इब्राहिम अले. पर 3 झूठ बोलने का इल्जाम । क्या रसूल झूठ बोल सकते है ? Did Ibrahim(AS) Lie 3 Times In His Life Time ?

इब्राहिम अले. पर 3 झूठ बोलने का इल्जाम क्या रसूल झूठ बोल सकते है।

Ibraahim (AS) Par 3 Jhooth Bolane Ka Ilzaam

Ibrahim(AS) Lie 3 Times
Ibrahim(AS) Lie 3 Times

अल्लाह के नाम से जो रहमान और रहीम है। 

कुरान में अल्लाह ने इब्राहिम अले. का ज़िक्र बार-बार किया हैमुसलमान भी खासतौर पर ईदुल अज़हा के महीने में आप ज़िक्र करके आपकी याद को ताज़ा करते हैकि कैसे आप अल्लाह के एहकाम (हुक्मो/ आज्ञाओं) को बजा लाते (पालन करते)बुत तराश (शिल्पकार) खानदान से थेकौम को (एकेश्वरवाद की) दावत देते रहेबुत तोड़ने की सज़ा में आग में डाला गयाफिर मुल्क (देश) निकाला भी दियाइम्तिहान (परीक्षा) हुआ सारा और इस्माइल को सेहरा (रेगिस्तान) में छोड़ाख़्वाब की बुनियाद पर अपने बच्चें को ज़िबह करने से पीछे नही हटेकाबे की ताअमीरे नौ (पुनर्निर्माण) कीलोगों को बुलाया हज के लिए बुलायाआज तक हम उस दिन को हज और ईद ए अज़हा के तौर पर मनाते हैं।


इब्राहिम अले. अल्लाह के खलील (ख़ास दोस्त) हैंअल्लाह ने कहा बेशक वो सच्चे नबी थे। लेकिन अक्सर उलेमा कुछ रिवायात की बुनियाद पर ये मानते है कि उन्होने ज़िंदगी में बार झूठ बोला था। हालाँकि अल्लाह क़ुरान में फ़रमा रहा है कि 19/41 "इन्नहु काना सिद्दिकन नबिय्या’’ वो सिद्दीक यानि सच्चे नबी थे इस आयत की बुनियाद पर कुछ उलेमा इन रिवायात से इख्तिलाफ़ करते हैबल्कि वो कहते हैं कोई भी रसूल और नबी झूठ नही बोल सकते हैं। सारे नबी सच्चे होते हैं। आइये जानते है दोनों तरफ के दलाईल क्या हैं?

पहले जानते हैं जो उन दलाइल के बारे में जिसके बिना पर (अनुसार) कहते हैं कि इब्राहिम अले. ने कोई झूठ नही बोला था।

 

इब्राहिम अले. वो नबी है, जिनका नाम ले लेकर हर मुसलमान क़यामत तक नबी करीम सल्ल. के लिये दुरूद’ भेजता है, दुआ करता हैकरता रहेगाऐ अल्लाह ऐसी रहमत और बरकत नबी पाक सल्ल. पर नाज़िल फ़रमा जैसी इब्राहिम अले. और उनकी आल पर नाज़िल की थी। कुरान सुराह 22/78 नबी सल्ल. से कहाइब्राहिम की मिल्लत की पैरवी करो और यहां तक कि नबी सल्ल. से कहलवाया 19/41 ‘‘वज़कुर फिल किताबी इब्राहिमइन्नहु काना सिद्दिकन नबिय्या’’ ऐ नबी इस किताब में इब्राहिम का ज़िक्र कर दो जो बेशक बड़े सच्चे नबी थे।


