोहन पीने को दिया जाएगा, यह एक रसूले करीम का कौल है किसी शायर या काहिन का कौल नहीं है, यह रब्बुल आलमीन की तरफ से नाजिल हुआ है मुत्तकिन के लिए नसीहत है, झूठलाने वालो काफिरों के लिए यह नुजुबे हसरत है, तो तुम अपने रब्बे अजीम के नाम की तस्बीह करो ।

सुराह माअरिज 70 : कोई अगर अजाब का सवाल करें तो उससे कह दो कि वो जरूर वाके होगा, उस खुदा की तरफ से जो उरूज के जीनों का मालिक है, मलाइका और रूह उसके हुजूर एक ऐसे दिन में उरूज करते है, जिसकी मिकदार तुम्हारी गिनती में 50 हजार साल है, उस दिन आसमान पिघली हुई चांदी की तरह होगा, पहाड़ धुनकी हुई उन की तरह, उस दिन मुजरिम खुद बचने के लिए अपनी औलाद बीवी और करीब तरीन को कुर्बान करने को तैयार हो जाएंगे, लेकिन भड़कती आग उनके गोस्त को चाट जाएगी, जिन्होंने हक से मुंह मोड़ा और माल इकट्ठा करके रखा 

उससे वो बचेंगे जो नमाज की हमेशा पाबंदी करते थे जिनके मालो साईल और मेहरूम का हक मुकर्रर था, जो अपनी शर्मगाह की हिफाजत करते थे जो अपनी अमानतों की हिफाजत करते थे, जो अपने अहद को पुरा करते थे, जो गवाही में सच्चे और नमाज की हिफाजत करने वाले थे वो जन्नत के बागों में रहेंगे, मुनकरिन अपनी कब्रों में से निकल कर इस तरह दौड़ रहे होंगे जैसे आज अपने बुतों और आसतानों की तरफ दौडते है, उन पर जिल्लत छाई होगी वो दिन है जिसका उनसे वादा किया जा रहा है ।
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