इस्लाम में निकाह के लिए कुरान में खास उम्र बताई गई है। निकाह की उम्र तक़रीबन कितनी होनी चाहिये ?
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क्या इस्लाम में निकाह की कोई उम्र बताई गई है। कुरान में निकाह की उम्र लफ्जी तौर पर तो नही लेकिन इशारातन हम को कुरान की अयातों से समझ में आती है कि निकाह की उम्र क्या होनी चाहिये। अगर हम कुरान की कुछ आयातों को एक मोजू बनाकर एक साथ देखे तो हमें निकाह कब करना चाहिये इसके इशारे वाजेह तौर पर मालुम होते है।
अल्लाह ने फरमाया सुराह इसरा 17/34 यतीम के माल के करीब भी ना जाओ लेकिन बेहतर तरिके से यहां तक के वो अपनी जवानी (बलूगत/पुख्तगी) को पहुच जाये। और वादे को पुरा करो। यानि यतीमों का माल उनको दे दो।
सुराह निसा 4/2 बुरी चीज को अच्छी चीज से ना बदलो और ना उनके माल अपने माल के साथ मिलाकर खा जाओ ये बहुत बडा गुनाह है।
सुराह निसा 4/5 और अपने माल, जिसे अल्लाह ने तुम्हारी जिंदगी के कयाम का जरिया बनाया है ना समझो के हवाले ना करो अलबत्ता उन्हे उन मालों से खिलाते और पहनाते रहो और उन्हे नसीहत की बात कहते रहो।
सुराह निसा 4/6 और यतीमों की अजमाते रहो यहां तक कि वो निकाह की उम्र को पहुच जाये फिर अगर उनमें होशियारी देखो तो उन के माल उन के हवाले कर दो।
इन आयातों से मालुम होता है की यतीम बच्चों की कोई खास उम्र है कुरान में जो लफ्ज आया है (हत्ता यबलुग अशुद्दा) पुख्तगी यानि जवानी को पहुचें यानि पक्की उम्र को पहुचे तो तब उनका माल उन्हें दे दो। यानि इससे पहले ना दो, नही वो बर्बाद कर देगें, और कहा कि आजमाते रहो, फिर वो निकाह की उम्र को पहुचे और होशियारी देखो तो माल सौप दो। अब जहिर सी बात है कोई भी अक्लमंद शख्स 5 या 10 साल के बच्चें या बच्ची को तो उनका माल नही सौप देगा होशियारी की उम्र अलग-अलग हो सकती है। (मुख्तलिफ तजुर्बात मेडिकल, समाज, हालत, इलाकात और सर्वे से) अमुमन 16 से 22 तक जिसका जैसा जहन होता है।
एक और जगह कुरान में युसुफ अलै. के ताल्लुक से भी यही बात हमें कुरान में इसी लफ्ज में मिलती है, सुराह युसुफ 12/22 ‘‘बलग अशुद्दा’’ जब वो जवानी को पहुचा तो हमने ‘‘वही’’ की। जाहिर सी बात अल्लाह किसी बच्चे को नबी या रसूल तो नही बनायेगा।
निकाह के लिए लड़का लड़की का एक दूसरे को कबुल करना शर्त है अगर काबुल नहीं करते तो निकाह नहीं होगा उन दोनों को लोगो के सामने गवाही देनी होगी कि हमने एक दूसरे को इतनी मेहर मुक़र्रर पर कबुल किया जाहिर सी बात है अगर दोनों बच्चे है या एक बच्चा है तो बच्चे गवाही इस मामले में किसी भी मामले में नहीं मानी जा सकती है। तो फिर निकाह के मामले में भी नहीं मानी जाएगी, उम्र में पुख्तगी होनी चाहिए।
यहाँ एक बात और गौर करने के है कई लोग ये भी कहते है कि निकाह तो छोटी उम्र में हो जाता है बिदाई गोना जवानी में होता है लेकिन ये बात दोनों का एक दूसरे को कबूल करना शर्त है तो निकाह ही बगैर पुख्ता उम्र के कबूलियत की गवाही नहीं है तो निकाह की उम्र भी तकरीबन यही है इसलिये कहा गया जब वो निकाह की उम्र को पहुचे तो उनका माल सौंप दो, इसलिए कहा कि जवानी और निकाह की उम्र को पहुंचे तो माल दे दो निकाह भी एक जिम्मेदारी होती है जिसमें रिश्तों की समझ भी होनी चाहिये, नही तो वो रिश्ता निभ नही सकता।
इसी ही आयातों के बारे में अल्लाह ने कुरान में तसरीफे अयात कहा है कि देखो हम कैसे फेर-फेर कर अपनी अयाते लाते है। नबी सल्ल. ने हजरत फातिमा रजि. का निकाह हजरत अली से 18-20 की उम्र में किया था। सहाबा इकराम के ताल्लुक से यही मिलता है वो भी अपनी बच्चों के निकाह तकरीबन इसी उम्र में करते थे। इन सब आयातों से हमें वाजे इशारा मिलता कि निकाह उम्र 16 से उपर है जो कि पुख्तगी की उम्र है। ये कुरान में निकाह की उम्र के वाजे इशारे है।
हजरत आयशा रजि. के ताल्लुक से जो 6 या 7 साल की उम्र में निकाह की की रिवायते मिलती है वो सही नहीं है उसकी तफ्सील के लिए निचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर आर्टिकल पढ़ सकते है।
हज़रत आयशा का निकाह 18 या 6 साल में ? आइये जानते है।
https://www.iiecindia.com/2022/06/hazrat-aisha-razi-ka-nikah-18-ya-6-saal.html