पिछली कौमों ने नबीयों पर बहुत घिनौने इलज़ाम लगायेअल्लाह ने कुरान में सारे इल्जामों को साफ़ किया हैअब इस कुरान में मिलावट मुमकिन नही हैलेकिन इस्लाम के दुश्मनों ने साज़ीशियों ने और खुद मुसलमानों ने बहुत सी रिवायतें गढ़ लींजो कुरान से और सहीह रिवायात भी टकराती हैं और यहाँ तक कि इब्राहिम अले. ने झूठ बोले थे इस वजह से वो रोज़े क़यामत लोगों की सिफ़ारीश नही कर सकेगें।

 

झूठ बोलना कुरान में कबीरा (बड़े) गुनाहों में से हैझूठ बोलने की क्या वजह होती हैमालजानऔहदा, या किसी फायदे के लिए बोला जाता हैअम्बिया अलय्हिस्सलाम इससे पाक होते हैंअल्लाह ने कुरान में बार-बार नबीयों से कहलवाया कि कहो हम सिर्फ ख़ालिस अल्लाह के लिये आये हैंहम तुम्हे भलाई की तरफ बुलाते हैतुमसे कोई फायदा, औहदामालमनसब भी नही चाहते, और कहा जान भी जाये तो कह दो कि ‘‘इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलयही राजिऊन’’ मुहम्मद सल्ल. के बारे में मुशरिकीन (बहुदेववादी) ने जो भी इल्जाम जब कभी लगायेअल्लाह ने साफ़ किया तुम खुद देखते हो ये सादिक (सच्चे) और अमीन (अमानतदार) हैंना ये मजनून हैना इन पर जादू हुआ और ना ये बहके हुए हैं। हर नबी पैदाइशी नबी होते हैं बचपन ही से अल्लाह बुराई से इन नबियों की हिफ़ाज़त करता है ताकि वो लोगों के लिये मिसाल (आइडियल) बन सकें ।

 

इब्राहिम अले. के ताल्लुक़ से कुरान में बहुत सी बातें बयान की गई हैं कि वो खलील थेसिद्दीक थेहनीफ़ थे, हर हुक्म को बजा लाने वाले थेजान की बाज़ी लगाने वाले थेआग से भी नही घबरायेऔर यहाँ तक कि खुद की जान क्या औलाद की कुर्बानी मांगी गई वो देने से भी नही घबरायेहर आज़माईश में खरे उतरेएक बाप अपनी औलाद के लिये खुद की जान लगा सकता है। लेकिन इब्राहिम अले. औलाद की क़ुरबानी देने में भी खरे उतरे।

 

लेकिन खुद मुसलमानों ने कुछ रिवायत की बुनियाद पर झुठ बोलने के इल्जाम लगायेइसलिये अल्लाह ने पहले से कुरान में बयान करवा दिया।यहां तक कि कुरान में और किसी नबी के ताल्लुक़ से ऐसी आयात नही मिलती, अल्लाह आलीमुल ग़ैब है वो जानता है इस कौम के कुछ लोग उन पर झूठ बोलने का इलज़ाम लगाएँगे। इसलिये पहले ही से अपनी किताब में बयान कर  दिया ताकि जो सच्चा ईमान रखते हैं, वो आगाह हो जाएँ।

 

ये हमारे ईमान का हिस्सा है कि हर नबी सच्चे और मासूम होते हैईशारे में भी झूठ नही बोलते हैं। अगर एक बार भी झूठ साबित होता है तो अल्लाह अपनी किताब नबी पर वही के ज़रिये नाज़िल करता है। नबी के ज़रिये ही वो किताब लोगों तक पहुँचती हैएक झूठ भी मानना किताब में शक़ पैदा कर सकता है। अल्लाह किसी ऐसे इंसान को नबुवत के लिए नही चुनता जो झूठ बोल सकता हो।

 

मिसाल के तौर इंसानों का मयार (कसौटी) देखें। इमाम बुखारी रह. एक शख्स के पास हदीस लेने गये वो शख्स अपने ऊंट को कुर्ते की झोली बना कर खाने के लिये बुला रहा था। इमाम बुखारी रह. ने देखा की झोली तो खाली है झूठ बोलकर ऊंट को बुला रहा है। बुखारी रह. ने उस शख्स से हदीस इस बुनियाद पर नही ली कि जो जानवर से झूठ बोल सकता है वो हदीस के बारे में भी झूठ बोल सकता है। जब इमाम बुखारी रह. का मयार ये है तो अल्लाह का मयार कैसा होगा अल्लाह कैसे किसी झूठ बोलने वाले शख्स को रसुल और नबी बना सकता है? क्या उससे ज़्यादा ग़ैरतमंद कोई है?

 

सुनन तिर्मीजी: 3166 कहा गया कि इब्राहिम अले. ने बार झूठ बोला था। बुखारी: 3357 में है तीन बार तौरिया किया। बुखारी: 3358 की रिवायत के मुताबिक दो झूठ का ज़िक्र कुरान की आयात में है और तीसरा झूठ इस रिवायात में मिलता है। और कुरान की उन दो आयातों की तफ़सीरों और भी बातें ज़िक्र की गई है। लेकिन कुरान कह रहा हैवो सच्चे नबी थे। देखते है क्या सही है?


पहला झूठ- इलाके मेला लगा थाइब्राहिम की कौम ने कहा हमारे साथ मेले में चलो। कुरान 37:89 ‘‘काला इन्नी सकीम’’ इब्राहिम ने कहा नही में बीमार हूँ। यहाँ ये  माना जाता कि उन्होंने पहला झूठ बोला था।


वज़ाहत - लफ्ज़ ‘‘सकीम’’ के और भी माने आते है अरबी की मशहुर डिक्शनरी (लसानुल अरब इब्ने मंजूर और ताजुल उरूस जबीदी) सकीम’’ यानि ‘‘तुम्हारी, ग़ैरुल्लाह की बंदगी देखते-देखते बीमार पड़ जाऊंगा’’ ये कहने का एक अंदाज़ है जैसे कई लोग बेज़ा बात करते है दुसरा सुन-सुन कर तंग आ जाता है तो कहता है मैं ''तुम्हारी बातें सुन-सुन कर पागल हो जाऊंगा" या फिर "अरे जाओ क्यूं दिमाग़ ख़राब कर रहे हो" ये मुहावरा या कहने का अंदाज़ होता है कोई सचमुच पागल नही हो जाता क्या उस शख्स को झुठा कहेगें? कोई नही कहता। एक माना ये भी है ‘‘बेज़ार/निढाल हूँ,’’ या तुम्हारे इस खेल तमाशे से बेज़ार हूँ एक माना ये भी कि मैं बीमार हूँये झुठ था। हालाँकि वो बीमार नही थे। हालाँकि ये कुरान में नही है कि वो बीमार नही थे। या कोई मेला लगा था।


सिलसिला ए कलाम 37:85 से 90 पढे, इब्राहिम ने अपने बाप और अपनी कौम से कहा ये क्या चीज़ है जिनकी तुम इबादत कर रहे होक्या अल्लाह को छोड़कर झूठ से गढ़े हुए माबूद चाहते होआखिर अल्लाहसारे जहाँ के रब के बारे में तुम्हारा क्या गुमान हैफिर तारों पर एक निगाह डाली। और कहा मेरी तबीअत ख़राब है। तो वो लोग उन्हे छोड़कर चले गए।


हो सकता है अल्लाह ने उस वक्त बीमार कर दिया हो। इसलिए कहा हो। सुराह 37:93 और फिर वो दायें हाथ से बुतों पर पिल पड़े। (एक बड़े बुत को छोड़ दिया) बहुत दिन से बुत तोड़ने का मंसूबा था। 21:57 अल्लाह की कसम तुम्हारे जाने के बाद बुतों की ख़बर लूँगा। अल्लाह ने ऐसा किया होअल्लाह की मशीयत थी, सितारे की तरफ मुंह किया इससे भी लगता है वो बेज़ार हो गये थे। मिसाल के तौर पर जिस तरह एक इंसान किसी दुसरे को बहुत सी दलील के साथ काफी देर से समझा रहा हो और दुसरा ना माने तो वो बेज़ारी में खीजकर मुंह फेर लेता है "जाओ मुझे तुमसे बात ही नही करना है।वैसे ही इब्राहिम अले. बेज़ारी का इज़हार किया और मुंह फेरकर कहा इन्नी सकीम ‘‘तुम्हारी ग़ैर उल्लाह की बंदगी देखते-देखते बीमार पड़ जाऊंगा’’ तुमसे बेज़ार हूँ। झूठ एक धोका होता है और नबी और  रसूल धोका नहीं  देते नबी सल्ल ने फ़रमाया जो धोका दे वो हम में से नहीं है यानि वो मुसलमान ही नहीं है इससे ये साबित नहीं होता की उन्होने झूठ बोला था।


दुसरा झूठ- जब कौम के लोग लौटकर आये और अपने बुतों की ये हालत देखी तो इब्राहिम अले. से बुलाकर पूछा क्या तुमने हमारे बुतों के साथ ये हरक़त की है? 21:63 ‘‘काला बल फअलहु’’ इब्राहिम ने कहाये बात (काम) तो ‘‘कबीरुहुम हाज़ा फस्अलूहुम इन कानू यन्तिक़ून’’ इस बड़े से पूछ लो अगर ये बोलता हो। यहां माना जाता है कि दुसरा झूठ बोला।


वज़ाहत- लेकिन इसमें क्या झुठ है? उन्होने ये नही कहा कि ‘‘अना लम अफ़आल’’ ‘मैने ये काम नही किया। ये कहने का एक अंदाज़ हैलोगों को पहले से मालुम थाकिसने किया है उन्होने कहा बुत से पुछ लो यानि लोग दंग रह जाएँ वो बुत से तो पूछ नही सकतेऔर कहा भी सुराह 21:66 ये नही बोलता। झूठ वो होता हैजहाँ धोखा हो, कौम पहले ही से जानती थी।

 

मिसाल के तौर पर एक कमरे में दो शख्स बैठे हों और दो बच्चें लुका-छुपी खेलते हुये आये और एक बच्चा उनके देखते हुए पंलग ने नीचे छुप जाये और दुसरा बच्चा आकर एक शख्स से पूछे आपने देखा कहाँ छुपा है। वो जवाब ना देकर दूसरे शख्स की तरफ रेफ़र रूजू करदे उनसे पूछ लो। तो क्या पहले शख्स को झूठ बोलने वाला माना जायेगा। नही माना जायेगा उसने ये नही कहा कि मैंने नही देखा बल्कि दुसरे की तरफ रेफर कर दिया। उसी तरह इब्राहिम अले. से पूछा तो उन्होने बड़े बुत की तरफ रेफर कर दिया इसमें झूठ क्या हुआ?


ऐसा ही एक वाक़ेआ रिवायत में मिलता है, नबी सल्ल. हज़रत अली और सहाबा एक जगह बैठकर खजूर खा रहे थे, नबी सल्ल. ने अपनी गुठलियाँ ह. अली के सामने रख दी और कहा अली तुमने तो बहुत खजूरे खा लीं। ह. अली ने कहा सल्ल. आप तो गुठलियाँ  भी खा गये। क्या इसे झूठ कहेंगे? सारे सहाबा को मालुम हैधोखा नही हैये दिलजोई (मज़ाक) हैइब्राहिम अले. का वो झूठ था तो ये भी झूठ कहलायेगाइब्राहिम अले. की कौम जानती थी किसने किया  है। उसमें इब्राहिम अले. ने ऐसी दलील दी थी वो सब हक्के-बक्के रह गये। खुद कहने लगे इब्राहिम तुम जानते हो ये बुत बोल नही सकते। इस वाक़ीये से इतनी बेहतरीन लाजवाब बात से बजाय नसीहत लेने के झूठ बोलना लिया बड़ी अजीब बात है। नबी सल्ल. ने फ़रमाया जो झूठी गवाही दे वो जहन्नमी है। इब्राहिम अले. नाउजबिल्लाह अपनी जान के लिए डर रहे थे जो क्यूं झूठ बोलेगें। कोई भी नबी अल्लाह के लिए जान देने से नहीं डरता। इससे ये साबित नहीं होता की उन्होने झूठ बोला था।


तीसरा झूठ- सहीह बुखारी: 3358 इब्राहिम अले. और उनकी बीवी एक सरकश बादशाह के इलाके गुज़रे तो सिपाहीयों ने सारा (साराह) अले. के बारे बादशाह को बताया उसके साथ बहुत खुबसूरत औरत हैइब्राहिम अले. को बादशाह ने बुलाया और पूछा वो औरत कौन है? इब्राहिम अले. ने कहा वो मेरी बहन है। फिर आप सारा अले. के पास आये और कहा ऐ सारा ज़मीन पर मेरे और तुम्हारे सिवा कोई मोमिन नही हैबादशाह से कह आया हूँ कि तुम मेरी बहन होतुम भी मुझे झूठा ना बनाना। फिर बादशाह ने सारा अले. को बुलाया और उनकी तरफ हाथ बढ़ाने की कोशिश की लेकिन बादशाह का हाथ शल (लक़वाग्रस्त) हो गया। फिर उसने सारा से दुआ की गुज़ारिश की, आपने दुआ की वो ठीक हो गया। ऐसा तीन बार हुआ फिर उसने सिपाही को बुलाया और कहा तुम मेरे पास किसी सरकश जिन्न को लाये हो। फिर बादशाह ने अपनी बेटी हाजरा अले. को सारा अले. की ख़िदमत के लिये दे दिया। ये तीसरा झूठ था उन्होने अपनी बीवी को बहन कह दिया था। तक़रीबन ऐसा ही वाक़ीया (बाइबिल-किताब पैदाईश (जेनेसीस) चेप्टर 20) में भी मिलता है।


वज़ाहत- क्या वजह थी बीवी को बहन कहने की इसका कोई खुलासा नही हैबहन कहने से फ़ायदा क्या था? बहन कहने से सरकश बादशाह छोड़ देगा लेकिन ऐसा नही हुआ बादशाह ने फिर भी सारा अले. को बुला लिया बीवी कहते तो शायद बच जाती फिर इब्राहिम अले. कह रहे हैं ‘‘ज़मीन पर बस हम ही मुसलमान हैं’’ हालांकि इनके साथ लूत अले. ने भी हिज़रत की थी वो नबी थे और मुसलमान थे तारिखी रिवायात के हिसाब से उनकी बेटियाँ भी थी।

 

फिर बादशाह के पास गईतीन बार हाथ लगाने की कोशिश की हाथ शल हो गया सारा अले. से गुज़ारिश की आपने दुआ की बादशाह बच गया। फिर बादशाह ने कहा ये तो सरकश जिन्नी हैफिर भी अपनी बेटी हाजरा भी सरकश जिन्नी को खादिमा बनाकर दे दी, हालांकि कोई भी बाप अपनी बेटी को जबकि वो जानता हो ये जिन्न है उसको नहीं दे सकता फिर सारा अले. को कैसे सौंप देगा? इसका कोई खुलासा नही है। फिर ये भी सारा अले. खुबसूरत थी इसका भी कोई दुसरा तज़कीरा नही मिलता हैबल्कि साराह अले. बुढ़ी थी, और जो तफ़सील देखकर मालुम होता हैहाजरा को छोडकर गये तो कुरान में है फिर उधर फरश्तिों ने इसहाक अले. की पैदाइश बशारत (खुशख़बर) दीउन्होने खुद कहा मैं तो बुढ़ी हूँ।


ऐसा ही वाकिया (बाइबिल-किताब पैदाईश (जेनेसीस) चेप्टर 17.17) इब्राहिम 100 साल और साराह 90 साल का ज़िक्र हैएक बुढ़ी औरत को बादशाह उठवा ले ये बात भी क़बूल नही होती है, हमारी रिवायात की तफ़सील से उनकी उम्र तक़रीबन 70 साल तो रही होगी। बात ये है के लोग कहते हैं, बड़े आलिमों ने कहालिखासमझाक्या उनको समझ नही थीअगर ये माने तो बुज़ुर्गों की शान में धब्बा आता है, क्या हम इनको बचाने के लिये नबीयों की शान  परकुरान परसहाबा सहाबियात पर धब्बा लगने देहम इन पर लगे इलज़ाम साफ करे या बुज़ुर्गों को बचाएँ अल्लाह को क्या जवाब देगे? ये रिवायत में बहुत सी तारीख की रिवायात से टकराती है जो बातें बयां हुई साफ़ नहीं है इससे ये साबित नहीं होता की उन्होने झूठ बोला था।


इब्राहिम अले. सिद्दीक थे सादिक-यानि सच्चासिद्दीक यानि हमेशा का सच्चाजिसे झूठ ने ज़रा सा भी छुआ नही होहमारा ईमान है सारे नबी और रसूल सच्चे होते है लेकिन अल्लाह ने खास तौर पर इब्राहिम अले. का ज़िक्र कुरान में किया सुराह 19:41‘‘वज़कुर फिल किताबी इब्राहिमइन्नहु काना सिद्दीकन नबिय्या’’ ऐ नबी इस किताब में इब्राहिम का ज़िक्र कर दो जो बेशक बड़े सच्चे नबी थे। इसलिये की इब्राहिम अले. पर इल्ज़ाम लगेगाइल्ज़ाम लगाने वाले तो साज़िशी थे, लेकिन मानने वाले मुसलमान हैंअल्लाह के कुरान की गवाही हमारे लिये काफी होनी चाहिये, ये हमारे ईमान का हिस्सा है कि सारे नबी सच्चे थे।

 

जो लोग ये मानते है इब्राहिम अले. ने तीन झूठ बोले उनके दलाईल वो रिवायत है जो ऊपर वज़ाहत के पहले गुज़री है। मेरी राय में ये बात सही है कोई भी रसूल और नबी झूठ नही बोल सकते। हाँ गलतीयाँ होना तो कुरान से साबित है जैसे नबी सल्ल. का खुद से शहद को हराम कर लेना जो कि खालिस अल्लाह का हक़ है, नाबीना सहाबी को नज़र अंदाज़ करनानूह अले. अपने बेटे के लिये अल्लाह से शिकायत करनायूनूस अले. का अपनी कौम को बद्दुआ देना वग़ैराह इन ख़ताओं पर अल्लाह उनकी फौरन रहनुमाई कर देता है और माफ़ कर देता है। लेकिन झूठ बोलना ये बात नबीयों की शान के खिलाफ़ है। अल्लाह की गवाही हमारे लिये काफी होनी चाहिये, इस मोज़ू पर फिर से गौर किया जाना चाहिये।


गुजारिश - इस मसअलें पर इस्लाह पसंद उलमा ईकराम को दोनों तरफ के दलाईल को मद्देनज़र रख कर ततबिक तलाश करनी चाहिये। ताकि आवाम को सही मालुमात और रहनुमाई मिल सके।


हक़/सत्य बात जब कभी जिस किसी से भी और कहीं से भी मिले मान लेना ही हक़ दीन/सत्य धर्म है।

शेयर जरूर करे - जजाक अल्लाह/धन्यवाद

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